Religion

Diwali 2022 : दिवाली की पूजा में क्‍यों चढ़ाते हैं खील-बताशे, जानें क्या है इसका महत्व

Diwali 2022 : हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दीवाली (Diwali) का पर्व मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 24 अक्‍टूबर 2022 को मनाया जाएगा। इस दिन मां लक्ष्‍मी (Goddess Laxmi), भगवान गणेश (Lord Ganesha) की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। आपने देखा होगा कि दीवाली की पूजा में प्रसाद के तौर में खील-बताशे चढ़ाए जाते है, इसके बिना मां लक्ष्‍मी की पूजा अधूरी मानी जाती है। लेकिन क्या आप जानते है कि खील-बताशों का दीवाली (Diwali) की पूजा में क्या महत्व, इसे क्यों चढ़ाया जाता है। अगर नहीं तो फिर चलिए जानते है…

Diwali : दीवाली पर्व का महत्व

दीवाली (Diwali) के पर्व को सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से वे सुख-समृद्धि, धन संपदा, ऐश्वर्य वैभव का आशीर्वाद देती है। दीवाली को मिलन का त्योहार भी माना जाता है, इस दिन सभी लोग एक दूसरे के घर जाते हैं और मिठाईयां बांटते हैं। आइए अब जानते है कि Diwali पूजा में खील और बताशा क्यों चढ़ाते है।

Diwali

दिवाली पूजा में क्‍यों चढ़ाते हैं खील और बताशा

Diwali की पूजा में खील बताशे का प्रसाद चढ़ाने के पीछे व्यावहारिक, दार्शनिक और ज्योतिषि ऐसे कई कारण है। बता दें कि खील जो कि मूलत: धान का ही एक रूप है, यह चावल से बनती है और चावल (Rice) उत्तर भारत का प्रमुख अनाज भी माना जाता है। दिवाली के समय धान की पहली फसल आने का समय होता है, इसलिए पहली फसल मां लक्ष्‍मी को चढ़ाने से वे प्रसन्‍न होती है और वो घर को धन-धान्‍य से भर देती हैं।

Diwali

ज्योतिषि कारण

इसके अलावा ज्‍योतिष के अनुसार सफेद और मीठे बताशों का संबंध शुक्र ग्रह से होता है, जो धन और समृद्धि देने वाले ग्रह माने जाते हैं। ऐसे में शुक्र ग्रह और मां लक्ष्‍मी (Goddess Laxmi) की कृपा पाने के लिए पूजा में खील और बताशे प्रमुख तौर पर चढ़ाए जाते हैं। साथ ही इस मौसम में खील खाना सेहत के लिए भी बहुत लाभदायक होता है।

अन्य कारण

  • खील में भरपूर रूप से कार्बोहाइड्रेट होता है, जो आपको इंस्टेंट एनर्जी देता है। इसके साथ ही यह एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है, जो आपको कई बीमारियों से बचा सकता है। अगर देशी घी में बताशा मिलाकर खाया जाए तो ये आपके मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने का काम करते हैं, जिससे आपको वजन घटाने में मदद मिलती है।
  • इसके अलावा खील बताशा जो मुख्य रूप से चावल और चीनी से बना होता है। यह पचने में आसान होता है, इसलिए दिवाली के दौरान यह एक महत्वपूर्ण मिठाई और प्रसाद के रुप में चढ़ाया जाता है।
Diwali

लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त (Diwali Shubh Muhurat)

  • प्रदोष व्रत पूजा- 24 अक्टूबर शाम 5 बजकर 50 मिनट से रात 8 बजकर 22 मिनट तक
  • लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- 24 अक्टूबर शाम 06 बजकर 53 मिनट से रात 08 बजकर 16 मिनट तक
  • अभिजीत मुहूर्त- 24 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 19 मिनट से दोपहर 12 बजकर 05 मिनट तक
  • अमृत काल मुहूर्त – 24 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 40 मिनट से 10 बजकर 16 मिनट तक
  • विजय मुहूर्त- 24 अक्टूबर दोपहर 01 बजकर 36 मिनट से 02 बजकर 21 मिनट तक़

लक्ष्मी पूजन की विधि (Diwali Lakshmi Pujan)

दीवाली (Diwali) पर्व के शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। वहीं शास्त्रों के अनुसार दिए गए मुहूर्त में लक्ष्मी जी की पूजा करना शुभ माना जाता है। इस दिन स्नान करने के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनकर पूरी श्रद्धा से पूजा-अर्चना करें। पूजा के बाद मां लक्ष्मी की आरती और मंत्रों का जाप करना चाहिए। इस दिन दान का भी खास महत्व बताया गया है।

हमसे जुड़े तथा अपडेट रहने के लिए आप हमें Facebook Instagram Twitter Sharechat Koo App YouTube Telegram पर फॉलो व सब्सक्राइब करें