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हौसले को सलाम, बेटे की जान बचाने को पिता ने साइकिल से तय की 300 किलोमीटर की दूरी

हौसले को सलाम | जब हम किसी से सच्चा प्यार करते है तो उसके लिए हर तकलीफ और दर्द भी झेलने के लिए तैयार रहते है और उनके लिए हर मुश्किल से भी लड़ सकते है, वैसे भी कहा जाता है कि माता-पिता को अपनी संतान से बेहद लगाव और प्यार होता है और वो उन्हें कभी भी दुख में नहीं देख सकते। भले ही माता-पिता कितनी भी मुसबित में हो या उन्हें कोई समस्या हो पर अपने बच्चों के आगे वो सब कुछ भूल जाते है। आज हम आपको एक ऐसे पिता की दिलेर कहानी बताने जा रहे है जिन्होंने अपनी परवाह ना करते हुए अपने बेटे के लिए ऐसा काम किया है जिसके बाद उनकी हर जगह तारीफ की जा रही है। दरअसल ये सच्ची घटना है कर्नाटक के एक छोटे से गांव में रहने वाले आनंद की जिन्होंने अपने बीमार बेटे के लिए कुछ ऐसा किया जो काफी काबिले तारीफ है और अब हर कोई इनके हौसले को सलाम कर रहा है।

हौसले को सलाम: बेटे के इलाज के लिए 4 दिन चलाई साइकिल

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भारत के इस गांव में अब तक एक भी व्यक्ति नहीं है कोरोना संक्रमित

कर्नाटक राज्य के टी नरसीपुरा तालुके के गनिगन कोप्पलु गाँव मे रहने वाले आनंद जो एक मजदूर है, उन्होंने अपने बेटे के इलाज हेतु 300 किलोमीटर साइकिल चला कर बैंगलोर से दवाई ले कर आए। आनंद का बेटा बचपन से ही एक दिमागी बीमारी से पीड़ित है और इनकी दवाई लगातार रूप से जारी है, आनंद हमेशा अपने बेटे के लिए दवाई बैंगलोर के निमहान्स अस्पताल से लेकर आते थे क्योंकि उन्हें वहां ये दवाइयां मुफ्त में मिल जाती थी।

लॉकडाउन के चलते नहीं मिला कोई साधन

डॉक्टरों ने आनंद को सलाह दी थी कि उनके बेटे के इलाज के लिए दी जाने वाली दवाइयों में कोई भी ढील नहीं बरती जानी चाहिए क्योंकि इससे उनके बेटे का इलाज प्रभावित हो सकता है। राज्य में लॉकडाउन के चलते परिवहन समस्या बंद थी ऐसे में आनंद के सामने समस्या बैंगलोर जाकर दवाई ले कर आनी की थी, इसके लिए उन्होंने अपने जानकारों से मदद लेनी चाही पर किसी ने भी उनकी मदद नहीं करी।

जब उन्हें कही से भी मदद मिलती हुई दिखाई नहीं दी तो उन्होंने अपनी पुरानी साईकल जो थोड़ी टूटी-फूटी हुई थी, से ही बैंगलोर जाने की ठानी। उन्होंने बैंगलोर से आने-जाने के 300 किलोमीटर का मुश्किल सफर 4 दिन में तय किया। आनंद ने एक रात तो बैंगलोर से 60 किलोमीटर पहले एक मंदिर में बिताई, तो अगली रात उन्होंने बैंगलोर में बिताई जहां उन्हें खाने के लिए खाना मिला।

बेटे के लिए साइकिल से लाये दवा

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आनंद ने बेटे के लिए बैंगलोर से दवाई ले कर आने के लिए साईकल से बैंगलोर का सफर 4 दिनों में तय किया, आनंद ने अपनी यात्रा जब शुरू की तो उन्हे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। उन्हें कभी तेज धूप और गर्मी से दो-चार होना पड़ा तो कभी पुलिस ने उन्हें रोका लेकिन जब उन्होंने बैंगलोर जाने की बात बताई तो उन्हें जाने दिया, उन्होंने काफी किलोमीटर सायकल तो भूखे पेट ही चलाई थी।

मंगलवार सुबह आनंद से अस्पताल से दवाई ली जिसके बाद डॉक्टर ने उन्हें मदद के रूप में 1000 रुपये की आर्थिक सहायता की, जिसके बाद बुधवार शाम तक वो अपने गांव लौट आये थे। आनंद के परिवार में उनके बेटे के अलावा एक बेटी भी है, लगातार चार दिन साईकल चलाने के बाद उनकी कमर में दर्द है।