महाशिवरात्रि विशेष : देश में स्थित चमत्कारी शिवलिंग जो इन चमत्कारों के लिए हैं प्रसिद्ध
फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को देशभर में महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन पूरे देश में इसकी छटा देखने को मिलती है। इस बार महाशिवरात्रि 11 मार्च यानी आज के दिन पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था और तब से आज तक इस दिन को महाशिवरात्रि के दिन नाम से जाने जाने लगा है। शिव की महिमा अपरंपार है ये सर्वविदित है। देश में ऐसे कई चमत्कारी शिवलिंग है जो अपने अद्भुत चमत्कारों से प्रसिद्ध है।
देश में हैं ऐसे भी अद्भुत शिवलिंग
आज हम आपको ऐसे ही कुछ चमत्कारी शिवलिंग के रहस्य और उसके चमत्कार के बारे में बताएंगे जो आज तक रहस्य बना हुआ है। क्या आपने रंग बदलने वाले शिवलिंग के बारे में सुना है नहीं ना , तो चलिए आज हम आपको शिवलिंग की ऐसी दुनिया से रूबरू करवाएंगे जिसको जानने के बाद आप भी आश्चर्यचकित हो जायेंगे। आइये जानते हैं हमारे देश में ऐसे चमत्कारी शिवलिंग कहां-कहां विराजमान है।
बिजली महादेव मंदिर
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में ऊंचे पर्वत पर यह मंदिर स्थित है। इस मंदिर में विराजमान शिवलिंग पर हर हर साल बिजली गिरती है और वह खंडित हो जाता है। लेकिन मंदिर को जरा भी नुकसान नहीं होता है। यह शिवलिंग बिजली महादेव के नाम से जाना जाता हैं।
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर
यह मंदिर गुजरात के बड़ौदा जिले में स्थित है। इसकी खूबी यह है कि यह मंदिर बीच समुद्र में स्थित है,जिसका निर्माण भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने करवाया था। इस मंदिर में स्थित शिवलिंग का जलाभिषेक खुद सागर करता है। आपको बता दें कि पूरे दिन में दो बार समुद्र का जल स्तर बढ़ता है और उसमें यह मंदिर पूरी तरह से डूब जाता है, लेकिन जैसे ही ऊपर जल स्तर कम होता है मंदिर दोबारा दिखने लगता है।
लुटरु महादेव मंदिर
हिमाचल के अर्की सोलन जिले में ये मंदिर स्थित है। यह मंदिर एक गुफा के अंदर है, जिसमें प्राकृतिक शिवलिंग मौजूद है। इस शिवलिंग में असंख्य छेद हैं। इसके चमत्कार के बारे में जानकर आप सब आश्चर्यचकित होंगे क्योंकि यह शिवलिंग सिगरेट पीते हैं। यहां पर जो भी भक्त दर्शन करने आता है वह शिवलिंग के छेद में सिगरेट फंसा देता है और कुछ देर बाद ही सिगरेट खुद ही सुलगने लगती है। ऐसा लगता है मानो कोई उस सिगरेट को पी रहा है।
महादेवशाला धाम
यह अनोखा मंदिर झारखंड की गोइलकेरा में महादेव शाला धाम मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। इस शिवलिंग की विशेषता ये है कि ये दो भागों में खंडित है और बावजूद इसके इस शिवलिंग की पूजा की जाती है। झारखंड के देवघर जिले में बासुकीनाथ मंदिर में यह शिवलिंग स्थित है ,जहां भक्त रोज पूजा करने आते हैं।
अचलेश्वर महादेव मंदिर
यह मंदिर राजस्थान के धौलपुर में अचलेश्वर महादेव के नाम से जानी जाती है। मंदिर की अपनी अलग ही गरिमा है। ऐसी मान्यता है कि मंदिर में स्थित शिवलिंग का रोजाना दिन में तीन बार रंग जरूर बदलता है। जहां सुबह में शिवलिंग का रंग लाल होता है तो वहीं दोपहर में केसरिया हो जाता है और शाम को शिवलिंग श्यामा रंग में बदल जाता है।
कालेश्वर महामंदिर और बनखंडी महादेव मंदिर
उत्तर प्रदेश में एक शिवलिंग ऐसा है जो अपने रंग बदलने को लेकर प्रसिद्ध है। यूपी के घाटमपुर तहसील में यह मंदिर कालेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। इसके बारे में कहा जाता है कि सूर्य की रोशनी में ये शिवलिंग तीन बार रंग बदलता दिखाई देता है। इस चमत्कार को देखने के लिए लोगों की भीड़ दूर-दूर से इकट्ठी होती है। इसी तरह यूपी के चकरपुर के जंगल में बनखंडी महादेव मंदिर भी बहुत चमत्कारी है। वहां लोगों का कहना है कि रोहिणी नक्षत्र में जब शिवरात्रि पड़ती है तब शिवलिंग सात बार रंग बदलता है। ऐसा क्यों होता है इस रहस्य को आज तक कोई नहीं जान पाया है।
मतंगेश्वर शिवलिंग
यह मंदिर मध्यप्रदेश के खजुराहो में स्थित है जो मतंगेश्वर शिवलिंग के नाम से जाना जाता है। यह शिवलिंग हर साल तिल के आकार में बढ़ता है। आपको बता दें कि ये शिवलिंग जमीन के ऊपर जितना है उतना ही शिवलिंग जमीन के नीचे भी है। ऐसी मान्यता है कि इस शिवलिंग की पूजा खुद भगवान श्रीराम ने अपने हाथों से की थी।
कल्याणेश्वर महादेव मंदिर
यह मंदिर उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में स्थित है। इस मंदिर के शिवलिंग का रहस्य बहुत ही अद्भुत है। लोगों का कहना है कि जब भी लोग शिवलिंग पर दूध और जल चढ़ाते हैं तो वह तुरंत जमीन में समा जाता है। वह कहां जाता है उसका क्या होता है आज तक कोई भी इस गूढ़ रहस्य को समझ नहीं पाया है।
भूतेश्वर शिव मंदिर
यह मंदिर छत्तीसगढ़ के मरौदा गांव में स्थित है। इस मंदिर में स्थित शिवलिंग हर साल करीब 6 से 8 इंच तक बढ़ता है। इस शिवलिंग की आज के समय में लंबाई करीब 18 फीट है। आपको बता दें कि राज्य के राजस्व विभाग हर साल इस शिवलिंग का माप रिकॉर्ड लेते हैं।