Religion

Diwali 2022 : दिवाली पर क्यों बनाते हैं मिट्टी का घरौंदा, जानें इससे जुड़ी पौराणिक मान्यता

Diwali : हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि को बड़े ही धूमधाम से दीवाली (Diwali) का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह त्योहार 24 अक्टूबर 2022 को मनाया जाएगा। इस दिन विशेष रूप से भगवान गणेश (Lord Ganesha) और माता लक्ष्मी (Goddess Laxmi) की पूजा की जाती है। इस त्योहार को लेकर पूरे देशभर में अलग-अलग तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं। Diwali के दिन कुछ लोग रंगोली बनाते हैं, तो कहीं दियों औ रंग-बिरंगी लाइट्स से घरों को सजाया जाता है। वहीं कई जगह इस दिन मिट्टी का घरौंदा बनाने की परंपरा भी है, लेकिन क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों किया जाता है, इससे जुड़ी पौराणिक मान्यता क्या है। शायद बहुत कम ही लोग होंगे जो ये जानते होंग, कुछ लोगों को तो शायद ये भी न पता हो कि मिट्टी का घरौंदा होता क्या है, तो फिर चलिए आपको इस बारे में विस्तार से बताते है।

Diwali : क्यों बनाते हैं मिट्टी का घरौंदा

मिट्टी से एक छोटा सा घर तैयार करने को मिट्टी का घरौंदा कहते है। इसे बनाने में कुंवारी लड़कियां का विशेष योगदान होता है, घर तैयार होने के बाद उसे रंगों से सजाया जाता है। वहीं कई लोग इसे बनाने के बाद इसमें मिठाई, फूल और बताशे रखते हैं। कहा जाता है ऐसा करने घर में सुख-समृद्धि आती है। बता दें कि आज भी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के ज्यादातर घरों में Diwali पर मिट्टी का घरौंदा बनाने की परंपरा है।

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मिट्टी का घरौंदा के साथ रंगोली भी बनाते है

बता दें कि मिट्टी के घरौंदा के सामने रंगोली भी बनाई जाती हैं। माना जाता है कि दिवाली (Diwali) के दिन लोग घरों में साफ-सफाई करके रंगोली बनाते हैं उसी प्रकार से मिट्टी के घरौंदे के सामने भी रंगोली बनाई जाती है।

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मिट्टी का घरौंदे के सामने रंगोली बनाने के लिए चावल और गेहूं के आटे का उपयोग किया जाता है। आपको बता दें कि घरौंदा की सजावट के लिए तरह-तरह के रंग-बिरंगे कागज और फूलों का इस्तेमाल भी किया जाता है।

क्या है पौराणिक मान्यता

कुछ लोगों का मानना है कि मिट्टी का घरौंदा बनाने की परंपरा भगवान राम और अयोध्या के लोगों से जुड़ी है। जब भगवान राम (Lord Rama) अपना चौदह साल का वनवास पूरा करके अयोध्या वापस लौटे थे, तब उनके स्वागत के लिए पूरी अयोध्यानगरी को सजाया गया था, जिसके बाद अयोध्या वासियों ने अपने घरों में घी के दीपक जलाए थे। अयोध्यावासियों का मानना था कि भगवान राम के वापस लौटने के बाद उनकी नगरी फिर से आबाद हुई है, इसी को देखते हुए लोगों ने अपने-अपने घरों में घरौंदा बनाकर उसे सजाने की परंपरा शुरु की।

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दूसरी मान्यता

वहीं दूसरी मान्यता है कि ऐसा कि अयोध्या के लोगों ने भगवान राम के आने की खुशी में घी के दीपक जलाएं थे, लेकिन मिथिला के लोग इसलिए खुश थे कि उनकी बेटी सीता का घर 14 साल बाद फिर से बसा है। इसी घर के बसने को घरौंदे से प्रतीकात्मक रूप से व्यक्त किया गया। तब घरौंदा बनाना संपन्नता की निशानी मानी जाती है।

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