Religion

Vat Savitri Vrat 2021: सुहागिनों के लिए क्यों खास है वट सावित्री व्रत? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व तथा पूजा विधि

Vat Savitri Vrat 2021 | सनातन धर्म में व्रत एवं त्यौहार का काफी विशेष महत्व होता है, हर माह कोई ना कोई व्रत या पर्व अवश्य आता हैं, हर व्रत का अपना ही विशेष महत्व होता है और हर व्रत को करने के पीछे कोई कथा अवश्य होती हैं। वैसे तो वर्ष में ऐसे बहुत से व्रत आते हैं जिन्हें हिंदू मान्यताओं के अनुसार सिर्फ महिलाएं ही करते हैं उनमें से एक ऐसा विशेष व्रत हैं वट सावित्री का व्रत (Vat Savitri Vrat 2021), इस व्रत को महिलाएं अपने सुहाग की लंबी आयु के लिए करती हैं।

वट सावित्री व्रत हर वर्ष ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन होता हैं इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना और संतान प्राप्ति की दृष्टि से करती हैं। मान्यता हैं कि इस व्रत को करने से सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं, आइये जानते हैं कि इस वर्ष ये वट सावित्री व्रत कब हैं और आखिर क्यों इस व्रत को सुहागिनों के लिए खास माना जाता हैं।

Vat Savitri Vrat 2021 | कब है वट सावित्री व्रत

Vat Savitri Vrat 2021

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हर वर्ष की तरह इस वर्ष वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन यानी 10 जून को हैं, वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं बड़ का पेड़ यानी बरगद के पेड़ की पूजा करते हैं। व्रत के दिन विवाहित महिलाएं बरगद के पेड़ के चारों और परिक्रमा लगाती हैं और पेड़ पर पति की लंबी आयु के लिए रक्षा सूत्र बांधती हैं और पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। मान्यता हैं कि इस व्रत को जो भी सुहागिन स्त्री सच्ची निष्ठा से करती हैं उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती हैं और उनके पति पर आने वाली सभी परेशानी उनसे दूर हो जाती हैं।

वट सावित्री व्रत का शुभ मुहूर्त

इस साल वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2021) 10 जून को अमावस्या के दिन हैं इस बार ज्येष्ठ माह के कृष्णपक्ष की अमावस्या 9 जून दोपहर 1:57 से शुरु होगी और 10 जून 4:22 तक अमावस्या रहेगी, व्रत पारण 11 जून दिन शुक्रवार को हैं।

वट सावित्री व्रत का महत्व

वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाओं के द्वारा बरगद के पेड़ और सावित्री-सत्यवान की पूजा की जाती हैं, पुराणों के अनुसार वट के वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनो देवता वास करते हैं इसलिए वट सावित्री व्रत के दिन बरगद के पेड़ की पूजा करने का विशेष महत्व होता हैं। वट सावित्री की पूजा के लिए सावित्री-सत्यवान की मूर्तियां, लाल कलावा, धूप-दीप, सुहाग का सामान, कलश, फल, सिंदूर एवं कुमकुम, चढ़ाने के लिए पकवान, अक्षत, हल्दी, जलाभिषेक के लिए पीतल का जल पात्र।

Vat Savitri Vrat 2021 | पूजन विधि

Vat Savitri Vrat 2021

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वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाओं को सुबह जल्द उठकर स्नान-नित्यकर्म से मुक्त होकर व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए, उसके बाद सोलह श्रृंगार करने के बाद सूर्य को जल का अर्ध्य देना चाहिए। अब माता सावित्री और सत्यवान की पूजा करते हुए बरगद के वृक्ष पर पानी चढ़ाना चाहिए, पूजा के दौरान जल, मोली, रोली, कच्चा सूत, भीगे हुए चने, फूल एवं धूप का इस्तेमाल करना चाहिये।

बरगद के पेड़ पर जल चढ़ाने के बाद वट वृक्ष के चारों ओर कच्चे धागे को लपेटते हुए तीन बार परिक्रमा लगाई जाती हैं, उसके बाद वट सावित्री व्रत की कथा सुननी चाहिए। पूजन की समाप्ति पर ब्राह्मणों को बांस के पात्र में वस्त्र एवं फल का दान करना चाहिए।

महिलाओं के लिए क्यों खास हैं वट सावित्री व्रत

ये कथा तो हम सबने अवश्य सुनी होगी कि एक बार सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से छीन लिए थे, दरअसल सावित्री ने अपने वर के रूप में सत्यवान को चुना था, तभी कुछ समय बाद नारद मुनि ने भविष्यवाणी की थी कि सत्यवान की उम्र बहुत थोड़ी ही बची हैं इसलिए उन्हें सत्यवान से शादी नहीं करनी चाहिए लेकिन सावित्री ने ये कहकर मना कर दिया कि मैं आर्य पुत्री हूं इसलिए जिसे मैंने अपना पति मान लिया हैं तो मैं उसी से विवाह करूंगी

सावित्री ने अपने पति के प्राणों की रक्षा के लिए कठोर तपस्या की और जब यमराज उनके पति के प्राण लेने आये तो सावित्री ने अपने तप के बल पर अपने पति के प्राण वापस ले लिए थे। इसलिए कहा जाता है कि वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2021) रखना सुहागिन महिलाओं के लिए काफी विशेष महत्व रखता हैं।