Kuber Temple : रावण के ससुराल में विराजमान है धन देवता कुबेर, धनतेरस पर दर्शन मात्र से होती है धन की प्राप्ति
Kuber Temple : भारत में कई ऐसे मंदिर है जिनका इतिहास सदियों पुराना है। जो काफी अद्भुत व अलौकिक है। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताएंगे जो 600 साल पुराना है, धनतेरस और दिवाली के दिन इस मंदिर में दर्शन करने से भक्तों को अपार धन की प्राप्ति होती है। दरअसल, ये मंदिर धन के देवता कुबेर (Kuber Temple) का है। जो काफी प्रसिद्ध है, इस मंदिर का इतिहास बेहद दिलचस्प है। तो चलिए जानते है कहां स्थित है भगवान कुबेर का ये मंदिर (Kuber Temple) और इससे जुड़ी कहानी के बार में…
Kuber Temple : यहाँ स्थित है यह मंदिर
हम जिस मंदिर की बात कर रहें है, वो मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर खिलचिपुरा में स्थित है। जिसे कुबेर मंदिर (Kuber Temple) के नाम से जाना जाता है। बता दें कि मदसौर को रावण का सुसराल भी कहा जाता है, लेकिन कुछ लोगों का मानना ये भी था, कि लंकेश का सुसराल राजस्थान में था। यह मंदिर, देखने में छोटा है, लेकिन मान्यताओं और विशेषताओं में बहुत बड़ा माना जाता है।
Kuber Temple : धनतेरस और दिवाली पर दर्शन करने से होती है धन वर्षा
कई लोगों का मानना है कि इस मंदिर का इतिहास 600 साल से भी प्राचीन है और जो भी भक्त धनतेरस और दिवाली पर यहां पूजा-पाठ करता है उसके ऊपर धन की वर्षा होती है। मंदसौर में स्थित इस मंदिर (Kuber Temple) का इतिहास काफी दिलचस्प है।
मुगलों ने किया था मंदिर पर आक्रमण
वहीं स्थानीय और अन्य कई लोगों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण मराठा काल से पहले किया गया था। प्राचीन काल में इस मंदिर पर कई बार मुगलों ने आक्रमण किया था, लेकिन मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाएं।
यतियों द्वारा उड़ाकर लाया गया था मंदिर
कुबेर मंदिर (Kuber temple) की पौराणिक कथा भी बेहद दिलचस्प है। कई लोगों का ऐसा मानना है कि भगवान कुबेर के इस मंदिर का निर्माण नहीं किया गया था बल्कि यह मंदिर यहां यतियों द्वारा उड़ाकर लाया गया था। एक वक्त था जब तंत्र क्रिया करने वाले यतियों को कई तरह की शक्तियां प्राप्त थी। यही कारण है कि आज भी इस मंदिर की नींव ही नहीं मिल पाई है।
कुबेर देवता के साथ महादेव और भगवान गणेश भी है विराजमान
आमतौर पर देखा जाता है कि जहां कुबेर मंदिर होता है, वहां शायद ही भगवान शिव और भगवान गणेश मौजूद हो, लेकिन इस मंदिर में भगवान शिव का भव्य शिवलिंग और ऋद्धि- सिद्धि के देवता गणेश भी विराजमान है। साथ ही उनके पास दीवाल पर भगवान कुबेर की प्रतिमा विराजित है। बता दें कि महादेव और विघ्नहर्ता गणेश के साथ धन देवता कुबेर के विराजित होने से यह संयोग तंत्र क्रियाओं के लिए विशेष माना जाता है। बताया जाता है कि पहले इस मंदिर से कई विद्वान पंडित सिद्धियां प्राप्त कर चुके है।
धनतेरस और दिवाली के दिन लगता है श्रद्धालुओं का तांता
बता दें कि इस मंदिर के गर्भ गृह में भगवान कुबेर की पवित्र मूर्ति विराजमान है। यह मंदिर करीब 3 फीट ऊंचा है और मंदिर के दर्शन के लिए हर हजारों भक्त यहां पहुंचते हैं। खासकर धनतेरस और दिवाली के दिन यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यहां भक्त भगवान कुबेर से आर्थिक समृद्धि की कामना करते है।
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