Cyrus Mistry Cremation : पारसी समुदाय में बेहद विचित्र है अंतिम संस्कार का नियम, यहां न शव को जलाते न दफनाते है
Cyrus Mistry Cremation : हर धर्म में अंतिम संस्कार (Cremation) करने का अलग-अलग नियम और परंपरा होती है। जैसे हिंदू धर्म (Hindu Religion) में शव को जलाया जाता है, तो वहीं मुस्लिम समुदाय के लोग शव (Body) को दफन करते है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे समुदाय के बारे में बताने जा रहे है, जहां न शव (Dead Body) को जलाते है न दफनाते है, बल्कि यहां अंतिम संस्कार (Cyrus Mistry Cremation) का तरीका एकदम अलग है। दरअसल, हम बात कर रहें है भारत के अल्पसंख्यक पारसी समुदाय (Parsi) की। तो चलिए जानते है कि आखिर इस समुदाय में शव (Dead Body) का क्या किया जाता है?
Cyrus Mistry Cremation: कैसे होता है पारसी समुदाय में अंतिम संस्कार
पारसी समुदाय में अंतिम संस्कार (Cyrus Mistry Cremation) का तरीका बेहद अलग है। ये समुदाय हजारों साल पहले पर्शिया (अब के ईरान) से भारत (India) आया था। समुदाय में शव (Dead Body) को न तो हिंदू धर्म की तरह जलाया जाता है और न ही इस्लाम या ईसाई धर्म की तरह दफनाया जाता है। केवल इतना ही नहीं, पारसी (Parsi) समुदाय में शव (Dead Body) को श्मशान घाट या कब्रिस्तान ले जाने के बजाय ‘टावर ऑफ साइलेंस’ (Tower Of Silence) के ऊपर रख दिया जाता है। जहां उसे गिद्ध (Vulture) खाते हैं। गिद्धों द्वारा शव (Cremation) को खाया जाना पारसी समुदाय के रिवाज का ही हिस्सा है।
Cyrus Mistry Cremation : मृत शरीर को हाथ भी नहीं लगाते पारसी
मुंबई में टावर ऑफ साइलेंस (Tower Of Silence) बनाया गया है। मृत शरीर को आसमान को सौंपने के लिए उसे इसी गोलाकार जगह की चोटी पर रख दिया जाता है। जहाँ पहले से ही मौजूद गिद्ध, चील और कौए शव (Dead Body) को खाने के लिए मौजूद होते हैं। बताया जाता है कि पारसी समुदाय के लोग मृत शरीर को अपवित्र मानते हैं और यही वजह है कि समुदाय के लोग मृत शरीर (Dead Body) को हाथ भी नहीं लगाते। हर धर्म की तरह इस समुदाय के भी कुछ खास लोग शव को टॉवर के ऊपर पर छोड़ आते हैं जिसे गिद्ध, चिल-कौवे आदि अपना आहार बनाते हैं। इस रिवाज को पारसी समाज दुनिया के अन्य समुदाय के मुकाबले इको फ्रेंडली मानता है क्योंकि इससे जानवरों का पेट भी भरता है और किसी तरह का प्रदुषण आदि भी नहीं होता।
वहीं इस परंपरा के पीछे कई तर्क दिए जाते हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई (Mumbai) में जोरास्ट्रियन स्टडीज इंस्टिट्यूट के विशेषज्ञ ने बताया कि पारसी शव को सूर्य की किरणों के सामने रख देते हैं। जिसके बाद उसे गिद्ध, चील और कौए खाते हैं। पारसी समुदाय शव को जलाने या फिर दफनाने को प्रकृति को गंदा करने जैसा मानता है।
‘टावर ऑफ साइलेंस’ क्या होता है
पारसी समुदाय में अगर किसी की मौत (Cyrus Mistry Cremation) हो जाए, तो उसे इसी स्थान पर लेकर जाते हैं। आम भाषा में ‘टावर ऑफ साइलेंस’ को दखमा भी कहते हैं। यह एक गोलाकार ढांचा होता है। जिसके ऊपर शव को सूर्य की धूप में रख दिया जाता है।
