‘हर हर महादेव’ का क्यों किया जाता है उद्दघोष, जानें क्या होता है इसका मतलब
Youthtrend Religion Desk : हर-हर महादेव ये एक मंत्र हैं जिसके जयकारे लगाते ही मन, बुद्धि, विचार, वाणी और कर्म के सभी दोष मिट जाते हैं, सावन के महीने में हर-हर महादेव का ये जयकारा तो आपकों हर जगह सुनाई देगा, कहा जाता हैं कि सबसे पहले हर-हर महादेव के जयकारा का उल्लेख हिंदू धर्म के सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद में पाया गया हैं। हर-हर महादेव के मंत्र का एक अर्थ ये भी हैं कि आप परम चेतना को प्राप्त करने के लिए अपने सभी दोषों को समाप्त कर देते हैं। हर-हर महादेव, भगवान शिव और शिवभक्त के आपसी संबंधों को भी दर्शाता हैं, अगर इस उद्दघोष के अर्थ की बात की जाए तो इसका पहला शब्द जिसे हर कहा जाता हैं वास्तव में संस्कृत का एक शब्द हारा हैं जिसका अर्थ होता हैं लगातर लेना, इसलिए भगवान शिव के नाम महादेव को बार-बार लेते हुए हर-हर महादेव कहा जाता हैं।
हर हर महादेव के उद्दघोष का महत्त्व
ये सृष्टि तीन देवताओं ब्रह्मा, विष्णु और महेश से बंधी हुई हैं जहां ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि का निर्माण किया हैं, तो वहीं विष्णुजी इस सृष्टि का पालन पोषण करते हैं और भगवान महेश यानी शिव शंकर को संहार करने के लिए जाना जाता हैं जो दुनिया में बढ़ते हुए पाप को खत्म करते हैं। भले ही कोई अमीर हो या गरीब सब हर-हर महादेव का जाप करते हैं हर-हर महादेव के उच्चारण से कमजोर व्यक्ति को भी शक्ति का एहसास होने लगता हैं, जो लोग निराश हो चुके होते हैं उन्हें आशा की किरण दिखाई देने लगती हैं और इससे व्यक्ति के जीवन में नई ऊर्जा का संचार होने लगता हैं।
महादेव जब रूष्ट हो जाते हैं तो अपनी तीसरी आंख खोल कर दुनिया को नष्ट भी कर सकते हैं और ये भी कहा जाता हैं कि शिव शंकर अपने भक्तों से बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं अगर कोई भी व्यक्ति सच्ची श्रद्धा से उनका ध्यान करता हैं और उनका पूजन करता हैं तो भोलेनाथ उस पर अपनी कृपा बरसाने लगते हैं। हम सबने कोई ना कोई पौराणिक कथा अवश्य पढ़ी ही होगी जिसमें दानव और राक्षस भी कठोर तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न कर लेते थे और फिर उनसे मनचाहे वरदान की प्राप्ति कर लेते थे।
भगवान शिव इतनी जल्दी अपने भक्त से कैसे खुश हो जाते हैं, इसके बारें में एक कथा प्रचलित हैं, बताया जाता हैं कि एक बार किसी जंगल में शिकारी शिकार करने आया हुआ था पर दिन छिप जाने के कारण उसे उसी जंगल में शरण लेनी पड़ी, जंगल में होने कारण उसे नींद नहीं आ रही थी, शिकारी बेल के वृक्ष पर बैठा हुआ था और उस पेड़ के ठीक नीचे शिवलिंग था तो उस शिकारी ने पूरी रात बेल के पत्ते एक-एक करके नीचे शिवलिंग पर डाल दिए। शिकारी के इस कार्य से शिवशंकर बहुत प्रसन्न हुए जबकि शिकारी को ये बिल्कुल भी एहसास नहीं था कि उसने क्या किया हैं, तब भगवान शिव ने उस शिकारी को दर्शन दिए और उसे मनचाहा वरदान दिया, इसी वजह से भगवान शिव को भोलेनाथ के नाम से भी जाना जाता हैं। महादेव के इस मंत्र से मनुष्य को पीड़ा, दुख इत्यादि से मुक्ति मिल जाती हैं इसके अलावा व्यक्ति को इस मंत्र के उच्चारण से अपने शरीर में नई ऊर्जा का एहसास होने लगता हैं।
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