Shikari Mata Temple : हिमाचल स्थित इस चमत्कारिक मंदिर और मूर्तियों पर नहीं टिकती बर्फ, पांडवों से जुड़ा है इतिहास
Shikari Mata Temple : भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है, यहां कई ऐसे मंदिर है जिनके साथ कोई न कोई रहस्य व चमत्कार जुड़ा हुआ है। जिसे आजतक वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए है। आज हम आपको एक ऐसे ही चमत्कारिक मंदिर के बारे में बताएंगे, जिसके चमत्कार के बारे में जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे। यह मंदिर आस्था का केंद्र तो है ही साथ ही अलौकिक रहस्यों और प्राकृतिक रोमांच के लिए भी जाना जाता है। हम जिस मंदिर की बात करे रहें है वो हिमाचल प्रदेश में स्थित शिकारी माता का मंदिर (Shikari Mata Temple) है, ये मंदिर बिना छत के ही स्थापित है और यहां आजतक कोई छत नहीं लगवा पाया है। आइए इस मंदिर के बारे में और इससे जुड़े इस चमत्कार के बारे में विस्तार से जानते है….
Shikari Mata Temple : समुद्र तल से 3359 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है मंदिर
दरअसल, हम जिस मंदिर की बात कर रहें वो हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला में स्थित शिकारी माता का मंदिर है। ये मंदिर अतुलनीय प्राकृतिक सुन्दरता और रहस्यों के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर के चारों तरफ की सुन्दरता आपको अपनी ओर आकर्षित कर देगी। शिकारी माता का यह मंदिर समुद्र तल से 3359 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
आजतक कोई मंदिर पर नहीं बनवा पाया छत
बता दें कि पहाड़ की चोटी पर स्थित यह पवित्र स्थल ((Shikari Mata Temple) कई रहस्यों के लिए जाना जाता है। कहा जाता है कि आज तक कोई भी इस मंदिर के ऊपर छत नहीं लगवा पाया है। यहाँ माता की पत्थर से बनी मूर्तियाँ नीले आकाश के नीचे शक्ति रूप में विराजमान हैं।
मंदिर में होता है ये चमत्कार
वहीं इसे लेकर मंदिर के पुजारी का कहना है कि इस मंदिर पर बर्फ तो पड़ती है पर मूर्तियों को ढक नहीं पाती। उन्होंने बताया कि यह माता का चमत्कार ही है कि आस-पास की हर वस्तु बर्फ से ढक जाती है, पर माता की प्रतिमा को बर्फ छू तक नहीं पाती।
उन्होंने यह भी बताया कि कोई पक्षी माता के मंदिर के ऊपर से नहीं उड़ता यह बात पूरी तरह सत्य नहीं है। उन्होंने बताया कि एक कौआ माता के मंदिर के ऊपर आता है, लेकिन विशेषता यह है कि वही इकलौता पक्षी है जो यहाँ आता है, अन्य कोई भी पक्षी यहाँ नहीं आते।
पौराणिक कथा
मान्यता है कि मार्कंडेय ऋषि ने यहाँ कई सालों तक कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से खुश हो कर माता दुर्गा शक्ति के रूप में प्रकट हुई और यहाँ स्थापित हुईं। इसके बाद पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहाँ वास किया और बिना छत वाले इस मंदिर (Shikari Mata Temple) का निर्माण किया। वहीं पौराणिक कथाओं के अनुसार शिकारी माता मंदिर का इतिहास पांडवों और कौरवों के बीच द्वापर युग में लड़े गए महाभारत युद्ध के समय का माना जाता है।
पौराणिक कथा में बताया गया है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव एक दिन जब आखेट के लिए शिकारी माता जंगल में गए तो उन्हें वहां एक सुंदर हिरण दिखाई दिया। बहुत देर तक उन्होंने उस हिरण का पीछा किया पर वे उसका शिकार करने में सफल न हो सके। वहीं देखते ही देखते वह हिरण रहस्यमयी रूप से जंगल से गायब हो गया।
इस तरह हुआ Shikari Mata Temple स्थापित
कहा जाता है कि रात में शिकारी माता की पहाड़ियों पर पांडवों को एक महिला की आवाज सुनाई दी। जो यह कह रही थी कि उन्हें उस जगह को खोजना चाहिए जहाँ उनकी (आदिशक्ति) प्रतीकात्मक मूर्तियाँ हैं और उन मूर्तियों को लोगों की पूजा व इच्छापूर्ति के लिए स्थापित करना होगा। इस अवाज को सुन पांडवों ने तुरंत देवी की इच्छानुसार पत्थर की उन मूर्तियों को ढूंढ कर बिना छत वाले मंदिर की स्थापना की। लेकिन ये बात आजतक मालूम नहीं हुई कि पांडवों ने माता के मंदिर के ऊपर छत का निर्माण क्यों नहीं किया? इसके बाद ही उन्हें उनके राज्य की दोबारा प्राप्ति हुई, क्योंकि दुर्गा माता शिकार के रूप में प्रकट हुई थी इसलिए यह शिकारी माता (Shikari Mata Temple) के नाम से जानी गईं।
इसलिए मंदिर का नाम पड़ा शिकारी माता
वहीं बता दें कि इस मंदिर पर छत निर्माण करने की कोशिश की गई पर यह सम्भव न हो सका। यह मंदिर शांत, स्वच्छ वातावरण वन्य जीवों से भरा पड़ा है, इसलिए शिकारी अक्सर यहाँ शिकार करने आते-जाते थे। शिकार करने में उन्हें सफलता मिले इसके लिए वे माता से प्रार्थना करते थे। उन्हें शिकार में कामयाबी भी मिलने लगी। इस तरह यह मंदिर Shikari Mata Temple के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
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