Navy New Ensign : इंडियन नेवी को मिला नया ध्वज, नए निशान के क्या हैं मायने, जाने अबतक कितने बार हुए बदलाव और क्यों
Navy New Ensign : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने शुक्रवार को केरल के कोच्चि में नौसेना (Navy) को स्वदेशी विमानवाहक पोत (आईएनएस) विक्रांत (INS VIKRANT) समर्पित किया। भारतीय नौसेना (Indian Navy) का अंग बनते ही विक्रांत के नाम के आगे आईएनएस (INS) शब्द जुड़ गया है। यह युद्धपोत मेक इन इंडिया (Make In India) के तहत बनाया गया है। यह अब तक का भारत (India) का सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट कैरियर शिप (Aircraft Carrier Ship) है। भारतीय नौसेना (Indian Navy) का हिस्सा बनते ही इंडियन नेवी को नया ध्वज (Ensign) भी मिल गया। आपको याद होगा कि 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने कहा था कि हमें गुलामी की मानसिकता से शत-प्रतिशत मुक्ति का संकल्प लेकर आगे बढ़ना है। आज हर क्षेत्र में भारत दुनिया की महाशक्तियों के साथ कदमताल करते हुए आगे बढ़ रहा है, लेकिन भारतीय नौसेना (Indian Navy) के झंडे में अबतक गुलामी का एक प्रतीक (Sign) जुड़ा रहा, इसे अब हटाया जा रहा है। वहीं भारतीय नौसेना में आईएनस विक्रांत (INS Vikrant) के शामिल होने के बाद इंडियन नेवी (Indian Navy) के ध्वज में बदलाव किया गया। बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं था, जब इंडियन नेवी के झंडे में बदलाव किया गया है। चलिए आज आपको बताते है कि कब-कब नेवी के ध्वज में बदलाव हुए क्यों…
Navy का नया झंडा कैसा है?
नेवी (Navy) के नए झंडे (Flag) में पहले से मौजूद क्रॉस को हटा दिया गया है, जो ब्रिटिश (British) काल का प्रतीक (Sign) था। क्रॉस को हटाने के बाद इंडियन नेवी (indian Navy) के क्रेस्ट को इस निशान में शामिल किया गया है, जो एंकर (लंगर डालना) का प्रतीक है। विक्रांत की कमिशनिंग कार्यक्रम के दौरान नया नेवल निशान (Ensign) मिल रहा है।
अबतक ऐसा था Nevy का झंडा
नए झंडे के क्या मायने हैं?
नेवी के झंडे (Navy Ensign) में इस बदलाव से एक संदेश तो साफ जाता है कि हमें गुलामी का प्रतीक हटा देना है, जैसा कि पीएम मोदी (PM Modi) ने लाल किले से अपने संबोधन में कहा था. अबतक चले आ रहे झंडे को देखें तो जो क्रॉस इसमें है, वह ब्रिटेन के नेशनल फ्लैग (British National Flag) से मिलता है. सफेद रंग पर लाल क्रॉस को सेंट जॉर्ज क्रॉस के रूप में जाना जाता है. सेंट जॉर्ज क्रॉस ईसाई संत के नाम पर रखा गया है, जो तीसरे धर्मयुद्ध के योद्धा माने जाते हैं. इंग्लैंड (England) के नेशनल फ्लैग पर भी इन्हीं सेंट जॉर्ज क्रॉस का निशान है.
अब सभी वॉरशिप, ग्राउंड स्टेशन और नेवल एयरबेस पर नेवी का निशान यानी झंडा लहराता दिखेगा. नए झंडे से भारत को औपनिवेशिक अतीत से मुक्ति मिलेगी और यह भारत की समृद्ध समुद्री हैरिटेज को दिखाएगा.
छत्रपति शिवाजी से प्रेरणा
नेवी (Navy) के नए झंडे में ऊपर एक कोने पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है. वहीं आधे भाग में नेवी का क्रिस्ट है। नीले रंग का यह प्रतीक अष्टकोण की आकृति में है, जो चारों दिशाओं और चारों कोणों यानी आठों डायरेक्शन में इंडियन नेवी की रीच को दिखाता है। इस अष्टकोणीय प्रतीक के नीचे देवनागरी में नौसेना के सूत्रवाक्य ‘शंं नो वरुण:’ अंकित किया गया है। इस सूत्रवाक्य का मतलब है- जल के देवता वरुण हमारे लिए मंगलकारी रहें. भारतीय सनातन परंपरा में वरुण को जल का देवता माना गया है।
किनारे पर दो गोल्डन बॉर्डर वाला अष्टकोणीय प्रतीक देश के महान मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी (Shiva ji) की शील्ड से प्रेरित होकर लिया गया है। वही शिवाजी, जिनके दूरदर्शी समुद्री दृष्टिकोण ने विश्वसनीय नौसैनिक बेड़े की स्थापना की। 60 फाइटिंग शिप और 5000 सेना के साथ उन्होंने समुद्री मार्ग से घुसपैठ करनेवाली बाहरी ताकतों को चुनौती दी थी।
कब-कब बदली नेवी की पहचान?
