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शवगृह के आगे आखिर चक्कर क्यों लगाती है ये महिला, ये है वजह

शवगृह के आगे आखिर चक्कर क्यों लगाती है ये महिला, ये है वजह

वैसे तो आपने बहुत से लोगो की सफलता की कहानी सुनी होगी और उससे प्रेरित भी हुए होंगे। लेकिन आज हम एक ऐसी सफलता की कहानी के बारे में बात करने जा रहे हैं जो कि मृत्यु से जुड़ी है। जी हाँ आपने सही पढ़ा मृत्यु, तो इससे पहले आप कुछ और सोचे हम आपको बताते है कि हम बात कर रहे हैं कोलकाता की रहने वाली श्रुति रेड्डी की जो एक ऐसी संस्था की सीईओ और एमडी हैं जो लोगो की मृत्यु हो जाने के बाद अंतिम संस्कार करवाने के लिए सारी सेवायें प्रदान करती है। अमेरिका जैसे देशो में फ्यूनरल सर्विस मिलना आम बात है लेकिन भारत में “अंत्येष्टि” इन सेवाओं को देने की पहल करने वाली पहली संस्था है।

शवगृह के आगे आखिर चक्कर क्यों लगाती है ये महिला, ये है वजह

श्रुति की कंपनी “अंत्येष्टि” अच्छी तरह से संगठित और कुशल पोस्ट-डेमेज पैकेज जैसे वीआईपी हार्स सर्विसेज, मोबाइल फ्रीजर या इमबलिंग, अवशेषों का प्रत्यावर्तन और श्राद्ध और साथ ही परिवार में मृतक को श्रद्धांजलि देने के लिए अनुष्ठान जैसी सेवाएं प्रदान करती है। आर्य समाज, गुजराती, मारवाड़ी और बंगाली सभी समाज केलोगो के लिए शूरति ये सेवाएं मुहैया करवाती हैं। ये सेवाएं 2,500 रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक की हैं।

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32 वर्षीय श्रुति रेड्डी सेठी, एक अंतिम संस्कार सेवा नियोजक है और आधिकारिक तौर पर कोलकाता में इस क्षेत्र की पहली ऐसी कंपनी है जो अंतिम संस्कार से जुडी सेवाएं प्रदान करती है। अपनी कंपनी के बारे में बात करते हुए श्रुति बताती हैं कि वह कहती हैं, ” मैंने पहली बार अपने पति के साथ अंतिम संस्कार की सेवा देने वाली कंपनी की स्थापना का विचार साझा किया। उन्होंने मेरे इस विचार में मेरा साथ देने का वादा किया था। “लेकिन मेरे माता-पिता इस बात पर राजी नहीं थे ,विशेष रूप से मेरी माँ, बहुत परेशान थीं और उन्होंने कहा कि इस तरह का ‘अज्ञानतापूर्ण’ काम करना एक आईटी इंजीनियर के लिए अपमानजनक था। उन्होंने मुझसे एक महीने तक बात नहीं की थी।”

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श्रुति बताती हैं उन्हें इस कंपनी का ख्याल तब आया जब उन्होंने अपने पति को अपने दादा जी की मृत्यु पर अंतिम संस्कार का सामान जुटाने के लिए भाग दौड़ करते देखा था। आज श्रुति के साथ चार और लोग जुड़े हैं। वह धीरे –धीरे अपने कामों को कोलकाता के बाहर भी फैलाने की कोशिश में जुटी है। अपनी विशिष्ट सेवाओं के साथ, केवल एक साल में, उनकी कंपनी ने 16 लाख रुपये का कारोबार किया है। दुखद जीवन के अंत में श्रुति का काम शुरू होता है।

वह बताती है कि “एक बार जब हमें कोई कॉल मिलता है, “हम सबसे पहले वैन की व्यवस्था करते हैं और यह भी पूछते हैं कि क्या फ्रीजर बॉक्स जैसी किसी भी तरह के संरक्षण की आवश्यकता है। फिर वहां पहुंचकर आगे की प्लानिंग करते हैं। श्रुति द्वारा मानवता के लिए शुरू की गयी ये पहल सरायनीय है और हम आशा करती है उनकी कहानी से प्रेरित होकर लोग भी ऐसी सेवाओं को शुरू करने के बारे में विचार करेंगे।

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