Somvati Amavasya: शनि के प्रकोप से बचने के लिए करें ये 3 उपाय
हिंदी पंचांग के अनुसार, आज 30 दिसंबर को Somvati Amavasya मनाई जा रही है। भारतीय संस्कृति और धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है, और पौष अमावस्या का यह दिन सोमवार को पड़ने के कारण इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इस अवसर पर भगवान विष्णु और महादेव की पूजा-अर्चना का महत्व है। व्रत कथा का पाठ करने और पूर्वजों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने से पूर्ण फल प्राप्त होता है और वे प्रसन्न होते हैं। यह दिन आध्यात्मिक उन्नति और पारिवारिक कल्याण के लिए खास माना गया है। इस दिन किए गए धार्मिक अनुष्ठान और उपाय बेहद प्रभावशाली माने जाते हैं। विशेष रूप से शनि दोष से बचने और शनि की कृपा पाने के लिए, सोमवती अमावस्या को कुछ विशेष उपाय करने का सुझाव दिया गया है। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में।
Somvati Amavasya पर करें ये विशेष उपाय
1. पिपल के वृक्ष की पूजा
Somvati Amavasya के दिन पिपल के वृक्ष का पूजन शनि दोष से मुक्ति पाने का प्रभावी तरीका है। पिपल के पेड़ के नीचे जल चढ़ाते हुए ‘ॐ नमः शिवाय’ या ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का जाप करें। सात बार परिक्रमा करके सरसों का तेल अर्पित करें। यह उपाय शनि देव का आशीर्वाद पाने में मदद करता है और शनि की महादशा के प्रभाव को कम करता है।
2. गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें
शनि दोष को कम करने और ग्रहों की दशा सुधारने के लिए दान का विशेष महत्व है। इस दिन सरसों का तेल, लोहे के बर्तन, काला तिल, और काले कपड़े दान करें। इससे न केवल आपके पुण्य बढ़ते हैं, बल्कि शनि देव की कृपा भी प्राप्त होती है।
3. सूर्य और चंद्रदेव की आराधना
सोमवती अमावस्या पर सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और सूर्यदेव को जल अर्पित करें। इसके बाद चंद्रदेव की आराधना करें। इन दोनों की पूजा आपके मानसिक और शारीरिक कष्ट दूर करने में मदद करती है, साथ ही शनि ग्रह के प्रभाव को भी संतुलित करती है।
ध्यान देने योग्य बातें
- इस दिन किसी भी शुभ कार्य का आरंभ करने से बचें।
- चावल, दूध और नमक का अधिक सेवन न करें।
- बड़ों और बुजुर्गों का आशीर्वाद लें।
सोमवती अमावस्या 2024 शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 30 दिसंबर को सुबह 04:01 बजे शुरू हुई है। यह तिथि 31 दिसंबर को सुबह 03:56 बजे समाप्त होगी। इसलिए, सोमवती अमावस्या का पावन पर्व 30 दिसंबर 2024 को मनाया जा रहा है।
सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) व्रत कथा (2024)
पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक साहूकार की बेटी का विवाह नहीं हो पा रहा था, जिससे परिवार परेशान था। एक साधु ने साहूकार की पत्नी को आशीर्वाद दिया लेकिन बेटी को नहीं। साहूकार ने पंडित से सलाह ली, जिन्होंने बताया कि विवाह के बाद बेटी को विधवा का जीवन जीना पड़ सकता है।
पंडित की सलाह से बेटी ने द्वीप पर धोबिन से सिन्दूर लेकर सोमवती अमावस्या व्रत किया। अच्छे कर्मों और विधिपूर्वक व्रत ने उसका भाग्य बदल दिया, और उसने सुखी जीवन व्यतीत किया।
||श्री शनि चालीसा||