Cremation करना धार्मिक नजरिए से मानते है गलत
मृतक (Cyrus Mistry Cremation) के शव को खुले आसमान के नीचे छोड़ दिया जाता है। इसके पीछे का ये कारण बताया जाता है कि पारसी मृत शरीर (Dead Body) को अशुद्ध मानते हैं। ये लोग पर्यावरण को लेकर भी बेहद सजग रहते हैं। इनका मानना है कि शव को जलाने से अग्नि तत्व अपवित्र हो जाता है। ये शव को इसलिए नहीं दफनाते क्योंकि इससे धरती प्रदूषित हो सकती है। समुदाय शव को नदी में बहाकर भी अंतिम संस्कार नहीं करता क्योंकि इससे जल तत्व दूषित हो सकते हैं। इस धर्म में पृथ्वी, जल और अग्नि तत्व को काफी पवित्र माना जाता है। परंपरावादी पारसियों का कहना है कि शव का जलाकर अंतिम संस्कार करना धार्मिक नजरिए से पूरी तरह गलत है।
अंतिम संस्कार में आ रही परेशानी
हालांकि इन दिनों अंतिम संस्कार (Cyrus Mistry Cremation) के लिए इस समुदाय को दिक्कत झेलनी पड़ रही है। जिसके पीछे की वजह है, गिद्धों की घटती संख्या। भारत में गिद्ध काफी कम हो गए हैं। शहरों में मुश्किल से कोई गिद्ध दिखाई देता है। इस कारण से पारसी समाज को किसी की मौत के बाद आगे के रीति रिवाजों को पूरा करने के लिए दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। मीडिया रिपोर्ट में पारसी पुजारी रमियार करनजिया के हवाले से लिखा गया है कि गिद्ध तेजी से इंसान के मांस को खाते हैं।
लेकिन अब गिद्धों की कम होती संख्या की वजह से इसमें दिक्कत आ रही है। जो काम चंद घंटों में गिद्ध कर दिया करते थे, अब उसी में कई दिनों का वक्त लग रहा है। जिससे शव सड़ने लगता है और उससे बदबू आने लगती है। यही वजह है कि अब समुदाय के लोग अंतिम संस्कार के लिए दूसरे तरीकों को अपना रहे हैं। जिसके तहत शव को गलाने के लिए सोलर कंसंट्रेटर का सहारा लिया जाता है। ये तरीका भी पर्मानेंट नहीं माना जाता।
बता दें कि अभी हाल ही में टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री (Cyrus Mistry Cremation) की महाराष्ट्र में एक सड़क हादसे में मौत हो गई है। साइरस मिस्त्री के शव को पोस्टमार्टम के बाद उनके परिवार को सौंप दिया गया है। चूंकि उनके कुछ रिश्तेदार विदेश में रहते हैं और भारत आ रहे हैं, इसलिए अंतिम संस्कार सोमवार को न होकर मंगलवार को किया गया। रिपोर्ट्स के अनुसार, मिस्त्री का अंतिम संस्कार मुंबई के वर्ली में विद्युद शवदाह गृह या फिर डुंगरवाड़ी स्थित ‘टावर ऑफ साइलेंस’ में किया गया।
सख्त हैं पारसी समुदाय के नियम
दुनियाभर में पारसी समुदाय की आबादी 1 लाख के करीब है. भारत में पारसियों की संख्या पहले ही बहुत कम है। धर्म पारसी धर्म की स्थापना पैगंबर जराथुस्त्र ने प्राचीन ईरान में 3500 साल पहले की थी. भारत में ज्यादातर पारसी समुदाय के लोग मुंबई में रहते हैं। पारसी सिर्फ एक ही ईश्वर पर भरोसा करते हैं. पारसी समुदाय में अगर कोई लड़की दूसरे धर्म में शादी कर लेती है तो वो पारसी नहीं रह जाती है।
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