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Jagannath Temple: जगन्नाथ मंदिर के वो रहस्य, जो तमाम कोशिशों के बाद आज भी अनसुलझे हैं?

Jagannath Temple | हमारा देश भारत रहस्यों से भरा देश हैं और देश की सभ्यता और देश के मंदिर बहुत पुराने हैं, देश भर में ऐसे बहुत से मंदिर है जो हिंदुओं की आस्था का केंद्र माने जाते हैं जैसेकि केदारनाथ, बद्रीनाथ, श्री वैष्णो देवी, जगन्नाथ पुरी इत्यादि। देश मे स्थित हर मंदिर का कोई ना कोई रहस्य अवश्य हैं, आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका इतिहास हजारों सालों से भी पुराना है। हम बात कर रहे हैं भगवान विष्णु के कृष्ण अवतार को समर्पित ओडिशा में समुद्र के किनारे बसे जगन्नाथ मंदिर की, इस मंदिर में भगवान कृष्ण के दर्शन के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं। पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) के ऐसे बहुत से रहस्य हैं जो इतने सालों के बाद भी अभी तक अनसुलझे हैं, चलिए जानते हैं कि आखिरकार ऐसे कौन से रहस्य जुड़े हुए हैं जगन्नाथ मंदिर से।

समुद्र के निकट स्थित है जगन्नाथ मंदिर | Jagannath Temple

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भगवान कृष्ण का ये मंदिर वैसे तो समुद्र के नजदीक बसा हुआ हैं लेकिन इसमें रहस्य की बात ये हैं कि मंदिर में अंदर जाने के बाद आपको समुद्र की लहरों की आवाज बिल्कुल भी सुनाई नहीं देती हैं जबकि जैसे ही आप मंदिर से बाहर निकलते हैं आपको समुद्र की लहरें बड़ी आसानी से सुनाई देने लगती हैं। ये अपने आप में किसी चमत्कार से कम नहीं हैं, इस मंदिर का कोना-कोना रहस्य से भरा हुआ हैं।

पुराणों के अनुसार जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) को धरती का बैकुंठ माना जाता हैं और कहा जाता हैं कि भगवान श्रीकृष्ण अभी भी यहां मौजूद हैं, इस मंदिर में भगवान विष्णु का रूप अन्य विष्णु मंदिरों के मुकाबले थोड़ा अलग हैं।

जगन्नाथ मंदिर में नहीं होती प्रसाद की कमी

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इस मंदिर से जुड़ा एक और रहस्य ये हैं कि इस मंदिर में कभी भी भक्तों के लिए प्रसाद की कमी नहीं होती भले ही श्रद्धालुओं की कितनी भी संख्या क्यो ना हो, मंदिर के भंडार गृह में साल भर के प्रसाद के लिए सामग्री हमेशा उपलब्ध रहती हैं। मान्यता के अनुसार भगवान जगन्नाथ की कृपा से यहां कभी भी प्रसाद की कमी नहीं होती हैं, यहां प्रसाद जिस रसोई में तैयार किया जाता हैं वो भी अपने आप में एक रहस्य हैं।

यहां प्रसाद तैयार करते समय सात बर्तन एक-दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं और सबसे हैरानी की बात ये हैं कि जो बर्तन सबसे ऊपर होता हैं उसमें प्रसाद सबसे पहले तैयार होता हैं और फिर नीचे वाले बर्तनों में बनने वाला प्रसाद। जगन्नाथ भगवान के भोग को बनाने के लिए रसोई में 500 रसोईये एक साथ काम करते हैं और उनके साथ 300 सहायक उनकी मदद करते हैं, भगवान जगन्नाथ का प्रसाद केवल मंदिर बंद होने पर खत्म होता हैं।

हवा की विपरीत दिशा में लहराता हैं मंदिर का झंडा

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इस मंदिर से एक और रहस्य जुड़ा हुआ हैं कि मंदिर के शिखर पर लगा हुआ झंडा हमेशा बहने वाली हवा की विपरीत दिशा में लहराता हैं, इसके अलावा इस मंदिर के शिखर पर लगा हुआ झंडा हर दिन बदला जाता हैं बल्कि किसी और मंदिर का झंडा प्रतिदिन नहीं बदला जाता हैं। हर दिन जगन्नाथ मंदिर का पुजारी मंदिर के शिखर पर चढ़ कर मंदिर के ध्वज को बदलता हैं, मान्यता हैं कि अगर किसी दिन मंदिर के शिखर का ध्वज नहीं बदला गया तो मंदिर 18 साल के लिए बंद हो जाएगा।

मंदिर के शिखर पर सुदर्शन चक्र भी लगा हुआ हैं, इससे जुड़ा रहस्य ये हैं आप इस सुदर्शन चक्र को किसी भी दिशा में खड़े होकर देखे तो आपको यही लगेगा कि चक्र का मुख आपकी तरफ हैं। इस मंदिर की छाया भी अपने आप मे रहस्य हैं, इतना ऊंचा मंदिर होने के बावजूद इस मंदिर की छाया नीचे नहीं पहुंचती।

जगन्नाथ मंदिर के अंदर दबा हुआ है खजाना | Jagannath Temple

कहा जाता हैं कि ये जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) जितना ऊंचा हैं नीचे से उतना गहरा भी हैं, मंदिर के खजाने में रुपया-पैसा के अलावा सोना, चांदी, हीरे-जवाहरात भी हैं, ओडिशा कोर्ट के आदेशानुसार 16 सदस्यों की एक टीम यहां खजाने की जांच के लिए आई थी। कहा जाता हैं जांच के 2 महीने बाद मंदिर के खजाने के ताले की चाबी खो गई थी जो आज तक नहीं मिली हैं, जांच के लिए आई टीम के सदस्यों ने रत्न भंडार के रक्षक लोकनाथ की मूर्ति के पास शपथ ली थी कि मंदिर के खजाने के बारे में किसी को भी नही बताएंगे।

2011 में जगन्नाथपुरी के पास एक मठ से एक साधु 1 चांदी की ईंट चुरा कर ले गया था, उसके बाद जांच करने के लिए जब उस मठ के एक कमरे को खोला गया तो उसमें से 100 करोड़ से भी ज्यादा की कीमत की चांदी की ईंटे मिली, इसलिए इस बात का अंदाजा लगाया जा रहा हैं कि मंदिर में बहुमूल्य खजाने का भंडार हैं।