Eli Cohen: बस एक गलती और दुश्मन देश का राष्ट्रपति बनने से चूक गया Israel का वो महान जासूस
Eli Cohen | वर्तमान में इजरायल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष की खबरें आ रही हैं जिसमें दोनों तरफ से लड़ाई जारी हैं, वैसे तो इजरायल 1948 से ही अस्तित्व में हैं लेकिन तब से ही इस देश ने अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए बहुत से मोर्चो पर संघर्ष किया हैं। इजरायल एक यहूदी देश हैं और चारों तरफ से मुस्लिम देशों से घिरा हुआ हैं, और इस देश को मजबूत बनाती हैं इस देश की इंटेलिजेंस एजेंसी ‘मोसाद’ जो अपने आप में दुनिया की सबसे खतरनाक इंटेलिजेंस एजेंसी हैं। मोसाद के जासूस, जो बेहद ही जाबांज और खतरनाक होते हैं, दुनिया के लगभग हर देश में मौजूद हैं और इजरायल के लिए कभी भी अपनी जान तक देने के लिए तैयार रहते हैं और उन्ही में से एक थे Eli Cohen जिन्हें अभी तक का सबसे महान जासूस माना जाता है।
इजरायली जासूस Eli Cohen जो बनने वाला था सीरिया का राष्ट्रपति
आज हम आपको इजरायल के ऐसे जासूस की बात बताने जा रहे हैं जिन्होंने देश सेवा की नई मिसाल कायम की हैं। उस जासूस का नाम हैं Eli Cohen, उन्हें 60 के दशक में इजरायल के दुश्मन देश सीरिया में जासूसी करने के लिए भेजा गया था। लेकिन उन पर देश की सेवा करने का जुनून सवार था और वो सीरिया में इतना ज्यादा लोकप्रिय हो चुके थे कि वहां के राष्ट्रपति उन्हें सीरिया का रक्षा मंत्री बनाने जा रहे थे। Eli Cohen के रक्षा मंत्री बनने के बाद सबको यही उम्मीद थी कि उस समय के राष्ट्रपति अमीन अल हफीज के बाद एली को ही देश का राष्ट्रपति बनाया जाएगा।
परंतु ऐसा हो ना सका और 1965 के अप्रैल माह में उन्हें जासूसी करते हुए पकड़ लिया गया और बाद में 18 मई 1965 की रात को उन्हें दमिश्क के मशहूर मरजेह स्क्वायर पर सबके सामने फांसी दे दी जाती हैं, उनके शव को अभी तक सीरिया ने इजरायल को नहीं दिया हैं।
कौन थे Eli Cohen
वास्तव में Eli Cohen भले ही इजरायल के लिए जासूसी करते थे लेकिन उनका जन्म इजरायल की जगह मिस्र में 1924 में हुआ था, 1948 में जब इजरायल देश बना तो मिस्र के बहुत से परिवार इजरायल में आकर बस गए जिनमे एली कोहेन का परिवार भी था लेकिन उस समय एली मिस्र में इलेक्ट्रॉनिक्स की पढ़ाई कर रहे थे इसलिए वो मिस्र में ही रहे।
मिस्र में रहकर ही उन्होंने बहुत सी यहूदी गतिविधियों में हिस्सा लिया, 1950 के दशक में एली ने इजरायल के लिए काफी सारे गुप्तचर अभियानों में हिस्सा लिया और 1957 में वो इजरायल आ गए। यहां आने के बाद उन्होंने शादी की। मोसाद में शामिल होने से पहले वो ट्रांसलेटर और अकाउंटेंट का काम करते थे, 1960 में मोसाद के डायरेक्टर जनरल मीर अमीत सीरिया में जासूसी करने के लिए एक विशेष एजेंट की खोज में थे। एक बार उन्हें अपनी मेज पर रिजेक्ट हो चुके एजेंट्स की एक लिस्ट दिखी जिसमें उन्हें एली कोहेन का नाम भी था, जब मीर अमीत ने एली का इतिहास देखा तो उन्हें सीरिया की जासूसी के लिए एली उपयुक्त लगा। एली को मोसाद के द्वारा 6 महीने की सख्त ट्रेनिंग दी गई।
सीरिया पहुंच कर शुरू कर दी जासूसी
Eli Cohen जैसे ही सीरिया पहुंचे उन्होंने वहां की एक-एक जानकरी इजरायल के साथ शेयर करनी शुरू कर दी थी, एली ने सीरिया के बड़े-बड़े नेताओं से लेकर आर्मी के बड़े-बड़े अफसरों तक अच्छे सम्बंध बना लिए थे। 1963 में जब सीरिया में सत्ता पलट हुआ तो उस समय एली ने अपने घर पर एक बड़ी पार्टी दी जिसमें बड़े-बड़े सरकारी अफसरों से लेकर मंत्रियों को बुलाया गया, उसी पार्टी में एली के करीबी दोस्त अमीन अल हफीज सीरिया के राष्ट्रपति बन गए।
सीरिया में अब एली कोहेन के मन मुताबिक सरकार बन चुकी थी और एली के लिए साजिशों का पता लगाने में काफी आसानी होने लगी और इजरायल तक काफी महत्वपूर्ण जानकारी बताने लगे जिनमें ‘सी ऑफ गैलिली’ योजना का पर्दाफाश भी था। सीरिया के लगातार सारे प्लान को नाकाम होते हुए देखकर अमीन अल हफीज ने एली कोहेन के सामने रक्षा मंत्री बनने का प्रस्ताव रखा।
कैसे खुली Eli Cohen की पोल
एली कोहेन के रक्षा मंत्री बनने से पहले ही राष्ट्रपति के सलाहकार अहमद सुइदानी को इस बात का शक हो गया था कि कोई अंदर का व्यक्ति ही सीरिया की जासूसी कर रहा हैं, जिसके लिए उन्होंने एक ट्रेकिंग डिवाइस मंगवाई जिसकी सहायता से 2-3 दिन के अंदर ही उन्हें पता चल गया कि एली कोहेन ही जासूसी कम रहे हैं। उन्हें अपने घर से रेडियो ट्रांसमिशन करते समय रंगे हाथ पकड़ लिया गया और लगभग 1 महीने तक उन्हें प्रताड़ित किया गया जिसके बाद 18 मई को उन्हें सरेराह फांसी दे दी गई।