चार बार बदला गया पुराना झंडा
भारतीय नौसेना का पुराना झंडा भारत में अंग्रेज़ी शासन के दौर में बनाया गया था। हालांकि, इसमें बदलाव हुए और इसके बाद झंडे में अशोक चिह्न भी जोड़ा गया। पुराने झंडे में सफेद रंग के आधार पर लाल रंग का सेंट जॉर्ज क्रॉस बना हुआ था। इसके बाईं तरफ़ भारत का झंडा बना हुआ था. क्रॉस के बीच में अशोक चिह्न बना था जिसके नीचे सत्यमेव जयते लिखा हुआ था।
ये क्रॉस का निशान सेंट जॉर्ज (St. George) के नाम पर पड़ा है। सेंट जॉर्ज के लिए कहा जाता है कि वो एक बड़े धर्मयोद्धा थे जिन्होंने धर्म के लिए ही अपनी जान दे दी। उनका जन्म तीसरी सदी (ईसा के जन्म के बाद) में बताया जाता है। वो रोम की सेना में योद्धा थे लेकिन ईसाई धर्म (Christian Religion) में उन्हें संत की उपाधि मिली है।
नौसेना के झंडे को पहले भी चार बार बदला गया है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Bajpai), मनमोहन सिंह की सरकार और मौजूदा सरकार में भी इसमें बदलाव हुए हैं।
सबसे पहले भारत के आज़ाद होने के बाद 26 जनवरी 1950 को नौसेना के झंडे को बदला गया था। इसमें पहले सेंट जॉर्ज क्रॉस के साथ बाईं तरफ़ ब्रिटेन का झंडा बना हुआ था जिसे हटाकर भारत का झंडा लगाया गया.
इसके बाद साल 2001 में वाजपेयी सरकार में इस झंडे से सेंट जॉर्ज क्रॉस हटा दिया गया था। इसके बदले नीले रंग में अशोक चिह्न के नीचे एक एंकर बना हुआ था, लेकिन, अप्रैल 2004 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए सरकार के आने के बाद इसमें बदलाव किया गया।
ये शिकायत भी थी कि नीला रंग आसमान और समुंद्र के रंग से अलग नहीं दिखता है। इसके बाद नौसेना के झंडे में सेंट जॉर्ज क्रॉस की फिर से वापसी हुई। लेकिन, इस बार क्रॉस के बीच में अशोक चिह्न बना दिया गया।
साल 2014 में बीजेपी की सरकार आने के बाद झंडे में एक और बदलाव हुआ और अशोक स्तंभ के नीचे सत्यमेव जयते लिखवाया गया.
बता दें कि, भारत के पहले एयरक्राफ़्ट कैरियर का नाम भी विक्रांत था। उसे ब्रिटेन की रॉयल नेवी से ख़रीदा गया था और 1961 में कमीशन किया गया था. 1997 में आइएनएस विक्रांत को डिकमीशन (सेना की सेवा से हटा दिया गया था) कर दिया गया। इसने कई मिलिट्री ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
नए विक्रांत की बात करें तो इसमें 1700 लोग काम करेंगे, हालांकि, अभी इसमें 2000 और लोग भी काम कर रहे हैं – वो टेक्नीशियन जो केबल वगैरह ठीक कर रहे हैं, पॉलिश कर रहे हैं या इंटीरियर का काम कर रहे हैं।
विक्रांत के आने से भारत के पास अब दो कैरियर हो जाएंगे
सबसे पहले सरकार ने इस जहाज़ के लिए जनवरी 2003 में मंज़ूरी दी थी। साल 2007 में पहला कॉन्ट्रैक्ट साइन होने के बाद काम शुरू हुआ. लेकिन जहाज़ बनने के दूसरे चरण में देरी हुई, ख़ासतौर पर तब जब इसमें हथियार और प्रोपल्शन सिस्टम और रूस से आए एविएशन कॉम्प्लेक्स लगाने थे. इस जहाज को बनाने में 13 साल लगे हैं।