Badrinath Dham के इस कुंड का पानी सालभर रहता है गर्म, यहां स्नान मात्र से दूर होता है बड़े से बड़ा रोग
Badrinath Dham : भारत में कई प्राचीन मंदिर (Temple) और स्थल है, जो काफी चमत्कारी है। जिनके साथ पौराणिक और बेहद रहस्यमयी कहानियां जुड़ी हुई है। जिसे आजतक वैज्ञानिक भी ना सुलाझा पाएं। इन्हीं जगहों में से एक है बद्रीनाथ धाम (Badrinath Dham) जो भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को समर्पित चार धाम मंदिरों (Char Dham Temple) में से एक है। आज हम आपको बद्रीनाथ धाम (Badrinath Dham) के पास स्थित एक ऐसे रहस्यम्यी कुंड के बारे में बताएंगे, जिसका पानी पूरे साल गर्म (Hot) रहता है। इस कुंड का पानी काफी चमत्कारी (Miracle) माना जाता है, जो शरीर की सभी समस्याओं का इलाज करता है। आइए जानते है इस कुंड से जुड़े दिलचस्प रहस्य (Mystery) के बारे में…
Badrinath Dham : इस कुंड का नाम है तप्त कुंड (सूर्यकुण्ड)
चारों धामों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ (Kedarnath Dham) और बद्रीनाथ हैं। बद्रीनाथ मंदिर (Badrinath Temple) चारों तरफ से बर्फ (Ice) के पहाड़ों से घिरा हुआ है। इस जगह का तापमान साल भर ठंडा (Cold) रहता है, लेकिन मंदिर से चंद मिनट की दूरी पर स्थित तप्त कुंड (Tapt Kund) है। इस कुंड का पानी साल भर गर्म रहता है। इसे भगवान अग्निदेव का वास माना जाता है। मान्यता है कि इस कुण्ड में स्नान करने से शरीर संबंधित सभी प्रकार के चर्म (Skin) रोगों से मुक्ति मिल जाती है। बाहर से छूने पर कुंड का पानी काफी गर्म (Hot) लगता है। लेकिन नहाते समय कुंड का पानी शरीर के तापमान (Temperature) जितना ही हो जाता है।
भगवान बद्रीनाथ ने किया था यहाँ तप
तप्त कुण्ड की मुख्य धारा को दो भागों बांट कर यहाँ महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग स्नान कुण्ड बनाया गया है। माना जाता है नीलकण्ठ की पहाड़ियों से इस पानी का उद्गम है। वहींं लोगों का कहना है कि जिसने भी जल्दबाजी में इस कुंड में छलांग लगाई वह दोगुनी रफ्तार से बाहर आ जाता है। इस तप्त कुण्ड के रहस्य की गुत्थी कई वैज्ञानिक (Scientist) भी सुलझा नहीं पाए हैं। माना जाता है कि भगवान बद्रीनाथ (Badrinath) ने यहाँ तप किया था। वही पवित्र स्थल आज तप्त कुण्ड के नाम से विश्व विख्यात है। मान्यता है कि उनके तप के रूप में ही आज भी उस कुंड में गर्म पानी रहता है।
ये है पौराणिक कथा
मान्यता ये भी है कि इस तप्त कुण्ड में साक्षात सूर्य देव विराजते हैं। वहाँ के पुरोहित बताते हैं कि भगवान सूर्य देव को भक्षा-भक्षी की हत्या (Murder) का पाप लगा था। तब भगवान नारायण के कहने पर सूर्य देव बद्रीनाथ (Badrinath) आये और तप किया। तब से सूर्य देव को भगवान ने जल रूप में विचलित किया। जिसमें स्नान कर लोग अपनी शरीर सम्बंधी सभी समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है। और भगवान के दर्शन कर पापों से मुक्ति पाते हैं। मंदिर (Temple) से महज चार किलोमीटर की दूरी बसा है माना गाँव कहते हैं। इसी गांव से धरती का स्वर्ग निकलता है। लोगों का ये भी कहना ये की यहाँ आने से पैसों सम्बंधित सभी परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है। यहां मौजूद गणेश गुफा, भीम पुल, व्यास गुफा अपने आप में कई पौराणिक कथाओं को समेटे हुए हैं।
जानिए बद्रीनाध धाम से जुड़ा ये रहस्य
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु (lord VIshnu) एक बार इस स्थान पर ध्यान के लिए बैठे थे। उस समय यहां का मौसम काफी ठंडा था, लेकिन देवी लक्ष्मी (Goddess Laxmi)ने बेर के पेड़ के रूप में इसकी रक्षा की। जब भगवान विष्णु को इस बारे में पता चला, तो वे देवी लक्ष्मी की भक्ति से प्रभावित हुए और उन्होंने पेड़ का नाम बद्री विशाल रखा। दुनिया भर से कई लोग बद्रीनाथ आते हैं और इस पेड़ के नीचे बैठकर ज्ञान की तलाश में ध्यान लगाते हैं। यहीं से इस तीर्थ का नाम पड़ा।
मंदिर में श्री शंकराचार्य के वंशज
कहा जाता है कि आदि श्री शंकराचार्य ने बद्रीनाथ मंदिर की फिर से स्थापना की थी। बद्रीनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी आदि श्री शंकराचार्य के वंश से हैं। चूंकि वे मंदिर में पुजारी के रूप में काम करते हैं, इसलिए उन्हें शादी करने की अनुमति नहीं है। स्त्री को छूना भी पाप है।
बद्रीनाथ के पास घूमने की जगह
बद्रीनाथ के आसपास देखने लायक बहुत कुछ है। घूमने के बाद आप नीतिघाटी, गोरसन बुग्याल, वसुधारा वाटरफॉल, अलकापुरी ग्लेशियर, सतोपंथ ट्रेक, गोविंदघाट, घांघरिया, फूलों की घाटी, हेमकुंड, जोशीमठ जैसी जगहों की सैर कर सकते हैं।
बद्रीनाथ का अंत
ऐसा माना जाता है कि बद्रीनाथ मंदिर का जोशीमठ के नरसिंह मंदिर से गहरा संबंध है। ऐसा माना जाता है कि नरसिंह मंदिर का एक किनारा समय के साथ पतला होता जा रहा है और स्थानीय लोगों का मानना है कि जिस दिन यह ढह जाएगा, नर और नारायण पर्वत (दो पहाड़ जहां कृष्ण और अर्जुन त्रेतायुग की शुरुआत से पहले यहां आए थे) ने ध्यान किया था। विलीन हो जाएगा और उसके बाद बद्रीनाथ मंदिर के दर्शन नहीं होंगे।