Super Spreader | क्या होता है सुपर स्प्रेडर, जिससे हो सकता है कोरोना विस्फोट
Super Spreader | देश पिछले साल से ही कोरोना वायरस से जूझ रहा है, कोरोना वायरस के संक्रमण से पीड़ित होने वाले लोगों की संख्या में भले ही फिलहाल कमी हो लेकिन ये बीमारी पूरी तरह से अभी खत्म नहीं हुई है। कोरोना वायरस की दूसरी लहर में कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी थी और बहुत से लोगों ने अपनी जान भी गंवाई थी। देश में लॉकडाउन लगे होने के बावजूद कोरोना केसों में बढ़ोतरी हो रही थी, जानकारी के मुताबिक तेजी से कोरोना केस बढ़ने के पीछे की वजह सुपर स्प्रेडर्स (Super Spreader) बताई जा रही है, शायद आपने भी पहले इस शब्द को सुना होगा, आज हम आपको सुपर स्प्रेडर्स क्या होता है और कैसे ये तेजी से संक्रमण को फैलाते है, के बारे में जानेंगे।
आखिर क्या होता है Super Spreader
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सुपर स्प्रेडर्स (Super Spreader) का आसान मतलब तेजी से फैलना होता है, जब किसी व्यक्ति को कोई संक्रमण अपना शिकार बना चुका है और अगर उसके परिवार में 3 सदस्य है तो उस व्यक्ति से वो संक्रमण उसके परिवार के सदस्यों में फैल जाता है तो ऐसे में उसे नार्मल स्प्रेडर कहा जाता है। लेकिन जब वो संक्रमित व्यक्ति कई हजार से लेकर सैकड़ो लोगों को संक्रमित कर देता है तो ऐसे में उस व्यक्ति को सुपर स्प्रेडर्स कहा जाता है, वैज्ञानिकों द्वारा नार्मल स्प्रेडर्स को R0-R कहा जाता है जबकि सुपर स्प्रेडर्स को R100 या R1000 का नाम दिया गया है।
कोरोना वायरस महामारी में सुपर स्प्रेडर्स के बहुत से मामले देखने मे आये है, दरअसल जो व्यक्ति पहले से ही संक्रमित होता है उसे खुद उसके संक्रमण के बारे में पता नहीं होता या फिर जिन लोगों को संक्रमण का पता होता है लेकिन वो सरकार के दिशा-निर्देशों को नहीं मानते जिससे वो बीमारी और लोगों में बांट देते है।
Super Spreader की पहचान क्यों है जरूरी
अक्सर ये देखा जाता है कि जब भी किसी बीमारी की शुरुआत होती है तो शुरु में उस बीमारी से केवल 1 या 2 लोग ही पीड़ित होते है लेकिन पीड़ितों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी होनी शुरू जो जाती है। जो पीड़ितों की संख्या शुरू में 10 या 15 थी वो आगे बढ़कर सैकड़ो से लेकर जब हजारों में पहुंच जाती है तो ऐसी परिस्थितियों में जिस व्यक्ति के द्वारा संक्रमण फैला है उसकी पहचान करना जरूरी हो जाता है।
इसमें सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि जो व्यक्ति संक्रमित होता है उसे अपने संक्रमण के बारे में जानकरी नहीं होती है और अपनी सामान्य दिनचर्या में व्यस्त रहता है जिसकी वजह से वो संक्रमण और भी ज्यादा लोगों में बांट देता है। अगर समय रहते स्प्रेडर की पहचान नहीं की जाए तो परिस्थिति काफी भयावह हो सकती है जैसा कि हमने कोरोना महामारी के दौरान देखा है।
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जब भी कोई व्यक्ति कोरोना वायरस से पीड़ित होता है तो उसे शुरू में इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं होता कि वो कोरोना से संक्रमित हो चुका है, अपनी दिनचर्या में व्यस्त रहते हुए वो उन सभी कार्यों को करते है जो वो संक्रमित होने से पहले किया करते थे। ऐसे में जब भी वो किसी स्वस्थ व्यक्ति के संपर्क में आते है तो उन्हें भी संक्रमित कर देते है, अब जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है वो कोरोना से पीड़ित होने के बावजूद बीमार नहीं पड़ते जबकि कमजोर इम्युनिटी वाले व्यक्ति जल्द ही कोरोना की चपेट में आ जाते है।
इसके अलावा जब संक्रमित व्यक्ति ज्यादा भीड़-भाड़ वाली जगह पर जाता है तो ऐसे में बहुत से लोगों को उसके द्वारा बीमार होने का खतरा रहता है, भारत में पिछले साल कोरोना के सबसे बड़े सुपर स्प्रेडर्स (Super Spreader) का मामला सामने आया था। पंजाब में रहने वाले 70 वर्षीय व्यक्ति इटली और जर्मनी घूम कर आया था, उसने वापस आने पर सरकार के द्वारा दी गई क्वारंटाइन रहने की सलाह को नजरअंदाज कर दिया था और वो लोगों से मिलता रहा जिसका ये नतीजा हुआ कि उस व्यक्ति की तो कोरोना से मृत्यु हो गई लेकिन उसकी वजह से अन्य 40,000 लोगों की जान खतरे में आ गई थी।