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कृष्ण जन्मोत्सव पर्व : इस बार 2 दिन मनाई जाएगी जन्माष्टमी, जानें कौन सा दिन होगा सबसे श्रेष्ठ

youthtrend Religion Desk : जैसा कि शास्त्रों में बताया गया है भगवान श्री कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। मगर आमतौर पर देखा जाता है कि कई बार इस तरह की परिस्थिति बनती है की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र दोनों एक ही दिन नहीं होते। हालांकि इस बार भगवान श्री कृष्ण के जन्म की तिथि और नक्षत्र एक साथ नहीं मिल रहा है यानी 11 अगस्त की सुबह 9:07 मिनट के बाद अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी जो अगले दिन यानी कि 12 अगस्त को 11:17 मिनट तक रहेगी। वहीं दूसरी तरफ रोहिणी नक्षत्र का आरंभ 13 अगस्त को सुबह 3:27 मिनट से 5:22 मिनट तक बना रहेगा।

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आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि शास्त्रों में इस तरह की तमाम उथल पुथल व असामंजस्य वाली स्थितियों के लिए एक आसान उपाय बताया गया है कि उन सभी गृहस्थों को उस दिन व्रत रखना चाहिए जिस रात को अष्टमी तिथि लगती है। पंचांग के अनुसार अगर देखा जाए तो 11 अगस्त, जिस दिन मंगलवार पड़ रहा है गृहस्थ आश्रम के लोगों को जन्माष्टमी पर्व मनाना ज्यादा उचित रहेगा क्योंकि 11 की रात अष्टमी है। गृहस्थ लोग रात्रिकालीन में चंद्रमा को अर्घ्य दें, दान-दक्षिणा करें, जागरण-कीर्तन करें और फिर अगले दिन यानी 12 अगस्त को व्रत का पारण करें और उसी दिन कृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मना सकते हैं जो की बहुत ही उत्तम और श्रेष्ठ माना जाएगा। वहीं दूसरी तरफ जो लोग वैष्णव व साधु संत हैं उनको 12 अगस्त को व्रत रखना ज्यादा उचित रहेगा। 12 अगस्त की सुबह 11:17 मिनट तक स्थिति बनी रहेगी और उसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी।

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