दोहा
जय-जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महराज।
करहुं कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज।।
चौपाई
जयति-जयति शनिदेव दयाला।
करत सदा भक्तन प्रतिपाला।।
चारि भुजा तन श्याम विराजै।
माथे रतन मुकुट छवि छाजै।।
परम विशाल मनोहर भाला।
टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला।।
कुण्डल श्रवण चमाचम चमकै।
हिये माल मुक्तन मणि दमकै।।
कर में गदा त्रिशूल कुठारा।
पल विच करैं अरिहिं संहारा।।
पिंगल कृष्णो छाया नन्दन।
यम कोणस्थ रौद्र दुःख भंजन।।
सौरि मन्द शनी दश नामा।
भानु पुत्रा पूजहिं सब कामा।।
जापर प्रभु प्रसन्न हों जाहीं।
रंकहु राउ करें क्षण माहीं।।
पर्वतहूं तृण होई निहारत।
तृणहंू को पर्वत करि डारत।।
राज मिलत बन रामहि दीन्हा।
कैकइहूं की मति हरि लीन्हा।।
बनहूं में मृग कपट दिखाई।
मात जानकी गई चुराई।।
लषणहि शक्ति बिकल करि डारा।
मचि गयो दल में हाहाकारा।।
दियो कीट करि कंचन लंका।
बजि बजरंग वीर को डंका।।
नृप विक्रम पर जब पगु धारा।
चित्रा मयूर निगलि गै हारा।।
हार नौलखा लाग्यो चोरी।
हाथ पैर डरवायो तोरी।।
भारी दशा निकृष्ट दिखाओ।
तेलिहुं घर कोल्हू चलवायौ।।
विनय राग दीपक महं कीन्हो।
तब प्रसन्न प्रभु ह्नै सुख दीन्हों।।
हरिशचन्द्रहुं नृप नारि बिकानी।
आपहुं भरे डोम घर पानी।।
वैसे नल पर दशा सिरानी।
भूंजी मीन कूद गई पानी।।
श्री शकंरहि गहो जब जाई।
पारवती को सती कराई।।
तनि बिलोकत ही करि रीसा।
नभ उड़ि गयो गौरि सुत सीसा।।
पाण्डव पर ह्नै दशा तुम्हारी।
बची द्रोपदी होति उघारी।।
कौरव की भी गति मति मारी।
युद्ध महाभारत करि डारी।।
रवि कहं मुख महं धरि तत्काला।
लेकर कूदि पर्यो पाताला।।
शेष देव लखि विनती लाई।
रवि को मुख ते दियो छुड़ाई।।
वाहन प्रभु के सात सुजाना।
गज दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना।।
जम्बुक सिंह आदि नख धारी।
सो फल ज्योतिष कहत पुकारी।।
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।
हय ते सुख सम्पत्ति उपजावैं।।
गर्दभहानि करै बहु काजा।
सिंह सिद्धकर राज समाजा।।
जम्बुक बुद्धि नष्ट करि डारै।
मृग दे कष्ट प्राण संहारै।।
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।
चोरी आदि होय डर भारी।।
तैसहिं चारि चरण यह नामा।
स्वर्ण लोह चांदी अरु ताम्बा।।
लोह चरण पर जब प्रभु आवैं।
धन सम्पत्ति नष्ट करावैं।।
समता ताम्र रजत शुभकारी।
स्वर्ण सर्व सुख मंगल भारी।।
जो यह शनि चरित्रा नित गावै।
कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै।।
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला।
करैं शत्राु के नशि बल ढीला।।
जो पंडित सुयोग्य बुलवाई।
विधिवत शनि ग्रह शान्ति कराई।।
पीपल जल शनि-दिवस चढ़ावत।
दीप दान दै बहु सुख पावत।।
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा।
शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा।।
Somvati Amavasya के दिन इन उपायों को करने से शनि के प्रकोप से राहत मिलती है और जीवन में सकारात्मकता का आगमन होता है। पूजा और अनुष्ठानों के साथ कर्मों को शुद्ध रखें, क्योंकि शनि देव कर्म के देवता माने जाते हैं। अधिक जानकारी के लिए Live Hindustan पर जाएं।
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