जानें, आखिर प्रदोष व्रत के दौरान क्यों किया जाता है भगवान शिव का पूजन
भगवान शिव की उपासना प्रदोश व्रत में की जाती हैं, यह व्रत हिन्दू धर्म के सबसे शुभ और महत्वपूर्ण व्रतों में से एक हैं| हिन्दू चन्द्र कैलेंडर के मुताबिक यह व्रत चन्द्र मास के तेरहवें दिन रखा जाता हैं| इस व्रत को लेकर ऐसी मान्यता हैं कि इस व्रत को करने और भगवान शिव के पूजा मात्र से ही व्यक्ति के सारे पाप धूल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती हैं|
प्रदोष व्रत की महिमा
शास्त्रों के मुताबिक प्रदोश व्रत को करने से दो गायों के दान करने के बराबर फल मिलता हैं| दरअसल पौराणिक तथ्य के मुताबिक ‘जब एक दिन चारों ओर अधर्म की स्थिति होगी, अन्याय और अनाचार का अधिकार होगा, मनुष्यों के अंदर स्वार्थ भाव ज्यादा होगा और व्यक्ति सत्कर्म की जगह कुकर्म करेगा| ऐसे समय में जो व्यक्ति त्रयोदशी का व्रत रख, शिव आराधना करेगा, उस व्यक्ति के ऊपर शिव की कृपा होगी क्योंकि इस व्रत को करने के बाद व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी|
प्रदोष व्रत से मिलने वाले फल
(1) यदि आप संतान प्राप्ति की कामना करते हैं तो, आप शनिवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत करे|
(2) शुक्रवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत सौभाग्य और दाम्पत्य जीवन की सुख-शान्ति के लिए किया जाता है|
(3) यदि गुरुवार के दिन प्रदोष व्रत पड़े तो इस दिन के व्रत के फल से शत्रुओं का विनाश होता है|
(4) यदि बुधवार के दिन प्रदोष व्रत हो तो, व्रत करने वाले की सभी मनोकाकामना पूर्ति होती है|
(5) मंगलवार के दिन त्रयोदशी का प्रदोष व्रत करने से रोगों से मुक्ति व स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है|
(6) सोमवार के दिन त्रयोदशी पड़ने पर किया जाने वाला व्रत आरोग्य प्रदान करता है और इंसान की सभी कामनाओं की पूर्ति करता हैं|
(7) रविवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करने से आयु वृद्धि तथा अच्छा स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया जा सकता है|
प्रदोष व्रत की विधि
(1) इस व्रत को करने के लिए त्रयोदशी के दिन प्रात: सूर्य उदय से पूर्व उठे|
(2) फिर नित्यकर्मों से निवृ्त हो जाए और भगवान शिव का स्मरण करें|
(3) इस व्रत में आहार नहीं लिया जाता है|
(4) पूरे दिन उपवास रहने के बाद, सूर्यास्त के एक घंटा पहले स्नान कर सफ़ेद वस्त्र धारण करे|
(5) अब पूजन स्थल को गंगाजल या स्वच्छ जल से शुद्ध करे और फिर गाय के गोबर से लीपकर, मंडप तैयार करे|
(6) अब इस मंडप में पांच रंगों का उपयोग करते हुए रंगोली बनाए|
(7) प्रदोष व्रत कि आराधना करने के लिए कुशा के आसन का प्रयोग करे|
(8) पूजन की तैयारियां करके उतर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे और भगवान शिव का पूजन करे|
(9) पूजन में भगवान शिव के मंत्र ‘ऊँ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए भगवान शिव को जल चढ़ाएँ|
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प्रदोष व्रत का उद्यापन
(1) व्रत का उद्यापन त्रयोदशी तिथि पर ही करे|
(2) उद्यापन से एक दिन पूर्व श्री गणेश का पूजन करे और पूर्व रात्रि में कीर्तन करते हुए जागरण करे|
(3) इसके बाद प्रात: जल्दी उठकर मंडप बनाकर, मंडप को वस्त्रों और रंगोली से सजाकर तैयार करे|
(4) ‘ऊँ उमा सहित शिवाय नम:’ मंत्र का एक माला यानी 108 बार जाप करते हुए हवन करे|
(5) आहुति देने के लिए हवन में खीर का इस्तेमाल करे|
(6) हवन समाप्त होने के बाद भगवान शिव की आरती करे और फिर शांति पाठ करे|
(7) इसके बाद दो ब्रह्माणों को भोजन कराएं, अपने सामर्थ्य के मुताबिक उन्हें दक्षिणा दे और उनका आशीर्वाद प्राप्त करे|