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23 फरवरी से शुरू हो रहा है होलाष्‍टक, इन दिनों में गलती से भी ना करें ये काम ,वरना होगा भारी नुक्सान

23 फरवरी से शुरू हो रहा है होलाष्‍टक, इन दिनों में गलती से भी ना करें ये काम ,वरना होगा भारी नुक्सान

जैसा की हम सभी जानते हैं की हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा पर्व होली आने वाली है और इस वर्ष होली 2 मार्च 2018 को मनाई जाएगी और होलिका दहन 1 मार्च को किया जिसके अनुसार होलाष्टक 23 फरवरी को लगेगा और 1 मार्च को खत्म होगा|चन्द्र मास के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका पर्व मनाया जाता है और इस होली पर्व के आने की सूचना होलाष्टक के द्वारा ही प्राप्त होती है. होलाष्टक को होली पर्व की सूचना लेकर आने वाला एक हरकारा कहा जा सकता है.

23 फरवरी से शुरू हो रहा है होलाष्‍टक, इन दिनों में गलती से भी ना करें ये काम ,वरना होगा भारी नुक्सान

“होलाष्टक” के शाब्दिक अर्थ पर जायें, तो इसका अर्थ होता है होला+ अष्टक अर्थात होली से पूर्व के आठ दिन, जो दिन होता है, वह होलाष्टक कहलाता है. सामान्य रुप से देखा जाये तो होली एक दिन का त्यौहार  न होकर बल्कि पूरे नौ दिनों का त्यौहार है।

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धार्मिक ग्रंथों में होलाष्टक को लेकर कई सारी मान्यताएं हैं जैसे की  की इस दौरान किसी भी तरह के शुभ और मांगलिक कर्यों को वर्जित माना जाता है और ऐसी मान्यता है की होलिका से पूर्व 8 दिन तक दाह-कर्म की तैयारी की जाती है जो की  मृत्यु का सूचक माना जाता है और इसी शोक के  कारण होली से 8 दिन पहले तक कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है।

23 फरवरी से शुरू हो रहा है होलाष्‍टक, इन दिनों में गलती से भी ना करें ये काम ,वरना होगा भारी नुक्सान

यदि आप होलाष्टक के दौरान इन कामो को करते हैं तो कहा जाता है की किए गए कार्यों से कष्ट होता है और यदि आप इस दौरान विवाह सम्बन्ध बनाते हैं तो विवाह आदि संबंध टूट जाते हैं और घर में क्लेश की स्थिति बनती है।

आइये आपको बताते हैं की वो कौन कौन से कार्य है होलाष्टक के दौरान वर्जित है

हिंदू धर्म में इस दौरान बताए गए 16 संस्कारों को करना वर्जित किया गया है जैसे गर्भाधान, विवाह, पुंसवन, गृह शांति, हवन यज्ञ कर्म, नामकरण, चूड़ाकरन, विद्यारम्भ, गृह प्रवेश, गृह निर्माण, आदि नहीं किए जाते हैं। ऐसा इसीलिए किया जाता है क्योंकि  होलाष्टक को ज्योतिष की दृष्टि से एक दोष माना जाता है, जिसमें शुभकाम करने की मनाही होती है

होलाष्टक आरंभ होते ही दो डंडों को स्थापित किया जाता है। इसमें एक होलिका का प्रतीक है और दूसरा प्रह्लाद से संबंधित है।होलिका दहन में जब प्रह्लाद बच जाता है, तो उसी खुशी में होली का त्योहार मनाते हैं।

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