Hawa Mahal: पिंक सिटी में ‘पैलेस ऑफ विंड्स’ को दुनियाभर से देखने आते हैं लोग, जाने क्या है खासियत
Viral Desk | जयपुर के गुलाबी शहर में बाडी चौपड़ पर स्थित हवा महल (Hawa Mahal) राजपूतों की शाही विरासत, वास्तकुला और संस्कृति के अद्भुत मिश्रण का प्रतीक है। हवा महल को राज्स्थान की सबसे प्राचीन इमारतों में से एक माना जाता है। बड़ी ही खूबसूरती के साथ बनाया गया हवा महल जयपुर के सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों में से एक है। कई झरोखे और खिडकियां होने के कारण Hawa Mahal को “पैलेस ऑफ विंड्स” भी कहा जाता है। तत्कालीन महाराजा भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त थे, इसलिए हवा महल कृष्ण के मुकुट जैसी आकृति का बना है। इस पांच मंजिला इमारत में 953 झरोखें हैं जो मधुमक्खियों के छत्ते से मिलते-जुलते हैं। लाल और गुलाबी बलुआ पत्थरों से बना हवा महल सिटी पैलेस के किनारे बना हुआ है। हवा महल की खास बात यह है कि यह दुनिया में किसी भी नींव के बिना बनी सबसे ऊंची इमारत है।
Hawa Mahal का इतिहास
राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित Hawa Mahal का निर्माण महाराजा सवाई जय सिंह के पोते सवाई प्रताप सिंह ने सन् 1799 में कराया था। वह राजस्थान के झुंझनू शहर में महाराजा भूपाल सिंह द्वारा निर्मित खेतड़ी महल से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने हवा महल का निर्माण कराया। ललित जाली की खिड़कियों और पर्दे वाली बालकनी से सजे इस खूबसूरत हवा महल के निर्माण का मुख्य रूप से शाही राजपूत महिलाओं के लिए किया गया था। दरअसल, उस वक्त महिलाएं पर्दा प्रथा का पालन करती थीं, जिसके चलते वो बाहर होने वाले किसी भी कार्यक्रम को नहीं देख पाती है। इन झरोखों की मदद से वो कोई भी कार्यक्रम बड़े आराम से देख सकती थी। इसके अलावा ये झरोखे महल में ताजी ठंडी हवा का संचार करते हैं।
Hawa Mahal की नायाब दीवारें
हवा महल की दीवारों पर बने फूल पत्तियों का काम राजपूत शिल्पकला का बेजोड़ नमूना है। साथ ही पत्थरों पर की गई मुगल शैली की नक्काशी मुगल शिल्प का नायाब उदाहरण है। हवा महल एक ऐसी अनूठी अद्भुत इमारत है, जिसमें मुगल और राजपूत शैली स्थापित्य है। 15 मीटर ऊंचाई वाले पांच मंजिला पिरामिडनुमा महल के वास्तुकार लाल चंद उस्ताद थे। 5 मंजिला होने के बावजूद आज भी हवा महल सीधा खड़ा है। इमारत का डिजाइन इस्लामिक मुगल वास्तुकला के साथ हिंदू राजपूत वास्तुकला कला का एक उत्कृष्ण मिश्रण को दर्शाता है।
Hawa Mahal की हर मंजिल की कहानी
- पहली मंजिल पर शरद मंदिर है, जिसे तब उत्सवों के लिए प्रयोग किया जाता था।
- दूसरी मंजिल का नाम रतन मंदिर है, जहां पर रंगीन शीशे से दीवारों को सजाया गया है। लाल, हरा, पीला और गुलाबी आदि रंगों से जब सूर्य का प्रकाश परिवर्तित होकर आता है तो एक अद्भुत-सी रंगीन छवि दिखाई देती है।
- इमारत की तीसरी मंजिल पर विचित्र मंदिर है। यह वह स्थान है जहां रियासतकाल में सभी को जाने की इजाजत नहीं थी।
- चौथी मंजिल को प्रकाश मंदिर कहा जाता है।
- पांचवी मंजिल हवा मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह इमारत की सबसे ऊंची चोटी है। इसी मंजिल के नाम पर हवा महल नाम पड़ा।
हवा महल में नहीं है सीढ़ी
आपको यह जानकार आश्चर्य और हैरानी दोनों ही होगी कि इस 5 मंजिला इमारत में किसी भी मंजिल में सीढ़ी नहीं है, हवा महल में सभी मंजिलों में जाने के लिए ढलान किए रास्तों का इस्तेमाल किया जाता है।
हवा महल जाने का समय और खर्च
सर्दियों के मौसम में आप यहां घूमने जा सकते हैं, नवंबर की शुरूआत से फरवरी के बीच तक का समय पर्यटकों का पीक सीजन होता है। हवा महल की एंट्री फीस भारतीयों के लिए 50 रूपए और विदेशियों के लिए 200 रूपए है। यहां आप कम्पोजिट टिकट भी खरीद सकते हैं, जो दो दिनों के लिए वेलिड रहेंगे। इस टिकट की कीमत भारतीयों के लिए 300 रूपए और विदेशियों के लिए 1000 रूपए रखी गई है। इस कम्पोजिट टिकट की मदद से आप दो दिन तक हवा महल और इसके आसपास मौजूद स्थल को घूम सकते हैं।