आइए, जानें क्या है Red Carpet की कहानी और कब से शुरू हुआ था इसका चलन
हर कोई रेड कारपेट पर चलने की चाह रखता है लेकिन रेड कारपेट पर चलने का मौका कुछ लोगों ही मिल पाता है वो भी कुछ खास लोगों को। रेड कार्पेट पर चलने को शोहरत, सम्मान या खास मेहमान होने से जोड़ा जाता है। हर क्षेत्र में रेड कारपेट का उपयोग होता है भले ही वो राजनीति क्षेत्र हो, खेल जगत हो इत्यादि। लेकिन कई बार रेड कारपेट पर चलने को लेकर विवाद भी हो जाता है। अभी हाल में ही एक ऐसा किस्सा सामने आया था जब पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को रेड कारपेट पर चलने को लेकर काफी तीखी प्रतिक्रिया झेलनी पड़ी थी। रेड कारपेट (Red Carpet) को खास अवसर पर बिछाए जाने की परंपरा है। हम सबने अवार्ड्स के दौरान और भी बहुत जगह रेड कारपेट बिछे देखे होंगे पर कभी आपने सोचा कि रेड कारपेट की शुरुआत कैसे हुई?
Red Carpet का इतिहास
जैसा कि हम सब जानते है कि रेड कारपेट (Red Carpet) का प्रयोग खास लोगों के लिए होता है पर सबसे पहली बार इसका उपयोग एक यूनानी नाटक में हुआ था। यह नाटक उस दौर का था जब गौतम बुद्ध हुआ करते थे और भारत के सबसे शक्तिशाली राजा अजातशत्रु थे। इस यूनानी नाटक में यह दर्शाया गया था कि जब ग्रीक राजा Agammemnon युद्ध के लिए जाते है तो अपनी पत्नी को वही राज्य में छोड़ जाते है युद्ध काफी लंबे समय तक चलने के कारण राजा और उनकी पत्नी एक दूसरे के लिए वफादार नहीं रहते। बाद में जब राजा युध्द जीत जाता है और अपने देश लौटता है तो वहां उसकी रानी उसकी जीत की खुशी में उसके आगमन के लिए रेड कारपेट बिछवाती है। जबकि राजा अपने साथ एक दूसरी महिला को लेकर आया था।
लाल कारपेट पर चलने से राजा ने मना कर दिया क्योंकि ग्रीक मान्यताओं के अनुसार रेड कारपेट पर केवल परमात्मा ही चल सकते है। लेकिन रानी के बार-बार अनुरोध करने पर राजा उस कालीन पर चले। तो इस तरह रेड कारपेट ग्रीस से होता हुआ पूरे विश्व मे फैल गया। वहीं अगर बात हम इसके आधिकारिक उपयोग के शुरुआती सफर की बात करे तो सबसे पहले इसे 1821 में इस्तेमाल किया गया था। इसके पश्चात अमेरिका के न्यूयॉर्क में 1902 में इस लाल कालीन का इस्तेमाल न्यू एक्सप्रेस ट्रेन के यात्रियों के लिए हुए था।
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रेड कारपेट का भारत से नाता
वैसे तो भारत अब हैंडमेड कारपेट बनाने वाले देशी की सूची में प्रथम स्थान पर है लेकिन रेड कारपेट (Red Carpet) भारत मे कब से आया इसके बारे में कहना थोड़ा सा मुश्किल है। फिर भी मिली जानकारी के अनुसार रेड कारपेट का उपयोग 1911 में अंग्रेजों के दिल्ली दरबार मे किया गया था जब इसे उस समय के वायसरॉय लार्ड हार्डिनगे ने किंग जॉर्ज वी के लिए इसे बिछवाया था।
उस समय दिल्ली दरबार लाल किले में लगता था और उस समय लाल किले के अंदर जंगल हुआ करता था तो उस जंगल को भी साफ करवाया गया था। इस कालीन को किंग जॉर्ज के साथ क्वीन मेरी के लिए भी इस्तेमाल किया गया था। अब समय के साथ-साथ ज्यादातर जगह रेड कारपेट का इस्तेमाल होने लगा है। भले ही राष्ट्रपति भवन हो या किसी खास विदेशी मेहमान की मेजबानी, सब जगह रेड कारपेट से उनका स्वागत किया जाता है।