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कृष्ण जन्माष्टमी विशेष : जब-जब धरती पर बढ़े पाप, तब-तब लिए भगवान ने ये अवतार

Youthtrend Religion Desk : पुराणों के अनुसार जब-जब धरती पर पाप बढ़ता हैं तब-तब भगवान ने पाप को खत्म करने के लिए धरती पर जन्म लिया हैं इस बात का प्रमाण बहुत बार देखने को मिला हैं, कहा जाता हैं कि भगवान विष्णु के 10 अवतार हुए हैं, और हर अवतार ने धरती पर जन्म पाप के खात्मे के लिए लिया हैं, जब श्रीकृष्ण ने अर्जुन को महाभारत युद्ध के दौरान कुरुक्षेत्र की रणभूमि पर गीता उपदेश दिया था तो उसके चौथे अध्याय में भगवान कहते हैं कि “यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत, अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम”, इसका आशय हैं कि जब-जब धरती पर धर्म की हानि होती हैं तब-तब मैं यानी विष्णु स्वयं की रचना करता हूं और धर्म की पुनःस्थापना, दुष्टों के विनाश और मानव की रक्षा हेतु अलग-अलग काल में जन्म लेता हूं। आज के इस लेख में हम श्रीविष्णु के 10 अवतारों के बारें में जानेंगे।

मत्स्य अवतार

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कहा जाता हैं कि एक राक्षस ने वेदों को चुराकर समुद्र की गहराइयों में छिपा दिया था तब वेदों को पुनः प्राप्त करने के लिए भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था, ये श्रीविष्णु का पहला अवतार था, इस अवतार में श्रीविष्णु ने मछली रूप में अवतरित होकर समुद्र की गहराइयों में जाकर वेदों को प्राप्त किया था और उन्हें उनके स्थान पर स्थापित किया था।

कूर्म अवतार

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श्रीविष्णु के इस अवतार को कछप अवतार भी कहा जाता हैं, पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने इस अवतार में कछुए का रूप धारण किया था, इस अवतार में श्रीविष्णु ने समुद्र मंथन में भूमिका निभाई थी, कहा जाता हैं कि जब दैत्य और देवताओं के बीच समुद्र मंथन चल रहा था तो मंदराचल पर्वत को मथानी बनाया गया था पर मंदराचल पर्वत के नीचे आधार ना होने की वजह से वो समुद्र में डूबने लगा था तब श्रीविष्णु ने कछुए (कूर्म) का रूप लेकर मंदराचल का आधार बने और उसके बाद ही समुद्र मंथन पूरा हुआ।

वराह अवतार

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भगवान हरि के तीसरे अवतार को वराह अवतार करा जाता हैं, मान्यता हैं कि जब राक्षस हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को समुद्र में छिपा दिया था तो भगवान ने ब्रह्मा जी की नाक से अवतार लिया और थूथनी की मदद से पृथ्वी को ढूंढ लिया, अंत में उन्होंने इसी रूप में राक्षस का वध भी किया।

नृसिंह अवतार

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जब धरती पर राजा हिरण्यकश्यप का पाप बढ़ने लगा था और जब वो अपने पुत्र और श्रीविष्णु के परमभक्त को मारने का प्रयास कर रहा था तो श्रीहरि ने नृसिंह अवतार लिया था जिसमें उनका मुख तो सिंह का था जबकि बाकी शरीर इंसान का था, राजा के महल के स्तंभ में से प्रकट होकर भगवान नृसिंह ने हिरण्यकश्यप का वध किया।

वामन अवतार

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ये भगवान विष्णु का पांचवा अवतार हैं, इस अवतार में भगवान ने बालक रूप में ब्राह्मण का रूप लिया था, कहा जाता हैं कि प्रहलाद के पौत्र बलि ने स्वर्गलोक पर आधिपत्य स्थापित कर लिया था तब भगवान ने वामन रूप धारण करके राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी, तो उन्होने पहले पग में धरती, दूसरे पग में स्वर्ग और तीसरे पग में राजा बलि के कहने पर उसके सिर पर पग धर दिया, इस तरह वामन देव ने स्वर्गलोक वापस प्राप्त करके देवताओं को सौंप दिया।

श्रीराम अवतार

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त्रेतायुग में राजा रावण का अत्याचार बहुत ज्यादा बढ़ चुका था तो रावण के संहार के लिए माता कौशल्या के गर्भ से जन्म लिया और रावण के साथ युद्ध में रावण का वध किया

श्रीकृष्ण अवतार

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द्वापरयुग में भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण का जन्म लेकर अत्याचारी और पापी राजा कंस का वध किया, इस अवतार में श्रीविष्णु ने कंस के कारागार में जन्म लिया था, कंस का संहार करने के अलावा उन्होंने महाभारत के युद्ध में अर्जुन का सारथी बनकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

परशुराम अवतार

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भगवान विष्णु ने परशुराम अवतार राजा प्रसेनजित की बेटी रेणुका और भृगुवंशीय के यहां लिया था, भगवान परशुराम भगवान शिव के परम भक्त थे, शुरू में इनका नाम सिर्फ राम था लेकिन भोलेनाथ ने इनकी शिवभक्ति से प्रसन्न होकर परशु नामक अस्त्र दिया था जिसके बाद ही इनका नाम परशुराम पड़ा, इनका जन्म दुनिया को क्षत्रियों के अहंकार से बचाने के लिए हुए था।

बुद्ध अवतार

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बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध को भी विष्णुजी का ही एक अवतार माना जाता हैं, गौतम बुद्ध का जन्म शाक्य राजा के रूप में हुआ था इनका नाम सिद्धार्थ था, कहा जाता हैं कि जब दैत्यों का धरती पर पाप बढ़ गया था तो भगवान बुद्ध ने जन्म लेकर दैत्यों को अहिंसा का उपदेश दिया।

कल्कि अवतार

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पुराणों के अनुसार ये भगवान विष्णु का दसवां अवतार होगा जो कलयुग में होगा, उनका ये अवतार 64 कलाओं से संपन्न होगा, बताया जाता हैं कि इस अवतार में भगवान विष्णु विष्णुयशा नामक तपस्वी के यहां होगा, इस जन्म में वो पापियों का सर्वनाश करेंगे और इसी के साथ सतयुग शुरू होगा।

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