Ganesh Chaturthi 2020: 10 दिनों तक क्यों मनाया जाता है गणेशोत्सव? बेहद रोचक है कहानी
Youthtrend Religion Desk : गणपति का पर्व गणेशोत्सव महाराष्ट्र के साथ-साथ पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं, गणेशोत्सव आते ही पूरे महाराष्ट्र में बहुत ही रौनक रहती हैं और मुंबई का नजारा देखते ही बनता हैं, गणेशोत्सव का त्यौहार हर वर्ष भाद्रपद मास में मनाया जाता हैं। 10 दिन तक चलने वाले इसे उत्सव में लगातार 10 दिनों तक गणेश जी की पूजा की जाती हैं और 11वें दिन गणपति की प्रतिमा को विसर्जित कर दिया जाता हैं, क्या आप जानते हैं कि ये गणेशोत्सव 10 दिनों तक ही क्यों मनाते हैं और क्या हैं इसका देश की आजादी से संबंध आइये जानते हैं।
क्या हैं गणेशोत्सव का इतिहास
गणेशोत्सव का पर्व हर साल भाद्रपद माह की शुक्लपक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता हैं, पुराणों के अनुसार भाद्रपद माह की शुक्लपक्ष की चतुर्थी के दिन ही भगवान श्रीगणेश का जन्म हुआ था, शुरू में तो ये पर्व सिर्फ 1 दिन ही मनाया जाता था लेकिन बाद में ये लगातार 10 दिन तक गणेशोत्सव चलने लगा। गणेशोत्सव का पर्व हजारों सालों से भी ज्यादा समय से मनाया जा रहा हैं, इस पर्व को भव्यता देश में मराठों के शासन के दौरान मिली।
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मराठों के शासन में मनाया जाता था बड़ी धूमधाम से गणपति पर्व
भारत में पेशवा के शासनकाल में जब सवाई माधवराव पेशवा का शासन था तो उस समय पूना के शनिवारवाड़ा महल में बड़ी ही धूमधाम से गणेशोत्सव मनाया जाता था, लेकिन देश में अंग्रेजों के आते ही गणेशोत्सव की धूम में कमी होने लगी पर फिर भी गणेशोत्सव लगातार जारी रहा, इसी दौरान हिंदुओ में भी धर्म को लेकर उदासीनता बनी रही क्योंकि बहुत से लोग अंग्रेजी भाषा और अंग्रेजी संस्कृति से प्रभावित होकर हिंदू पर्व से दूरी बना चुके थे।
GaneshChaturthi: 10 दिनों के लिए ही क्यों मनाया जाता है गणेश चतुर्थी? | YouthTrend
महान क्रांतिकारी लोकमान्य तिलक ने दुबारा शुरू किया था गणेशोत्सव
हिंदू धर्म को लेकर बढ़ती उदासीनता के कारण महान क्रांतिकारी लोकमान्य तिलक ने कहा था कि केवल गणेश भगवान ही ऐसे भगवान हैं जिनकी पूजा समाज के हर स्तर में की जाती हैं, उन्होंने ये भी विचार किया कि अगर गणपति पूजा को गणेशोत्सव में बदल दिया जाए तो अंग्रेज भी इसमें दखल नहीं दे पाएंगे। इसी वजह से 1893 में पूना में उनके द्वारा सार्वजनिक गणेशोत्सव की शुरुआत की गई।
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गणेशोत्सव में बनती थी देश को आजाद कराने की योजना
पूना से शुरू हुआ गणेशोत्सव धीरे-धीरे पूरे महाराष्ट्र में मनाया जाने लगा, इस दौरान अन्य धर्मों को मानने वाले लोग हिंदू धर्म पर हावी होने लगे थे, इसी वजह से लोकमान्य तिलक ने पूना में ही एक सभा की जिसमें उन्होंने ये घोषणा करी कि अब से गणेशोत्सव 1 दिन की जगह 10 दिन का मनाया जाएगा, इसलिए गणेशोत्सव भाद्रपद माह की शुक्लपक्ष चतुर्थी से शुरू होकर शुक्लपक्ष चतुर्दशी यानी अनंत चतुर्दशी तक मनाया जाने लगा। इसके अलावा तिलक ने ये भी कहा था कि 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव में देश को आजाद करवाने के लिए और हिंदुओं को एकजुट करने के लिए विभिन्न योजनाएं बनाई जाएंगी।