Akshay Navami 2018: जानें अक्षय नवमी का क्या है महत्व, पुजा विधि
कार्तिक माह में हिन्दू धर्म के बहुत से त्यौहार मनाए जाते हैं| ऐसे में उत्तर भारत में दिवाली बीतने के कुछ दिनों बाद अक्षय या आंवला नवमी मनाई जाती हैं और यह एक प्रकार का पारिवारिक त्यौहार हैं| इसी दिन भगवान कृष्ण ने वृन्दावन को छोड़ मथुरा गए थे और इस दिन से उन्होने अपने कर्तव्यो के पथ पर कदम रखा था| आंवला नवमी का त्यौहार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन मनाया जाता हैं| इस साल यह त्यौहार 17 नवंबर यानि आज मनाई जाएगी| इसी दिन से ही दक्षिण भारत एवं पूर्व भारत में जगरात्री पुजा का महापर्व शुरू हो जाता हैं|
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पुजा विधि
(1) इस दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ वस्त्र पहनती हैं|
(2) इस दिन आंवला के पेड़ का पुजा किया जाता हैं और आंवला के पेड़ के पास ही पूरा परिवार इकठ्ठा होकर पिकनिक जैसा माहौल बनाता हैं| पूरा परिवार आंवला के पेड़ के पास ही भोजन भी करता हैं|
(3) महिलाएं इस दिन सफ़ेद या लाल मौली के धागे से आंवले के पेड़ की 8 से 10 बार परिक्रमा करती हैं| बता दें कि इस परिक्रमा में 8 से 108 वस्तुएँ तक चढ़ाई जाती हैं| चढ़ावे में महिलाएं बिंदी, टॉफी, चूड़ी, मेहँदी, सिंदूर इत्यादि वस्तुएँ आंवले के पेड़ में चढ़ाती हैं|
(4) इसके बाद इस सामान को हर सुहागन महिला को टिकी लगाकर दिया जाता हैं|
(5) इसके बाद महिलाएं कथा सुनती हैं| ऐसी मान्यता हैं कि इस दिन ब्राह्मणी औरत को सुहाग की चीज और पैसे दान में देना शुभ होता हैं| पुजा का शुभ मुहूर्त 6:45 से 11:54 मिनट तक हैं|
महत्व
आंवले की नवमी के दिन महिलाएं आंवले के पेड़ की पुजा बड़े विधि-विधान पूर्वक करती हैं ताकि उन्हें संतान सुख की प्राप्ति हो सके और व्रत परिवार के सुख-शांति के लिए भी किया जाता हैं| यदि इस दिन महिलाएं वृन्दावन में आंवले का व्रत रख कर उसकी पुजा करे तो उनके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे|