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वाजपेयी जी के जीवन में बेहद खास रहा है कमरा न. 104, जाने क्या है कनेक्शन

Youthtrend News Desk : भारतीय राजनीति के भीष्म पितामह कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के स्वर्गवास को दो साल पूरे हो चुके हैं, अटल जी की पुण्यतिथि के अवसर पर बहुत से लोगों ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पण किए और उन्हें याद किया, 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में एक ऐसे शख्स का जन्म हुआ था जिसने आने वाले समय में भारतीय राजनीति को हिला कर रख दिया था, जी हां वो अटल बिहारी वाजपेयी जी ही थे जिन्होंने देश सेवा के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था।

पत्रकार बनने की चाह रखने वाले अटल कैसे बढ़े राजनीति की तरफ

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वैसे तो अटल जी शुरू से ही एक पत्रकार बनना चाहते थे, अटल जी ने 1945 में कानपुर के डीएवी कॉलेज में राजनीति शास्त्र से एमए करने के लिए दाखिला लिया था, कॉलेज के माहौल ने उन्हें राजनीति में उतरने के लिए मजबूर कर दिया, इससे पहले 1942 में अटल जी ने देश की आजादी की लड़ाई में भाग लिया और मात्र 16 वर्ष की आयु में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे, आज़ादी की लड़ाई में उन्हें 24 दिनों तक जेल की हवा भी खानी पड़ी।

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डीएवी कॉलेज के 104 नं कमरें में होती थी बैठकें

जब राजनीति की तरफ अटल जी की दिलचस्पी बढ़ने लगी तो कॉलेज के रूम नं 104 में प्रतिदिन अटल जी बैठक रखते थे जहां राजनीतिक मुद्दों पर अक्सर बहस होती थी, अटल जी की वाणी और उनकी कविताओं से युवा पीढ़ी प्रेरित होने लगी थी इसी वजह से जब भी वो कभी भी कॉलेज में किसी विषय पर भाषण देते तो वहां विद्यार्थियों की भारी भीड़ जुट जाती थी। बताया जाता हैं कि उस समय कॉलेज में राजनीतिशास्त्र के गुरु कहे जाने वाले डॉ मदन मोहन पांडेय भी अक्सर अपने घर पर अटल जी के बारें में बातें करते थे।

मदन मोहन पांडेय को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे अटल जी

मदन मोहन पांडेय जी के पुत्र डॉ के के पांडेय के मुताबिक अटल जी उनके पिता यानी मदन मोहन पांडेय से राजनीति के गुर सीखते थे, इसके अलावा अटल जी उनके पिता के साथ देश-विदेश की राजनीति के बारें में गहन चर्चा किया करते थे। जब अटल बिहारी वाजपेयी जी 1996 में पहली बार देश के पीएम बने तो उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने मदन मोहन पांडेय जी का नाम लिया था। उस समय अटल जी ने डॉ पांडेय और डॉ शांति नंदन को अपना राजनीतिक गुरु बताया था।

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कैसे अटल जी ने स्कूल खुलवाने के लिए किया था राजनाथ सिंह जी को फोन

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डॉ मदन मोहन पांडेय अपने यहां एक स्कूल खोलना चाहते थे लेकिन शिक्षा विभाग द्वारा मान्यता नहीं दी जा रहीं थी, उस समय वर्तमान के रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह तत्कालीन शिक्षा मंत्री थे, डॉ पांडेय उनसे कई बार मिल चुके थे पर कोई हल नहीं निकला था। उसके बाद उन्हें अटल जी से मिलने की सूझी और सोचा क्या पता काम बन जाए, जैसे ही अटल जी को डॉ पांडेय के आने का समाचार मिला तो तुरंत उन्हें अंदर बुला लिया और स्कूल की बात जानकर राजनाथ सिंह जी को फोन किया और स्कूल को मान्यता मिलने में हो रही देरी का कारण भी पूछा और आखिर में अपनी शायरी अंदाज में कहा कि अब बिलंब केही कारण कीजै, फिर क्या था मात्र 1-2 दिन में ही स्कूल को मान्यता मिल गई।

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