Presidential Train: किसी राजमहल से कम नहीं है पैलेस ऑन वहील, देखें अन्दर की तस्वीरें
Presidential Train | भारतीय रेल दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है, इंडियन रेलवे में वैसे तो बहुत सी शानदार ट्रेन है जैसेकि राजधानी एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस, गतिमान एक्सप्रेस, वंदे भारत एक्सप्रेस इत्यादि। इन सब ट्रेन के अलावा देश में बहुत सी रॉयल ट्रेन भी है जो यात्रियों को चलते-फिरते महल का एहसास कराती है। देश में कुल 7 रॉयल ट्रेन चलती है जो यात्रियों को एक राजशाही यात्रा का अनुभव दिलाती है। बीते दिनों देश के सर्वोच्च पद पर आसीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपने पैतृक गांव प्रेसिडेंशियल ट्रेन (Presidential Train) के द्वारा गए थे, किसी राष्ट्रपति के द्वारा ट्रेन से यात्रा करना पूरे देश के लिए चर्चा का विषय बना था।
हालाँकि राष्ट्रपति की यात्रा से ज्यादा चर्चा उस Presidential Train की हो रही है जिससे राष्ट्रपति ने कानपुर और लखनऊ की यात्रा की। आइये हम भी जानते है कि ऐसा क्या खास है इस प्रेसिडेंशियल ट्रेन में।
Presidential Train : किसी महल से नहीं है कम
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जिस प्रेसिडेंशियल ट्रेन (Presidential Train) से यात्रा की है वो ट्रेन किसी चलते-फिरते महल से बिल्कुल भी कम नहीं है। इस आलीशान ट्रेन में कुल 23 कोच है जिसमें तकरीबन 43 राजसी केबिन बनाए गए है, इस ट्रेन में सफर कर रहे लोगों को खाना खिलाने के लिए किसी महल की तरह ही चांदी और सोने के वर्क वाले बर्तनों में खाना परोसा जाता हैं।
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इस प्रेसिडेंशियल ट्रेन में दो रेस्टोरेंट भी बनाए गए है जिन्हें मोर महल और रंग महल का नाम दिया गया है और ये दोनों रेस्टोरेंट भी बहुत ही खास है। इस ट्रेन में कुछ कोच तो ऐसे है जिनकी छत नही है और इसमें सफर करने से खुले आसमान में सफर करने का एहसास होता है।
Presidential Train में क्या है खास
इस आलीशान ट्रेन को बहुत से आधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस किया गया है, ट्रेन में बुलेट प्रूफ विंडो, सेटेलाइट बेस्ड कम्युनिकेशन सिस्टम जैसी आधुनिक टेक्नोलॉजी भी है। राष्ट्रपति या किसी गणमान्य व्यक्ति के लिए ट्रेन में एक कोच को सिर्फ प्रेसिडेंशियल सुइट के लिए रखा गया है और इसके अंदर बने हुए लिविंग रूम में मकराना मार्बल की नक्काशी की गई है। प्रेसिडेंशियल ट्रेन (Presidential Train) में विजिटिंग रूम, लाउंज रूम, कॉन्फ्रेंस रूम, डाइनिंग रूम को यात्रियों की सुविधा अनुसार बनाया गया है।
18 साल बाद किसी राष्ट्रपति ने किया प्रेसिडेंशियल ट्रेन से सफर
देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने सबसे पहले इस प्रेसिडेंशियल ट्रेन से 1950 में सफर किया था और वो देश के अलग-अलग हिस्सों में यात्रा इसी ट्रेन के माध्यम से ही करते थे। उनके बाद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉ नीलम संजीवा रेड्डी भी प्रेसिडेंशियल ट्रेन से यात्रा कर चुके है, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से पहले आखिरी बार देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने 30 मई 2003 को इस ट्रेन से बिहार की यात्रा की थी। वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस ट्रेन में दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से सवार होकर कानपुर के लिए निकले थे।
कानपुर के सफर के बाद राष्ट्रपति इसी ट्रेन से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के चार बाग रेलवे स्टेशन पहुंचे जहां उनका स्वागत प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश की राज्यपाल आनंदी पटेल ने किया। देश के आजाद होने से पहले इस ट्रेन में विक्टोरिया ऑफ इंडिया ने यात्रा की थी और शुरुआत में इस ट्रेन को वाइस रीगल कोच कहा जाता था, इस प्रेसिडेंशियल ट्रेन में 9000 और 9001 बहुत ही आलीशान कोच है। इस ट्रेन के हर कोच पर राष्ट्रीय स्तंभ अशोक स्तंभ बना हुआ है।