हिन्दू होने के बावजूद करूणानिधि को दफनाने की क्या है वजह ?
7 अगस्त की शाम डीएमके के वरिष्ठ नेता और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करूणानिधि का निधन चेन्नई के कावेरी हॉस्पिटल में हो गया। करुणानिधि के निधन के बाद पूरा दक्षिण भारत उनकी मौत की खबर से शोकाकुल हैं वहीं दूसरी ओर चेन्नई के लोगों का रो-रो कर बुरा हाल हैं| एम करुणानिधि राजनीति का एक जाना-माना नाम हैं| लेकिन अब उनके शरीर को दफ़नाने को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया हैं जिसकी सुनवाई मद्रास हाईकोर्ट में हो रही है। करुणानिधि के अंतिम यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित रजनीकान्त भी शामिल हुये|
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करुणानिधि के शव को दफनाने को लेकर लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं क्योंकि वो हिन्दू धर्म को मानने वाले थे और हिन्दू धर्म में अंतिम संस्कार किया जाता हैं ना की दफनाया जाता हैं फिर क्यों करुणानिधि को दफनाया जा रहा हैं| आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि करूणानिधि की तरह ही तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को भी दफनाया गया था। दरअसल बात ये हैं कि ये दोनों ही नेता द्रविड़ मूवमेंट से जुड़े हुए थे और द्रविड़ आंदोलन हिंदू धर्म की ब्राह्मणवादी परम्पराओं और रस्मों को नहीं मानता हैं|
हिंदू परंपरा के ख़ि़लाफ़ द्रविड़ मूवमेंट से जुड़े नेता अपने नाम के साथ जातिसूचक टाइटल का भी प्रयोग नहीं करते हैं। इन दोनों नेताओ से पहले एआईएडीएमके के वरिष्ठ नेता एमजी रामचंद्रन को भी दफ़नाया ही गया था। डीएमके पार्टी करुणानिधि के शव को मरीना बीच पर दफनाना चाहती है लेकिन राज्य सरकार इसकी अनुमति देने से इनकार कर रही हैं। इस मामले की सुनवाई मद्रास हाईकोर्ट में चल रही है।