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Independence Day Special: एक नजर भारत की उन 5 वीरांगनाओं पर जिन्होंने अंग्रेजों को चटाई थी धूल

Independence Day Special | देश को अंग्रेजों की चंगुल से बचाने के लिए बहुत से लोगों ने बढ़-चढ़कर अपना योगदान दिया था। देश को ब्रिटिश साम्राज्य से मुक्त कराने के लिए हर वर्ग के लोगों ने अपनी भूमिका निभाई थी, देश को आज़ाद करवाने के लिए अलग-अलग प्रांतों के राजा और रानियां भी इस मुहिम में शामिल हुए थे। ये बात तो हम भली भांति रूप से जानते है कि देश के लिए बहुत सी वीरांगनाओं ने भी अपने प्राणों की आहूति दी थी, आज हम आपको 5 ऐसी महारानियों के बारें में बताने जा रहे है जिन्होंने अंग्रेजो को बुरी तरह मात दी थी।

Independence Day Special: भारतीय वीरांगनायें जिनसे अंग्रेज खाते थे खौफ

Lady Warrior of India | Independence Day 2021

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Rani of Jhansi (रानी लक्ष्मीबाई)

Independence Day Special की इस सूचि में सबसे पहला नाम उनका है जिनके बारे में देश में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो ना जनता हो. जी हाँ हम बात कर रहे हैं झांसी की रानी, “रानी लक्ष्मीबाई” की, बचपन से ही पिता के द्वारा लक्ष्मीबाई को युध्द करने का प्रक्षिक्षण मिलने लगा था। रानी लक्ष्मीबाई जिन्हें मनु भी कहा जाता था, उनके जन्म के समय पंडितों ने कहा था कि मनु आगे चलकर बहुत ही बड़ा काम करेगी। लक्ष्मीबाई की शादी झांसी के राजा गंगाधर राव के साथ हुई थी लेकिन कुछ समय बाद किसी बीमारी की वजह से राजा की मौत हो गई थी और उनकी मृत्यु के समय उनकी कोई संतान नही थी।

उस समय ब्रिटिश सरकार का एक नियम था कि जिस राज्य में कोई उत्तराधिकारी नहीं होता तो उस राज्य पर अंग्रेजों का साम्राज्य हो जाता था। इसी वजह से लक्ष्मीबाई ने दामोदर राव को अपना दत्तक पुत्र बनाया और फिर यही से अंग्रेजों और रानी लक्ष्मीबाई के बीच संघर्ष की शुरुआत हुई थी। उनका ये सँघर्ष झांसी से शुरू होकर ग्वालियर तक चला था जिसमें रानी लक्ष्मीबाई बड़ी ही हिम्मत के साथ लड़ी थी।

Avantibai (अवंतीबाई)

Lady Warrior of India | Independence Day 2021

रानी लक्ष्मीबाई के बाद जिस दूसरी रानी का नाम आता है वो है रानी अवंतीबाई का, उनका जन्म देश के एक साधारण परिवार में हुआ था और उनकी शादी रामगढ़ के राजघराने में हुई थी। अवंतीबाई के पति राजा विक्रमादित्य सिंह को ब्रिटिश सरकार द्वारा पागल घोषित कर दिया गया था और उनके बाद उनके बेटे को राजगद्दी पर बैठने से अमान्य घोषित कर दिया था।

रानी अवंतीबाई ने अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाने के लिए पड़ोसी राज्यों के साथ हाथ मिलाया और फिर सबके सहयोग से अंग्रेजो को रामगढ़ से बाहर निकाल दिया था। इससे विचलित होकर अंग्रेजो ने अपनी सेना को भेजकर रामगढ़ पर फिर से हमला किया और अंत में रानी अवंतीबाई ने अंग्रेजों के चंगुल में आने से पहले ही अपनी तलवार से ही अपने प्राण ले लिए।

Begum Hazrat Mahal (बेगम हज़रत महल)

Lady Warrior of India | Independence Day 2021

वाजिद अली शाह जो अवध के आखिरी शासक थे और अपनी कविताओं के लिए वो बहुत सुप्रसिद्ध थे। उनकी गद्दी को अंग्रेजी सरकार ने हथिया ली थी लेकिन वाजिद अली शाह की पत्नी हजरत महल ने अंग्रेजो से जमकर लोहा लिया। उन्होंने अपने बेटे को अवध का राजा मनाया और उसके बाद ब्रिटिश सरकार को लखनऊ पर कब्जा करने से रोक दिया था

बेगम हजरत महल को वाजिद अली शाह के द्वारा अपने हरम के लिए खरीदा गया था लेकिन हजरत महल ने खुद रानी बनने का लंबा सफर तय किया। 1857 में चिनहट में उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर अंग्रेजों को मात दी थी।

Independence Day Special: Velu Nachiyar (वेलु नचियार)

Independence day 2021

सबसे पहले जिस रानी ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई शुरू की थी उनका नाम वेलु नचियार था, वो तमिलनाडु के राजा रामनद की पुत्री थी और उनका जन्म 1730 में हुआ था। उन्हें शुरू से ही युद्ध नीति एवं हथियारों की पूरी जानकारी दी गई थी, ब्रिटिश सरकार ने ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा भारत पर अपना साम्राज्य स्थापित करना शुरू कर दिया था और उनके लिए एरकोट के नवाब का साथ काफी जरूरी था।

वेलु नचियार की शादी शिवगंगई के राजा से हुई थी लेकिन अंग्रेज और फ्रेंच फौज के बीच हुई जंग में उन्होंने अपनी जान गंवा दी थी, जिसके बाद वेलु अपनी बेटी के साथ वहां से भाग गई और 1780 में हैदर अली के साथ मिलकर वापस आई और बहुत सी जगहों पर ब्रिटिश सरकार के हथियारों को नष्ट करने के लिए हमले किये और आखिरकार शिवगंगई को अंग्रेजों से मुक्त करवा लिया था।

Kittur Chennamma (रानी चेन्नम्मा)

Lady Warrior of India | Independence Day 2021

रानी चेनम्मा के नाम से मशहूर कित्तूर की रानी का जन्म 1778 में बेलगाम में हुआ था, राजा मल्लसराजा के साथ शादी होने के बाद वो कित्तूर की महारानी कहलाई। उनका एक पुत्र भी हुआ लेकिन वो असमय मौत का शिकार हुए और अंग्रेजो ने भी उनके राज्य को अपने साम्राज्य में मिलाने का फैसला लिया। रानी चेनम्मा ने एक पुत्र को गोद लिया हुआ था लेकिन अंग्रेज उसे उत्तराधिकारी मानने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थे।

1824 में ब्रिटिश सेना का रानी चेन्नमा से सामना हुआ और उस जंग में रानी चेनम्मा ने अंग्रेजों को अपने साम्राज्य से पछाड़ दिया और दो ब्रिटिश अफसर को तो बंदी भी बना लाया था। 1829 में दुबारा अंग्रेजों ने हमला किया जिसमें चेनम्मा को हार का सामना करना पड़ा। Independence Day Special की इस लिस्ट में रानी चेनम्मा का नाम शामिल ना करना बेहद नाइंसाफी होगी, क्योंकि आज हम जिस आजाद देश में सांस ले पा रहे हैं उसमे उनका भी बड़ा योगदान है।