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Mission Chandrayaan 2 | पहले मिशन से 3 गुना ज्यादा होगा चंद्रयान-2 का वजन

Mission Chandrayaan 2 | पहले मिशन से 3 गुना ज्यादा होगा चंद्रयान-2 का वजन

भारत ने फिर से साबित कर दिखाया कि वह किसी भी क्षेत्र में किसी से कम नहीं है और अपना वर्चस्व पूरी दुनिया में स्थापित किया है। भारत ने चंद्रयान-2 का निर्माण किया है जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के करीब लैंडिग करेगा और ऐसा करने वाला सबसे पहला देश भारत ही है। अब तक इस जगह पर इससे पहले किसी भी देश का कोई यान नहीं पहुंचा पाया है। इस चंद्रयान-2 मिशन के दक्षिणी ध्रुव के करीब लैंडिग पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की ओर से एक अधिकारी ने बताया की ‘इस बार हम एक ऐसे स्थान पर जा रहे हैं जहां पहले कोई नहीं गया है।’ Chandrayaan 2 को जीएसएलवी मार्क-III रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा जो कि भारत का सबसे ताकतवर रॉकेट है और इसे भारत का बाहुबली रॉकेट कहा जाता है।

Mission Chandrayaan 2 | पहले मिशन से 3 गुना ज्यादा होगा चंद्रयान-2 का वजन

दुनियाभर की नजर Chandrayaan 2 पर

Chandrayaan 2 का वजन 3,877 किलो है जो कि चंद्रयान-1 मिशन से करीब तीन गुना ज्यादा है। दरअसल इसरो प्रमुख के. सिवन ने इस मिशन के बारे में कहा कि ‘विक्रम का 15 मिनट का अंतिम तौर पर उतरना सबसे ज़्यादा डराने वाले पल होंगे, क्योंकि हमने कभी भी इतने जटिल मिशन पर काम नहीं किया है।’ जीएसएलवी मार्क-III रॉकेट में तीन मॉड्यूल ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) होंगे। थ्री स्टेज रॉकेट जीएसएलवी मार्क-III 43X43 मीटर लंबा और 640 टन वजनी है और इसी के साथ 3,877 किलो वजनी मॉड्यूल को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर भेजा जाएगा।

आपको बता दें कि इस मिशन के साथ 13 पेलोड भेजे जाएंगे। इनमें से 8 पेलोड ऑर्बिटर में, 3 लैंडर में और 2 रोवर में रहेंगे। इस मिशन में मॉड्यूल ऑर्बिटर चांद पर पहुंच वहां की सतह का निरीक्षण करेगा और यह पृथ्वी और लैंडर (विक्रम) के बीच कम्युनिकेशन का काम भी करेगा। चंद्रयान-2 की लैंडिंग के बाद रोवर प्रति 1 सेंटीमीटर/सेकंड की रफ्तार से लैंडर से बाहर निकलेगा। रोवर चांद की मिट्टी का रासायनिक विश्लेषण करेगा और पेलोड के जरिए रोवर ये डेटा जुटाकर लैंडर को भेजेगा, जिसके बाद लैंडर यह डेटा इसरो तक पहुंचाएगा।

आज आधी रात के बाद लॉंच होगा Chandrayaan 2

लैंडर चंद्रमा की झीलों को मापेगा और अन्य चीजों के अलावा लूनर क्रस्ट में खुदाई करेगा। गौरतलब है कि 2009 में चंद्रयान -1 से भारत ने चंद्रमा की सतह पर पानी के अणुओं की मौजूदगी का पता लगाने के बाद भी यह खोज जारी रखी और इसी सिलसिले में अब ‘चंद्रयान 2’ को भी भेजने की तैयारी में हैं। भारत में ही ‘चंद्रयान 2’ का ऑरबिटर, लैंडर और रोवर लगभग पूरी तरह से डिज़ाइन और बनाए गए हैं। बता दें कि 15 जुलाई को तड़के 2 बजकर 51 मिनट पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) का Chandrayaan 2 मिशन श्रीहरिकोटा के सतीश धवन सेंटर से लॉन्च होगा।

Mission Chandrayaan 2 | पहले मिशन से 3 गुना ज्यादा होगा चंद्रयान-2 का वजन

दरअसल भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2022 तक मानव को अंतरिक्ष में भेजने की बात कही है। सूत्रों की माने तो अधिकतर विशेषज्ञों का कहना है कि इस मिशन से मिलने वाला जियो-स्ट्रैटेजिक फायदा ज़्यादा नहीं है, लेकिन भारत का कम खर्च वाला यह मॉडल कमर्शियल उपग्रहों और ऑरबिटिंग डील हासिल कर पाएगा।

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