Religion

Naraka Chaturdashi : छोटी दिवाली को क्यों कहते है नरक चतुर्दशी, पढ़ें यह पौराणिक कथा

Naraka Chaturdashi : धनतेरस और दिवाली के बीच नरक चतुर्दशी (Naraka Chaturdashi) का त्योहार मनाया जाता है। इसे काली चौदस, नरक चौदस, रूप चौदस, छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म में जिस तरह दिवाली का विशेष महत्व है, ठीक उसी तरह छोटी दिवाली यानी नरक चतुर्दशी भी महत्वपूर्ण है। इस वर्ष नरक चतुर्दशी का त्योहार 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा। क्या आप जानते है कि Narak Chaturdashi को छोटी दिवाली क्यों कहते है, इसके पीछे का क्या कारण है। अगर नहीं तो फिर चलिए आपको इस बारे में विस्तार से बताते है।

Naraka Chaturdashi : इस दिन यमराज की पूजा का विधान

बता दें कि Naraka Chaturdashi पर यमराज की पूजा करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन यमदेव की पूजा करने अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है। साथ ही सभी पापों का नाश होता है, इसलिए शाम के बाद लोग अपने घरों में दीये जलाते हैं और यमराज की पूजा करते है। इस दौरान यमराज से अकाल मृत्यु से बचने के लिए और बेहतर स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना की जाती है।

Naraka Chaturdashi

इस दिन यमराज के लिए दीपक जलाने के साथ एक और कारण भी है दीप जलाने का। बता दें कि नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) के अगले दिन ही दिवाली होती है। इसलिए लोग आमतौर पर अपने घरों में दीपक जलाते हैं।

Naraka Chaturdashi : शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, 23 अक्टूबर 2022 को 6 बजकर 3 मिनट पर कार्तिक चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होगी, जो 24 अक्टूबर को 5 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगी। इस बार 23 अक्टूबर 2022, रविवार को नरक चतुर्दशी है, वहीं, काली चौदस मुहूर्त 23 अक्टूबर को 11 बजकर 40 मिनट से 24 अक्टूबर 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।

Narak Chaturdashi

इसलिए छोटी दिवाली को कहते है नरक चतुर्दशी

नरक चतुर्दशी (Naraka Chaturdashi) मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं। एक प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार नरकासुर नामक राक्षस था, जिसने सभी देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया, लेकिन अलौकिक शक्तियों के कारण उससे युद्ध करना देवताओं के वश में नहीं था, नरकासुर की यातनाएं बढ़ती गईं। तब सभी देवता भगवान श्री कृष्ण के पास पहुंचे, सभी देवताओं का यह हाल देख श्रीकृष्ण उनकी मदद को तैयार हो गए।

Narak Chaturdashi

जैसा कि नरकासुर को श्राप मिला हुआ था कि उसकी मृत्यु एक स्त्री के हाथों होगी। तब बड़ी चतुराई से भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी के सहयोग से कार्तिक के महीने में कृष्ण पक्ष के 14वें दिन नरकासुर राक्षस का वध कर दिया। बता दें कि नरकासुर का वध करने बाद भगवान श्री कृष्ण ने 16 हजार बंदी महिलाओं को मुक्त कराने का भी काम किया था। कहा जाता है कि यह महिलाएं नरकासुर के बंदी गृह में बहुत दिनों तक कैद थी। यही कारण है कि हम छोटी दिवाली के दिन को नरक चतुर्थी के रूप में भी मनाते हैं।

Naraka Chaturdashi : पूजा विधि

  • नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
  • नरक चतुर्दशी के दिन यमराज, श्री कृष्ण, काली माता, भगवान शिव, हनुमान जी और विष्णु जी के वामन रूप की विशेष पूजा की जाती है।
  • घर के ईशान कोण में इन सभी देवी देवताओं की प्रतिमा स्थापित करके विधि विधान से पूजन करें।
  • देवताओं के सामने धूप दीप जलाएं, कुमकुम का तिलक लगाएं और मंत्रो का जाप करें।

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