करीब 550 दिन तक हुई थी रामायण की शूटिंग, स्पेशल इफेक्ट्स के लिए लेनी पड़ी थी हॉलीवुड से मदद
आप सभी ये तो जान ही रहे होंगे कि लॉकडाउन होने के कारण दर्शकों के डिमांड पर एक बार फिर से दूरदर्शन पर रामानंद सागर की रामायण प्रसारित की जा रही है। हालांकि इस जमाने में हर घर में इसे उतना ही प्रेम व स्नेह मिल रहा है जितना उस समय मिलता था, तभी तो इस बार टीआरपी में सबसे आगे रामायण है। लेकिन इसके अलावा भी रामायण से जुड़ी कुछ बातें ऐसी हैं जो हम आपको बताने जा रहे हैं और शायद आपको इस बारे में पता भी नहीं होगा। दरअसल बात 80 के दशक की है जब रामायण की शूटिंग की गई थी और उस समय भारत में टेकनोलॉजी का अभाव था।
हॉलीवुड की मदद से पूरी हुई रामायण की शूटिंग
आपने रामायण देखा होगा तो आप समझ ही रहे होंगे उसमें कई सारे स्पेशल इफेक्ट्स का प्रयोग किया गया था, जैसे कि हनुमान का संजीवनी बूटी लाना, पुष्पक विमान का उड़ना आदि। पर उस जमाने में ऐसा करना आसान नहीं था, इस बारे में प्रेम सागर का कहना है कि जब रामायण के दौरान बहुत सारे जूनियर कलाकारों की जरूरत पड़ती थी तो गाँव-गाँव जाकर ढोल नगाड़ो के साथ घोषणा की जाती थी और कलाकार भर्ती किए जाते थे।
प्रेम सागर ने मीडिया को दिए गए इंटरव्यू में बताया था कि ‘स्पेशल इफेक्ट्स के बारे में जानने के लिए वे ओरिजिनल किंग कॉन्ग के निर्माता से हॉलीवुड में मिलकर आए थे। इतना ही नहीं इसके अलावा उन्हें कई सारी किताबों को भी पढ़ना था तब जाकर रामायण में ये इफेक्ट्स डाले गए। बताते चलें कि पांच महाद्वीपों में दिखाई जाने वाली रामायण को विश्व भर में 65 करोड़ से ज्यादा लोगों ने टीवी पर देखा था।
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भावुक हो जाते थे दर्शक
यही नहीं हर हफ्ते रामायण के ताजा एपिसोड के कैसेट दूरदर्शन के दफ्तर भेजे जाते थे। कभी ऐसा भी हुआ था कि ये कैसेट प्रसारण के आधे घंटे पहले भी पहुंचे। रामायण की शूटिंग लगातार 550 से ज्यादा दिनों तक चली थी। बता दें कि जब ‘रामायण’ में रावण की मृत्यु होती है तो रावण का किरदार निभाने वाले अरविंद त्रिवेदी के गांव में शोक मनाया गया था।
जी हां ये भी बता दें कि रामायण में दिखाए जाने वाला राम सेतु के निर्माण का दृश्य चेन्नई में शूट किया गया था। प्रेम सागर ने बताया था कि चेन्नई के नीले समुद्र जैसा दृश्य गुजरात में नहीं मिल पाया था, जिस कारण उन्हें उसे चेन्नई में शूट करना पड़ा। कहा जाता है कि उस दौर में रामायण के प्रसारण के दौरान अफसर से लेकर नेता तक किसी से मिलना तो क्या किसी का फोन भी उठाना पसंद नहीं करते थे।