आज शनि अमावस्या को बन रहा है शुभ योग, इसके बाद 2025 में ही बनेगा ऐसा योग, गलती से भी न करें ये काम
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जीवन के समस्त संकटों का समाधान पाने के लिए शनिश्चरी अमावस्या का दिन विशेष महत्व रखता है। 17 मई 2018 को शनि अमावस्या है। बता दें कि जब सूर्य और चंद्रमां किसी भी एक राशि में दस्तक देते हैं और अगर उस दिन शनिवार होता है तो वह शनि अमावस्या कहलाती है।चैत्र मास में शनिवार को शुभ योग में शनिश्चरी अमावस्या का योग 14 साल बाद बन रहा है। इससे पहले चैत्र मास में शनैश्चरी अमावस्या का योग 20 मार्च 2004 को बना था। आगे यह योग 7 साल बाद 29 मार्च 2025 को बनेगा
यह भी पढ़े : नवरात्री विशेष: इन नौ दिनों के लिए बना है खास रंग, उसी अनुसार वस्त्र धारण कर करें मां की पूजा
शनि अमावस्या के शुभ योग पर साढ़ेसाती और ढय्या वाले लोगों के लिए उपाय –
काली गाय को बूंदी के लड्डू खिलाएं।
शनिदेव को तिल के तेल का दीपक लगाएं।
नदी में नहाएं।
शनि मंदिर में जाकर तेल का दान करें।
काली उड़द और लोहे का दान भी दे सकते हैं।
सरसों के तेल का दान करें।
अंधविद्यालय, अनाथालय या वृद्धाश्रम में दान करें।
उड़द की दाल के पकौड़े, काले गुलाबजामुन एवं इमरती कुत्तों और कौओं को खिलाएं।
अपने वजन के बराबर कच्चा कोयला शनिवार को बहाएं।
अन्य लोगों के लिए खास उपाय –
सुबह जल्दी उठें और सूर्योदय के समय सूर्य को जल चढ़ाएं ।
पीपल के पेड़ की पूजा करें।
सूर्योदय के समय पीपल को जल चढ़ाएं और उसकी सात परिक्रमा करें।
शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल और बेल पत्र चढ़ाएं ।
गरीब को घर में बैठाकर खाना खिलाएं।
हनुमानजी की मूर्ति के सामने बैठकर तेल का दीपक लगाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें ।
मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं।
जीवन की बाधाओं को दूर करने के लिए क्या करें ?
एक कटोरी में सरसों का तेल ले लें उसमे बाएं हाथ की मध्यमा अंगुली डालकर शनि मंत्र का जाप करें मंत्र होगा – “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः” सरसों के तेल को पीपल के वृक्ष के नीच रख दें।