मात्र 13 साल उम्र में इस बच्चे ने खड़ी कर दी अपनी कंपनी, 300 लोगों को दे चुका है रोजगार
छोटी उम्र में बड़ा नाम कमाने वाले बहुत ही कम लोग होते हैं और इनका जज्बा काबीले तारीफ होता है। सही कहा गया है की इंसान को अपनी सोच हमेशा बड़ी रखनी चाहिए और जो सोच बड़ी रखता है वही अपने जीवन में सफल हो पाता है। आज हम आपको ऐसे ही एक बच्चे से रूबरू कराएंगे जिसने खेलने कूदने की उम्र में वो मुकाम हासिल कर दिखाया जो कि लोग अपनी पूरी जिंदगी में नहीं कर पाते है। 15 साल की उम्र के इस बच्चे ने व्यापार जगत में अपना नाम कर दिखाया है। मुंबई में रहने वाले इस बच्चे का नाम तिलक मेहता है जिसने अपने आइडिया और काम से सभी को हैरत में डाल दिया है।
कईयों को दे चुके हैं रोजगार
तिलक मेहता के आइडिया के पीछे की वजह उनके पापा की थकान है, अब आप सोचेंगे कि थकान कैसे किसी के आइडिया की उपज हो सकती है। आपको बताते दें कि तिलक भी आम बच्चों जैसे ही है लेकिन उनके सोचने के तरिके ने उन्हें आज लोकप्रिय बना दिया है। दरअसल एक बार जब तिलक अपने पापा का इंतजार कर रहे थे कि कब उनके पापा आए और वह उनके साथ अपनी जरूरी कॉपियां लेने जाएं।
लेकिन जब उनके पापा घर आए तो उनकी थकान देख तिलक ने उनके सामने अपनी बात रखना ठीक नहीं समझा और उनकी इस थकान को दूर करने का रास्ता खोज निकाला। तिलक ने इस बात पर गौर किया कि जब वो ऐसी चीजों का सामना कर रहें हैं और बच्चे भी कर रहे होंगे। कई महिलाएं भी होंगी जो अपने काम के लिए घर पर इंतजार करती है की उन्हें उनकी चीजें कोई बाहर से दिलाएं। तिलक ने इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए अपना आईडिया पापा विशाल मेहता के साथ शेयर किया और उन्हें अपने बेटे का सुझाव अच्छा लगा।
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तिलक का आईडिया कोरियर का बिजनेस शुरू करने का था लेकिन यह जरा हटकर था। बता दें कि तिलक केवल 24 घंटे के भीतर बच्चों और महिलाओं के लिए डिलेवरी देने वाली सर्विस शुरू करना चाहते थे पर उनकी इस पहल को उनके पापा ने समझा और विशाल मेहता ने आइडिया को बिजनेस का रुप देने के लिए बैंक पहुंचे जहां उनकी मुलाकात बैंक अधिकारी घनश्याम पारेख से हुई। घनश्याम को उनका बिजनेस का आईडिया इतना अच्छा लगा कि उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ उनके साथ आ गए। तिलक की इस कंपनी का नाम पेपर एंड पेंसिल रखा गया और तिलक कंपनी के मालिक और घनश्याम पारेख सीईओ बने।
पेपर एंड पेंसिल नाम की तिलक की कंपनी ने बेशक शुरआत थोड़े से कि हो लेकिन आज इसी कंपनी का सालाना टर्नओवर 100 करोड़ रुपए है। तिलक ने डिलेवरी के लिए मुंबई के डिब्बासर्विस वालों से मदद ली। तिलक ने अपने बिजनेस के बारे में एक इंटरव्यू ने बताया कि ‘डिब्बेवालों ने उन्हें छोटा बच्चा समझा और बहुत प्यार से मेरी बात मान ली और शुरूआत में पैसे की डिमांड भी नहीं की।”
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शुरू में तिलक ने स्टेशनरी शॉप से सामान लेकर स्कूल, कोचिंग सेंटर और बच्चों के घरों तक पहुंचाने का काम किया और लोगों को उनका काम पसंद आया तो उन्होंने बाद में बुटीक, पैथलॉजी लैब और ब्रोकरेज कंपनियों से भी बात कर अपने बिजेनस को बढ़ाते चले गए। तिलक ने यह कंपनी मात्र 13 साल में शुरू की थी और दो साल के भीतर ही उन्होंने इसे ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। आज इस कंपनी में 200 से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे हैं और मुंबई के 300 डिब्बेवाले भी इस कंपनी का हिस्सा है। रोज करीब 1 हजार ऑर्डर पूरे करने वाली तिलक की यह कंपनी अब जल्द ही स्विगी और जोमेटो जैसी कंपनियों से समझौता करेगी। तिलक अपनी कंपनी का टर्नओवर 200 करोड़ तक पहुंचाने में लगे हुए हैं।