Varanasi : लकड़ी और मेटल से बनाया दुनिया का सबसे बड़ा तबला, Guinness Book of World Records में करेंगे दावा
World Biggest Tabla in Varanasi : आपने कई तबला (Tabla) वादकों को तरह-तरह का तबला बजाते देखा होंगा, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे अनोखे तबले (Unique Tabla) के बारे में बताने जा रहे है जो काशी (Varanasi) में बना है और इसे बनाने में करीब करीब दो दशक का समय लग गया, सबसे बड़ी बात की इस ख़ास तबले को दुनिया (World) का सबसे बड़ा तबला होने दावा किया जा रहा है। खास बात यह है कि इसकी थाप नॉर्मल तबले (Tabla) से कहीं ज्यादा बेहतर और सुनने में अलग है, जो लोगों को थिरकने पर मजबूत कर देगी। तो चलिए जानते है आखिर ऐसा कौन सा तबला है और किसने इसका निर्माण किया है।
Varanasi : बनाने में 20 साल का वक़्त
दरअसल, वाराणसी (Varanasi) के अस्सी स्थित एक संगीतज्ञ गणेश शंकर मिश्रा (Ganesh Shankar Mishra) ने ड्रम (Drum) जितना ऊंचा तबला (Tabla) तैयार किया है। उनका दावा है कि यह दुनिया का पहला तबला है जिसे खड़े होकर या किसी ऊंचे टेबल पर बैठकर ही आजमाया जा सकता है। तबले की हाइट 34 इंच और वजन 30 किलोग्राम है। इसे बनाने वाले कारीगरों की मौत तक हो चुकी है। यह तबला (Tabla) कुल 20 साल में बनकर तैयार हुआ है। गणेश शंकर मिश्रा का कहना है कि गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Guinness Book of World Records) में दुनिया के सबसे बड़े तबले के खिताब के लिए आवेदन भी करेंगे।
तबले की थाप थिरकने पर कर देगी मजबूर
गणेश शंकर का दावा है कि इस तबले (Tabla) की थाप लोगों को थिरकने के लिए मजबूर कर देगा। इससे बजाने पर जो धुन निकलती है वह नॉर्मल तबले (Tabla) से कहीं ज्यादा बेहतर और सुनने लायक है। गणेश शंकर का कहना है कि मैंने बनारस (Varanasi) घराने के चार वादकों से तबला (Tabla) सीखा है। इसमें पंडित लल्छू महराज (Pt. Lacchu Maharaj) का घर, पंडित शारदा सहाय, पंडित छोटेलाल मिश्रा और पंडित बद्री महराज (Pt. Badri Maharaj) के नाम शामिल हैं। मेरा पैर टूट गया तो घर से बाहर नहीं निकल पाता था। पंडित बद्री महराज (Pt. Badri Maharaj) गली से गुजरते थे। वह रोज मेरा तबला (Tabla) सुनते थे। वह घर आए और मुझे तबला बजाना सिखाया। वही मेरे प्रथम गुरु (Teacher) वही थे।”
अमीर खुसरो से प्रभावित होकर बनवाया Tabla
वाराणसी (Varanasi) के जामे माने तबला वादक गणेश शंकर मिश्रा ने बताया कि कई साल पहले उनके दिमाग में इसे बनाने का आइडिया आया था, लेकिन लम्बे शोध (Research) के बाद उन्होंने कारीगरों की मदद से इसको तैयार कराया है. उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा परेशानी इस तबले को बनाने के उपकरण (Instrument) खरीदने में हुई, क्योंकि इस साइज के उपकरण बाजारों में नहीं थे. वहीं, स्पेशल ऑर्डर देकर एक-एक सामान को तैयार कर इसका निर्माण किया गया है। गणेश शंकर ने कहा, ”अमीर खुसरो (Amir Khusro) से प्रभावित होकर मैंने यह तबला (Tabla) बनवाया है। खुसरो साब ने पखावज को दो भाग में बांटकर तबले (Tabla) का रूप दिया था। मगर, मैंने पखावज को तबले (Tabla) का रूप दिया है। इस तबले का दो हिस्सा, बायां और दायां है। दायां मेटल का है। वहीं दूसरा लकड़ी का है। मेटल से बनाने वाला कारीगर जब मरा तो उसके बाद कोई भी नहीं मिला तो इसे पूरा कर दे। न तो क्वालिटी की की लकड़ी (Wooden) मिल रही थी और न ही उसकी डिजाइन। कारीगर के प्रयास से लकड़ी मिली। चार साल में बना, तो उसका मुंह बिगड़ गया और बेसुरी आवाज आने लगी। हिम्मत हार गए थे कि नहीं होगा।”
गणेश शंकर मिश्रा ने बताया कि उन्होंने कई संगीत साधकों से चर्चा की है और इंटरनेट (Internet) पर भी इतने बड़े तबले को लेकर काफी सर्च (Search) किया। बता दें कि गणेश शंकर मिश्रा वाराणसी (Varanasi) के प्रसिद्ध तबला (Tabla) वादक हैं और उन्होंने टेलीविजन, रेडियो सहित कई जगह बड़े कार्यक्रमों में अपनी शानदार प्रस्तुति दी है और काशी का नाम भी रोशन किया है