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AIIMS डायरेक्टर Randeep Guleria ने कोरोना के Airborne Transmission पर दी अहम जानकारी

News Desk | कोरोना महामारी के मामले कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं, भारत में हर दिन 2 लाख से ज्यादा नए केस एक्‍टिव हो रहे हैं। बता दें कि कोविड-19 समय के साथ अपना रूप बदलता जा रहा है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, अब ये वायरस हवा में भी घुल चुका है। हाल ही में प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल ‘द लांसेट’ में छपी एक स्टडी में इस बात का दावा किया गया कि वायरस का ज्यादातर ट्रांसमिशन हवा के रास्ते (Airborne Transmission) से हो रहा है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया (Randeep Guleria) ने भी इस बात की पुष्टि की है।

Randeep Guleria ने बताया हवा में ऐसे फैलता है वायरस

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Randeep Guleria बताते है कि जब कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है या वो फिर ज़ोर से चिल्लाकर बोलता है या गाने गा रहा होता है तो इस दौरान उसके मुंह और नाक से कई Droplets हवा में घुल जाते हैं. और अगर ये व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित है तो फिर इन Droplets में वायरस मौजूद हो सकता है। यानी इस तरह से वायरस हवा में आता है (Airborne Transmission) और फिर जब कोई दूसरा व्यक्ति उस हवा में सांस लेता है तो ये उसे संक्रमित कर देता है।

Airborne Transmission ‘The Lencet’ की रिपोर्ट

AIIMS के डायरेक्टर Randeep Guleria के अलावा प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल ‘The Lancet’ द्वारा किए गए ये अध्ययन अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा के 6 विशेषज्ञों ने मिल कर किया है और उनकी पूरी रिपोर्ट का सार ये है कि कोरोना वायरस के Airborne Transmission यानी हवा के माध्यम से फैलने के पुख्ता सबूत प्राप्त हुए है। पिछले साल जब कोरोना वायरस आया था, तब सोशल डिस्टेंसिंग यानी दो गज की दूरी का नियम इसलिए बनाया गया क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना था कि अगर कोई व्यक्ति संक्रमित मरीज़ से दो गज की दूरी पर खड़ा होता है तो वो इससे संक्रमित नहीं होगा।

मरीज़ के Droplets हवा में तो जाएंगे लेकिन वो उस व्यक्ति तक पहुंचते-पहुंचते प्रभावी नहीं रहेंगे, लेकिन अब ये स्टडी कह रही है कि अगर किसी एक कमरे में पांच लोग मौजूद हैं या 10 लोग मौजूद हैं और सभी एक दूसरे से दो गज की दूरी पर खड़े हुए हैं और उनमें से एक व्यक्ति कोरोना से संक्रमित है तो सभी लोगों पर ये वायरस हमला कर देगा।

AIIMS डायरेक्टर Randeep Guleria और लांसेट के अलावा ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की टीम ने भी इस रिसर्च की समीक्षा की है और हवा में वायरस के फैलने के दावों को हाइलाइट किया है। इस स्टडी में कहा गया है कि इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैं कि बड़े ड्रॉपलेट्स से ही कोरोना वायरस का प्रसार होता है। इसमें कहा गया है कि यह प्रमाणित हो चुका है कि यह वायरस हवा के जरिए तेजी से फैलता है।

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कैसे रोक सकते हैं संक्रमण

रिसर्च में एक्सपर्ट्स का मानना है कि हवा से फैलने वाले संक्रमण को रोकने के लिए वेंटिलेशन और एयर फिल्ट्रेशन बहुत जरूरी है। भीड़ में कम रहें, घर के अंदर कम से कम समय बिताएं या फिर अपने कमरे में किसी भी दूसरे व्यक्ति को न आने दें। घर के अंदर रहते हुए भी मास्क पहनें और अगर किसी कमरे में बाहर के लोगों का आना-जाना लगा रहता है तो उसमें वेंटिलेशन की व्यवस्था करें। मास्क की क्वॉलिटी और फिटिंग पर ध्यान दें। उच्च गुणवत्ता के पीपीई किट पहनकर ही संक्रमित व्यक्ति से मिलें।