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BSNL का अस्तित्व खतरे में है? जानिए Jio के आने के बाद कैसी डूबते जा रही है ये सरकारी कंपनी

Youthtrend News Desk : आज का युग डिजिटल युग हैं, पहले जहां हमारें पूरे घर में सिर्फ एक लैंडलाइन फोन हुआ करता था अब घर के हर सदस्य के पास के स्मार्टफोन होता हैं, पहले कुछ भी इंटरनेट से सम्बंधित कोई काम होता था तो हमें या तो बाजार में जाकर साइबर कैफे में काम करना होता था या स्लो इंटरनेट की वजह से परेशान रहते थे। अब समय बदल चुका हैं अब हम हाई-स्पीड इंटरनेट की वजह से कुछ भी चुटकी में डाउनलोड कर सकते हैं और ये सब संभव हुआ हैं जबसे मोबाइल सेक्टर में निजीकरण हो गया हैं। जब शुरू में मोबाइल फोन आया था तो उस समय सभी प्राइवेट मोबाइल ऑपरेटर आउटगोइंग कॉल के लिए 16 रुपये प्रति मिनट की दर से चार्ज करते थे और इनकमिंग कॉल करने के लिए 8 रुपये अपने ग्राहकों से लिया करती थी लेकिन उस समय एक ऐसी सरकारी कंपनी आई जिसने मोबाइल सेक्टर में तहलका मचा दिया और वो कंपनी थी BSNL, 2002 में आई ये सरकारी मोबाइल ऑपरेटर अब कंगाली के कगार पर हैं। आज के इस लेख में हम यहीं जानने की कोशिश करी कि आखिर इसके पीछे क्या वजह हैं।

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कभी देश भर में थी BSNL की धूम

19 अक्टूबर 2002 को उस समय के प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से BSNL मोबाइल सेवा की शुरुआत की थी तो उस समय किसी को भी यकीन नहीं था कि आने वाले समय में ये देश की अग्रणी मोबाइल प्रोवाइडर बनने वाली हैं। लांच होने के कुछ समय के भीतर ही ये देश की नंबर वन मोबाइल नेटवर्क कंपनी बन चुकी थी, उस समय BSNL ने सभी प्राइवेट टेलीकॉम ऑपरेटर को नाक में दम कर दिया था। 2002 से 2005 तक बीएसएनएल का ऐसा सुनहरा काल रहा जब हर किसी के फोन में BSNL का ही सिम कार्ड हुआ करता था। यहां तक कि एक आम आदमी से लेकर वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के पास भी BSNL की ही सिम होती थी, उन दिनों इस सरकारी टेलीकॉम कंपनी के सिम कार्ड की काफी मांग हुआ करती थी, 2005 में तो इस सरकारी कंपनी के पास 35 हजार करोड़ तक का कैश रिजर्व हुआ करता था।

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क्यों कम हो गई BSNL की वैल्यू

2006 ये वो साल था जब देश में मोबाइल नेटवर्क में निजीकरण का दौर आया और काफी सारी टेलीकॉम कंपनी उस समय बाजार में आ गई थी और बेहतर नेटवर्क के चलते BSNL से आगे निकल गई, ग्राहकों को बीएसएनएल में खराब नेटवर्क की समस्या आने लगी जिसके कारण BSNL के ग्राहक निजी टेलिकॉम ऑपरेटर की तरफ जाने लगें। इसके अलावा अपनी सेवाओं में सुधार करने के लिए BSNL को तुरतं निर्णय लेने की आवश्यकता थी लेकिन एक सरकारी कंपनी होने की वजह से उन्हें किसी भी काम के लिए टेंडर निकालने पड़ते थे इसी कारण कोई भी कार्य पूरा होने में कई महीनों के समय लग जाता था।

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Jio ने की BSNL की हालत खराब

2014 से 2017 तक BSNL के खराब स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ और उन्होंने ऑपरेटिंग प्रॉफिट्स के द्वारा अच्छी कमाई की, सब कुछ ठीक चल ही रहा था कि 2016 में रिलायंस जियो के आते ही पूरी मोबाइल नेटवर्क इंडस्ट्री में तूफान सा आ गया था, केवल BSNL ही नहीं बल्कि अन्य निजी कंपनियां भी JIO के आगे बेबस साबित हुई। इसका मुख्य कारण था JIO के द्वारा ग्राहकों को लंबे समय तक मुफ्त में इंटरनेट डेटा देना और फ्री कॉलिंग सेवा, इसी वजह से पिछले 3 सालों से ये सरकारी उपक्रम (BSNL) काफी ज्यादा घाटे में चल रहा हैं और अब ये कहा जा रहा हैं कि ये लगातार अब घाटे सहने के काबिल नहीं हैं।

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