Religion

Shri Ram Navami 2021: कल है रामनवमी, जानें पूजा करने की सही विधि

Religion Desk | हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को राम नवमी का पर्व मनाया जाएगा। इस बार ये पर्व 21 अप्रैल को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। इस दिन भगवान राम की उपासना के लिए विशेष तैयारियां की जाती हैं। भक्त व्रत रखते है। साथ ही राम नवमी (Ram Navami) के दिन हवन और कन्या पूजन का भी विधान किया जाता है। इस दिन का हिंदू समाज में विषेश महत्त्व है, तो आइए जानते हैं राम नवमी का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि।

Ram Navami: राम नवमी का महत्व

Shri Ram Navami 2021

राम नवमी (Ram Navami) का दिन रामभक्तों के लिए बहुत महत्व रखता है क्योंकि यह दिन भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन विष्णु जी के अवतार प्रभु श्री राम की पूजा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। भक्तों के जीवन से सभी कष्ट कट जाते हैं। इसके अलावा इस दिन नवरात्रि का समापन भी होता है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन को महानवमी कहते हैं। इस दिन पूजा अर्चना करने से राम जी की कृपा भी प्राप्त होती है।

राम नवमी (Ram Navami) का शुभ मुहूर्त

नवमी तिथि आरंभ: 21 अप्रैल, रात्रि 00:43 बजे से
नवमी तिथि समापन: 22 अप्रैल, रात्रि 00:35 बजे तक
पूजा का मुहूर्त: प्रात: 11 बजकर 02 मिनट से दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक
पूजा की कुल अवधि: 02 घंटे 36 मिनट
रामनवमी मध्याह्न का समय: दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर

हवन सामग्री

आम की लकड़ी, आम के पत्ते, पीपल का तना, छाल, बेल, नीम, गूलर की छाल, चंदन की लकड़ी, अश्वगंधा, मुलैठी की जड़, कपूर, तिल, चावल, लौंग, गाय की घी, इलायची, शक्कर, नवग्रह की लकड़ी, पंचमेवा, नारियल और जौ आदि हवन में प्रयोग होने वाली सभी सामग्री जुटाएं।

hawan

राम नवमी (Ram Navami) की पूजन विधि

  • हवन पर बैठने वाले व्यक्ति को रामनवमी के दिन प्रातः जल्दी उठना चाहिए।
  • शौच आदि से निवृत्त होकर स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करने चाहिए।
  • वैदिक शास्त्रों में ऐसा लिखा है कि यदि हवन पति-पत्नी साथ में करें तो उसका विशेष फल प्राप्त होता है।
  • सबसे पहले किसी स्वच्छ स्थान पर हवन कुंड का निर्माण करें।।
  • हवन कुंड में आम लकड़ी और कपूर से अग्नि प्रज्जवलित करें।
  • इसके बाद हवन कुंड में ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डयै विच्चै नमः का जाप करते हुए घी से माता के नाम की आहुति दें।
  • इसी के साथ अन्य देवी-देवताओं के नाम की आहुति दें।
  • हवन समाप्त होने के बाद माता की आरती करें ।
  • इसके बाद माता को खीर, हलवा, पूड़ी और चने का भोग लगाएं।
  • फिर प्रसाद यदि कन्या पूजन है तो कन्याओं को अन्यथा घर के सदस्यों में वितरित करें।