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Ramayana में छिपा है जिंदगी बदलने का फॉर्मूला, इस महाकाव्य से सीखें लाइफ मैनेजमेंट के खास सूत्र

Ramayana | जिंदगी में हमें तमाम तरह की मुश्किलों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है, कई बार तो हम उनमें इस तरफ फंस जाते है कि हमें बाहर निकलने का रास्ता दिखाई नहीं देता है। लेकिन क्या आप जानते है कि हमारी ज्यादातर समस्याओं का हल पवित्र रामायण में बताई गई सीखो से हो सकता है।

रामायण मात्र एक पवित्र ग्रन्थ नहीं है बल्कि इसके अनुसार हम अपनी जिंदगी को किस तरह खूबसूरत बना सकते है और किस तरह हम अपनी परेशानियों से बाहर निकल सकते है। कुल मिलाकर कहा जाए तो रामायण (Ramayana) से हमें प्रभु श्रीराम के साथ-साथ उनके द्वारा बताई गई सीख भी जानने को मिलती है। आज हम आपको बताने जा रहे है कि रामायण के द्वारा हम लाइफ मैनेजमेंट के कौन से सूत्र सीख सकते है।

Ramayana: मर्यादा और अनुशासन

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भगवान श्रीराम मर्यादित होने के साथ पूर्ण अनुशासित भी थे, कहा जाता है कि मर्यादा और अनुशासन ये दो ऐसे गुण है जो हर मनुष्य के लिए सबसे अच्छा गुण माना जाता है। जिस प्रकार प्रभु श्रीराम ने अनुशासन और मर्यादा में रहते हुए अपनी हर जिम्मेदारी का बेहतरीन तरीके से निभाई थी उसी प्रकार हम लोगों को भी अपने जीवन में इन दोनों गुणों को अपनाना चाहिए। इन दोनों गुणों से हम भी अपने जीवन को सुखी बना सकते है।

सबके साथ हो दया व प्रेम का भाव

जिस प्रकार प्रभु श्रीराम हर किसी के साथ समान प्रेम भाव रखते थे तो हम भी उनके इसी गुण से बहुत कुछ सीख सकते है। हम सबको हर किसी के साथ समान प्रेम भाव रखना चाहिए, भगवान श्रीराम ने अपने सभी रिश्तों को प्रेम और दया के भाव के साथ निभाया था। उन्होंने अपनी सभी जिम्मेदारी जिसमें पुत्र की, पिता की, पति की और राजा की जिम्मेदारी को प्रेम भाव से निभाया था। हम लोग अगर दया और प्रेम भाव को अपना ले तो हमारा जीवन हमेशा खुशी-खुशी बीतेगा और उसमें संतोष का भाव रहेगा।

एकता में विविधता होनी चाहिए

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रामायण (Ramayana) से हमें एक और गुण सीखने को मिलता है और वो है विविधता में एकता का गुण, जिस प्रकार रावण को हराने के लिए भगवान श्रीराम की सेना में मनुष्य और जानवर के साथ और भी लोग शामिल थे। उसी प्रकार प्रभु श्रीराम और उनके सभी भाई भले ही चरित्र में एक-दूसरे से अलग थे लेकिन सभी मे एकता थी। जब हम सब के साथ मिलकर किसी समस्या से लड़तें है तो हमें उस समस्या का हल अवश्य मिलता है।

हमेशा बना कर रखें विश्वास

किसी भी रिश्ते की सबसे बड़ी पूंजी विश्वास होता है, भले ही मां कैकई के द्वारा दिये गए वचन के अनुसार प्रभु श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास भुगतान पड़ा था उसके बावजूद उनका अपने भाइयों के साथ प्रेम पहले की तरह समान था। जब प्रभु राम वनवास गए थे तो उनके भाई लक्ष्मण भी उनके साथ गए तो भरत ने प्रभु राम की अनुपस्थिति में अयोध्या का राजा बनने से मना कर दिया था। इन सभी बातों के पीछे विश्वास ही था जिसने भाइयों के रिश्ते को और भी मजबूत कर दिया था।

सबके साथ रखिए समान आचरण

रामायण (Ramayana) से हमें प्रभु राम के द्वारा सभी के साथ एक जैसा आचरण सीखने को मिलता है, जिस प्रकार श्रीराम ने किसी के साथ भी कभी भेदभाव नहीं किया तो उसी प्रकार हमे भी सबके साथ समान आचरण रखना चाहिए।