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Kumbh News: मौनी अमावस्या पर प्रयागराज में भगदड़, कइयों के मरने की आशंका

Kumbh News: प्रयागराज में 2025 के महाकुंभ मेला के दौरान मौनी अमावस्या के दिन एक बड़ी भगदड़ की घटना घटी, जिसने न केवल श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर सवाल उठाए, बल्कि प्रशासन की व्यवस्था को भी कठघरे में खड़ा कर दिया। इस हादसे के बाद से अब तक कई नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों ने प्रतिक्रिया दी है और स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए कदम उठाए हैं। इस लेख में हम इस भगदड़ की घटनाओं, प्रशासन की प्रतिक्रिया, और भविष्य में इस प्रकार के आयोजनों की व्यवस्थाओं के बारे में विस्तृत चर्चा करेंगे।

Kumbh News: शाही स्नान पर जुटी करोड़ों की भीड़

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भगदड़ की घटना और उसके परिणाम

महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम में स्नान के लिए पहुंचते हैं। इस वर्ष भी लाखों लोग प्रयागराज पहुंचे थे, और खासकर संगम नोज के पास भारी भीड़ थी। भगदड़ उस समय मची जब श्रद्धालु संगम नोज पर जाने के लिए बेताबी से आगे बढ़ रहे थे। पोल नंबर 11 से 17 के बीच यह भगदड़ हुई, जिससे कई लोग घायल हो गए। घटनास्थल पर तत्काल राहत कार्य शुरू किया गया और घायलों को अस्पताल भेजा गया।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भगदड़ के कारण कुछ श्रद्धालु घायल हुए हैं और उन्हें अस्पताल भेजा गया है। उन्होंने प्रशासन को निर्देश दिया कि इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए और राहत कार्य में तेजी लाई जाए। हालांकि, अब तक हताहतों के बारे में आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है।

Kumbh News: प्रशासन की प्रतिक्रिया और कदम

घटना के बाद, प्रशासन ने तुरन्त स्थिति को नियंत्रित करने के प्रयास शुरू किए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना के बाद अधिकारियों के साथ बैठक की और राहत कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने यह भी अपील की कि लोग अफवाहों पर ध्यान न दें और संयम से काम लें। इसके अलावा, उन्होंने निर्देश दिए कि स्थानीय स्तर पर चिकित्सा सेवाएं और डॉक्टरों की तैनाती बढ़ाई जाए।

सीएम योगी ने श्रद्धालुओं से यह अपील की कि वे संगम नोज की ओर जाने के बजाय आसपास के घाटों पर स्नान करें, क्योंकि प्रशासन ने 15-20 किलोमीटर के दायरे में अस्थायी घाट बनाए हैं, जहां श्रद्धालु बिना किसी दबाव के स्नान कर सकते हैं। उन्होंने प्रशासन को निर्देश दिए कि उप्र के अन्य जिलों से भी डॉक्टरों को मेला क्षेत्र में भेजा जाए।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

भगदड़ की घटना के बाद, कई राजनीतिक नेताओं ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि यह घटना शासन-प्रशासन की नाकामी का परिणाम है। उन्होंने महाकुंभ के प्रशासन को सेना के हवाले करने की मांग की ताकि स्थिति पर काबू पाया जा सके। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यूपी सरकार ने महाकुंभ के प्रचार में तो खूब खर्च किया, लेकिन श्रद्धालुओं की सुरक्षा और व्यवस्थाओं पर ध्यान नहीं दिया।

वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस घटना पर चिंता जताते हुए कहा कि प्रशासन का विशेष ध्यान वीआईपी मूवमेंट पर था, जबकि आम श्रद्धालुओं की सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई थी। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए व्यवस्थाओं में सुधार किया जाए।

बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने भी इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदनाएं प्रकट कीं। उन्होंने इसे एक अत्यंत दुखद घटना करार दिया और कुदरत से पीड़ितों को दुख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना की।

अखाड़ा परिषद का रुख

महाकुंभ में विभिन्न अखाड़ों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि वे इस आयोजन के केंद्र बिंदु होते हैं। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस भगदड़ के बाद अखाड़े ने शाही स्नान को स्थगित करने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि अब वे कम संख्या में स्नान करने जाएंगे और सबसे पहले प्रमुख संतों और देवताओं को स्नान कराएंगे। अखाड़े ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके द्वारा निकाले जाने वाले जुलूस में कोई बड़ी संख्या में लोग शामिल नहीं होंगे।

प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ की स्थिति के बारे में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात की और घटना की गंभीरता को समझते हुए राहत कार्यों के निर्देश दिए। पीएम मोदी ने घटना की समीक्षा की और प्रदेश सरकार को हर संभव मदद प्रदान करने की बात कही। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए आवश्यक उपाय किए जाएं।

सुधार के सुझाव और भविष्य की रणनीतियां

महाकुंभ जैसी विशाल धार्मिक आयोजनों में हर वर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना प्रशासन के लिए एक बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। इस घटना से कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े हुए हैं, जिनका उत्तर आने वाले समय में मिलना चाहिए।

  1. सुरक्षा व्यवस्थाओं को मजबूत करना: इस प्रकार के आयोजनों में सुरक्षा को सर्वोपरि प्राथमिकता दी जानी चाहिए। भारी भीड़ के बीच, प्रशासन को पर्याप्त सुरक्षा बल की तैनाती करनी चाहिए और ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे किसी भी प्रकार की भगदड़ या भीड़ नियंत्रण की समस्या न हो।
  2. सूचना और चेतावनी प्रणाली: प्रशासन को एक प्रभावी सूचना प्रणाली स्थापित करनी चाहिए, जिससे श्रद्धालुओं को समय पर महत्वपूर्ण निर्देश मिल सकें। इसके साथ ही, अफवाहों पर नियंत्रण रखने के लिए भी सख्त कदम उठाए जाने चाहिए।
  3. वीआईपी मूवमेंट पर पुनर्विचार: वीआईपी मूवमेंट पर ध्यान देने के बजाय, प्रशासन को आम श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधाओं को प्राथमिकता देनी चाहिए। विशेष रूप से जब बड़ी संख्या में लोग उपस्थित हों, तो हर किसी के लिए समान सुरक्षा और व्यवस्था का होना जरूरी है।
  4. अधिकारियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही: इस प्रकार की घटनाओं के बाद प्रशासनिक अधिकारियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए। यदि कोई प्रशासनिक लापरवाही पाई जाती है, तो जिम्मेदार व्यक्तियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए।

प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन भारत के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है, जहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस प्रकार के आयोजनों के दौरान सुरक्षा और व्यवस्था सुनिश्चित करना प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। हालिया भगदड़ की घटना ने यह साबित कर दिया कि व्यवस्थाओं में सुधार की आवश्यकता है। प्रशासन, संत समाज, और नेताओं को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी कोई दुर्घटना न हो और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता रहे।

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Chandan Singh

Chandan Singh is a Well Experienced Hindi Content Writer working for more than 4 years in this field. Completed his Master's from Banaras Hindu University in Journalism. Animals Nature Lover.