Lumpy Virus : राजस्थान के रेगिस्तान की असलियत, अचनाक कैसे बना ये श्मशान
Lumpy Virus : पिछले कुछ समय से राजस्थान में लंपी वायरस (Lumpy Virus) गोवंश (Cattel) पर कहर बरपा रहा है। जिसके चलते स्थिति काफी भयावह होती दिख रही है। इस खतरनाक वायरस ने पश्चिमी राजस्थान (Rajasthan) के रेगिस्तान को श्मशान में बदल दिया है। रेगिस्तान (Desert) में हुए बड़े-बड़े गड्ढे इस बात की गवाही दे रहे है कि गायों पर लंपी वायरस (Lumpy Virus) का कहर काल बनकर बरस रहा है। यहां एक ही गड्ढे में एक दर्जन से अधिक गायों (Cow) को दफनाया जा रहा है। वहीं सरकार और प्रशासन बार-बार दावा कर रहा है कि लंपी की चपेट में आए गोवंश को मौत के बाद दफनाया जा रहा है लेकिन बाड़मेर शहर के अरिहंत नगर से जो भयावह तस्वीरें सामने आई है। इसे देखकर रूह कांप उठेगी। यहां पर गोवंश को मौत के बाद खुले में फेंका जा रहा है जिसका स्थानीय लोगों ने जब विरोध किया तो अब गोवंश को दफनाना शुरू किया गया है। आइए जानते है कि आखिर क्या है लंपी (Lumpy Virus) वायरस, जिसने राजस्थान में तबाही मचाई है…
Lumpy Virus का कहर
बता दें कि देश के 12 राज्यों में इन दिनों लंपी वायरस (Lumpy Virus) नामक बीमारी पशुओं को निगल रही है। खासकर, राजस्थान (Rajasthan) में इसका कहर टूट रहा है। राज्य में 57 हजार मवेशियों की इस बीमारी से जान जा चुकी है। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश (UP), उत्तराखंड (Uttarakhand), मध्य प्रदेश (MP), हरियाणा और पंजाब समेत देश के अन्य राज्यों में मवेशी को बचाने के लिए बड़े पैमाने पर कदम उठाए जा रहे हैं।
क्या है Lumpy Virus?
कैपरी पॉक्स वायरस को लंपी वायरस (Lumpy Virus) के तौर पर जाना जाता है. इसे ढेलेदार त्वचा (Skin) रोग वायरस भी कहते हैं। इस वायरस की शुरुआत पॉक्सविरिडाए डबल स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस परिवार से होती है। पॉक्सविरिडाए को पॉक्स वायरस भी कहते हैं. इसके प्राकृतिक मेजबान रीढ़ और बिना रीढ़ वाले जंतु होते हैं। इस परिवार में वर्तमान में 83 प्रजातियां हैं जो 22 पीढ़ी और दो उप-परिवारों में विभाजित हैं। इस परिवार से जुड़ी बीमारियों में स्मॉलपॉक्स यानी चेचक (Smallpox) भी शामिल है।
कैपरीपॉक्स वायरस पॉक्सविरिडाए परिवार के एक उप-परिवार कॉर्डोपॉक्सविर्नी के वायरस की जीनस है। इस वायरस के जैविक वर्गीकरण के लिए ‘जीनस’ शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। आसान शब्दों में इसे ‘विषाणुओं की जाति’ कह सकते हैं। जीनस में तीन प्रजातियां होती हैं
- शीप पॉक्स (SPPV)
- गोट पॉक्स (GTPV)
- लंपी स्किन डिसीज वायरस (LSDV)
अध्ययनों से पता चला है कि जिराफ और इम्पाला भी लंपी वायरस के लिए बेहद ग्रहणशील होते हैं। यह वायरस एशिया (Asia) और अफ्रीका (Africa) में पाया जाता है. कीट-पतंगे इसके लिए रोगवाहक के रूप काम करते हैं जो इस बीमारी को एक पशु से दूसरे में फैला देते हैं। कहा जाता है कि इंसान कैपरी पॉक्स वायरस से संक्रमित नहीं हो सकते हैं।
Lumpy Virus के लक्षण
आम तौर पर पशुओं की खाल पर गांठें पढ़ जाती है फिर उनमें पस पड़ जाता है। घाव आखिर में खुजली वाली पपड़ी बन जाते हैं, जिस पर वायरस महीनों तक बना रहता है। यह वायरस जानवर की लार, नाक के स्राव और दूध में भी पाया जा सकता है। इसके अलावा, पशुओं की लसीका ग्रंथियों में सूजन आना, बुखार आना, अत्यधिक लार आना और आंख आना, वायरस के अन्य लक्षण हैं।
राजस्थान में लंपी वायरस ( (Lumpy Virus) से हालत इतने बत्तर है कि एक ही गड्ढे में एक दर्जन से अधिक गायों को दफनाया गया है। बाड़मेर शहर के अरिहंत नगर में गोवंश को मौत के बाद खुले में फेंका जा रहा है जिससे ना सिर्फ वातावरण दूषित हो रहा है बल्कि लोगों का रहना और सांस लेना भी मुश्किल हो गया है, क्योंकि मृत गोवंश में कीड़े रेंग रहे है और भयंकर बदबू पूरे क्षेत्र में फैल रही है। लंपी वायरस (Lumpy Virus) की चपेट में आए गोवंश को मौत के बाद दफनाया तो जा रहा है, लेकिन रोहिली गांव से ऐसी तस्वीरें इस सामने आई हैं, जहां गोवंश को दफनाने की बजाय बड़े गढ्ढों में खुले में फेंका जा रहा है।
Lumpy Virus से घटा दूध का उत्पादन
बता दें कि राजस्थान ( (Rajasthan) में फैले लंपी वायरस (Lumpy Virus) से लगातार गोवंश की मौत हो रही है जिससे जिले में दूध का उत्पादन (Production) भी आधा हो गया है और दुग्ध निर्मित उत्पाद जैसे छाछ, पनीर मक्खन, घी पर भी भारी असर पड़ रहा है। जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ सरस केंद्र में दूध समेत दूध निर्मित उत्पादों में भारी कमी आई है. जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के प्रबंध संचालक ओ. पी. सुखाड़िया के मुताबिक गोवंश में फैली लंपी बीमारी का असर दुग्ध उत्पादों पर पड़ रहा है, जिससे जिले के अलग-अलग इलाकों से करीब 15 हजार लीटर दूध एकत्रित किया जाता था लेकिन अब 8 हजार लीटर दूध ही मिल पा रहा है।
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