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Covid-19 Third Wave: बच्चों पर मंडरा रहा कोरोना का खतरा, जाने क्या करें क्या नहीं

Covid-19 Third Wave | कोरोना वायरस से इस समय पूरा देश लड़ रहा हैं, ऐसे में थोड़ी सी लापरवाही भी हमें कोरोना की गिरफ्त में ला सकती हैं, कोरोना की दूसरी लहर से देश अभी सही से बाहर भी नही आ पाया हैं कि अब ये सामने आया हैं कि कोरोना की तीसरी लहर (Covid-19 Third Wave) बड़ो के साथ-साथ बच्चों को भी अपना शिकार बना रहा हैं। विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना का ये नया रूप बच्चों के साथ गर्भवती महिलाओं के लिए भी ज्यादा खतरनाक हैं, देश मे हुए एक सर्वे के मुताबिक देश मे कुल 25% से अधिक बच्चे कोरोना की दूसरी लहर से संक्रमित हुए हैं।

देश मे मिल रहे कोरोना के नए मरीजों में 10 साल से कम उम्र के बच्चे भी मिल रहे हैं, बताया जा रहा है कि जबसे देश मे कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी होनी शुरू हुई हैं तब से बच्चे ज़्यादा संक्रमित हुए हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह के बच्चे हो सकते हैं कोरोना से शिकार और क्यों छोटे बच्चे कोरोना के शिकार हो रहे हैं।

Covid-19 Third Wave | किन बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा

Covid-19 Third Wave

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विशेषज्ञों के अनुसार ज्यादातर बच्चों में कोरोना कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं बल्कि बच्चों को केवल मामूली बुखार आता हैं, जिस घर मे कोई भी पहले से कोरोना संक्रमित हैं तो उस घर के बच्चों को भी कोरोना से पीड़ित होने का सबसे ज्यादा खतरा होता हैं। बच्चों से जुड़े कोरोना के ज्यादातर मामलों में देखा गया हैं कि जिन बच्चों की उम्र 10 वर्ष से कम थी उनमें कोरोना के लक्षण नही दिखाई दिए थे बल्कि उनमें सामान्य सर्दी, दस्त, हल्का बुखार जैसे लक्षण दिखाई दिए थे।

जो बच्चें जन्म से ही ह्रदय रोग, मधुमेह, कैंसर, अस्थमा से पीड़ित होते हैं या जिन बच्चों की इम्युनिटी कमजोर होती हैं उन्हें कोरोना होने की ज्यादा संभावना रहती हैं, ऐसे में इस तरह के लक्षणों वाले बच्चों के माता-पिता को सतर्क रहने की आवश्यकता होती हैं।

बच्चों के इलाज का तरीका बड़ो से अलग

कोरोना महामारी की तीसरी लहर (Covid-19 Third Wave) को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य क्षेत्रो से जुड़े विशेषज्ञों के अनुसार जिन बच्चों में कोरोना वायरस से जुड़े कोई लक्षण दिखाई नहीं देते उन्हें किसी भी तरह की दवा देने से बचना चाहिए, बुखार के सामान्य मामलों में बच्चों को सामान्य पैरासिटामोल दी जाती हैं। जबकि दस्त के मामलों में बच्चों को ORS दिया जाता हैं, अगर किसी बच्चे को तेज बुखार, त्वचा पर लाल चकत्ते, अत्यधिक नींद आना, खांसी, सांस लेने में परेशानी, हाइपोक्सिया जैसे कोई लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

कोरोना के अलावा और भी हैं समस्या

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जैसा कि हम सब जानते हैं कि कोरोना की तीसरी लहर (Covid-19 Third Wave) बच्चों को अपना शिकार बनाने की राह पर है और ऐसे में सुरक्षा के लिए 2 वर्ष से लेकर 5 वर्ष तक के बच्चों को मास्क पहनाना एक बहुत बड़ी समस्या हैं, इसी वजह से ऐसे बच्चों को घर मे ही रखने की सलाह दी जाती हैं। बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास हेतु बच्चों को खेलकूद जैसी शारीरिक गतिविधियों में अवश्य शामिल करना चाहिए, विशेषज्ञों के अनुसार बच्चे भी कोरोना से लंबे समय तक पीड़ित रह सकते हैं। कोरोना से ठीक होने के बाद बच्चों में गंभीर बीमारी हो सकती हैं इसलिए माता-पिता को अपने बच्चे का ध्यान रखते हुए डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए।

कैसे कराएं कोरोना पॉजिटिव मां ब्रेस्टफीडिंग

अगर कोई मां कोरोना पॉजिटिव हो तो उसे सबसे ज्यादा परेशानी अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करवाने में दिक्कत होती हैं, वैसे तो विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना पॉजिटिव मां को बच्चे को दूध नहीं पिलाना चाहिए लेकिन अगर बच्चे की देखभाल करने वाला कोई नहीं हैं तो मां को बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराते समय फेस शील्ड और डबल मास्क लगाना चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना पीड़ित मां के दूध में कोरोना से लड़ने वाली एंटीबाडीज होती हैं