जानें, मरने के बाद 47 दिन क्या होता है व्यक्ति के साथ ? सुनकर हैरान हो जाएंगे आप
हर मनुष्य के मन में सवाल उठता हैं कि आखिर मृत्यु के बाद हमारे साथ क्या होता हैं? या फिर हमारी आत्मा कहां जाती है? अक्सर आपने लोगों को कहते सुना होगा की मरने के बाद मनुष्य स्वर्ग या फिर नर्क में जाता हैं| यदि आपने अच्छा काम किया हैं तो आप स्वर्ग जाएंगे लेकिन यदि आपने जीवन में बहुत सारे बुरे कर्म किया हैं तो आपको नर्क का द्वारा देखना पड़ेगा| धार्मिक व्यक्तियों का मानना है कि आत्मा कभी भी नष्ट नहीं होती है| आत्मा केवल एक शरीर से दूसरे शरीर में प्रवेश करती हैं| मृत्यु को लेकर गरुडपुराण में विस्तार-पूर्वक बताया गया हैं|
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गरुडपुराण के मुताबिक जिस मनुष्य ने बुरे काम किया हैं उसके साथ यमलोक में बहुत यातनाएं दी जाती हैं| गरुडपुराण के अनुसार प्रेत आत्मा को पहले दिन सिर, दूसरे दिन गर्दन और कंधे और तीसरे दिन हृदय, चौथे दिन के पिंडदान से पीठ, पांचवे दिन के पिंडदान से नाभि, छ्थे और सातवें दिन के पिंडदान से कमर और नीचे का भाग और नौवे दिन के पिंडदान से पैर और प्रेत का शरीर बनाता हैं| दसवें दिन के पिंडदान से चलाने की शक्ति प्राप्त होती हैं और उसे भूख-प्यास महसूस होती हैं| भूख-प्यास से व्याकुल प्रेत आत्मा के ग्यारहवे और बारहवें दिन के पिंड से वह भोजन करता हैं|
इसलिए मृत्यु के बाद ये सब क्रियाएँ की जाती हैं| मृत्यु के प्राणी प्रेत बनकर अपने परिजनो को प्रताड़ित करता हैं| जो व्यक्ति विश्वासघाती होता हैं वो प्रेत योनि में जाता हैं| तेरहवें दिन यमदूत प्रेत आत्मा को बंदर की तरह पकड़कर लेते हैं और उसे वैतरणी नदी से ले जाते हैं| वैतरणी नदी गंगा का ही रौद्र रूप होता हैं| प्रेत आतमा 47 से दिन नर्कलोक पहुंचता हैं| यदि जिस मनुष्य ने अपने जीवन में कुछ अच्छा काम किया होता हैं उसे थोड़ा बहुत दया मिलता हैं| प्रेत आत्माओं को 16 पूरियाँ को पार करता हैं और अंत में प्रेत आत्मा यमपुरी पहुंचता हैं| प्रेत योनि से बचने के लिए आप दान-दक्षिणा जरूर करें|