12 वीं के छात्रों के लिए आई बुरी खबर, अब नहीं मिल पाएंगे मनचाहे नंबर
अभी थोड़े ही दिन पहले बोर्ड के एग्जाम खत्म हुये हैं| चाहे वह यूपी ,सीबीएससी या फिर आईसीएसई बोर्ड का एग्जाम हो| अब बारी हैं रिजल्ट का, जहां छात्रों और अभिभावको को इंतजार हैं 12 वी की रिजल्ट का तो वहीं देश के तकरीबन सभी बोर्ड ने इस बार छात्रों को पूरी तरीके से निराश करने का मन बना लिया है। अब की बार 90 फीसदी या उससे अधिक नंबर की आस रखने वाले विद्यार्थियों को निराशा ही हाथ लगने वाली है। हालांकि यह पिछले साल यानी 2017 के बोर्ड एग्जाम के वक्त ही हो जाना था परन्तु तब बोर्ड ने उस वक्त उसे टाल दिया था।
हम आपको बता दें कि पिछले साल ही केंद्र सरकार ने 12वीं की बोर्ड परीक्षा में नंबर लुटाने वाली पॉलिसी को खत्म करने का निर्देश दिया था। परंतु इसका कई बोर्ड और आमजन ने विरोध किया। यहा तक की कुछ लोग इसके खिलाफ न्यायालय की शरण में चले गए थे| जिसकी वजह से इस पॉलिसी को पिछले साल लागू नहीं किया जा सका| लेकिन इस बार सभी बोर्ड ने मिल कर मॉडरेशन पॉलिसी में परिवर्तन कर दिया है। हम आपको बता दें कि इस बार केंद्रीय शिक्षा सचिव ने 2017 के अंत में ही राज्य स्तरीय शिक्षा बोर्ड को पत्र भेज कर और सीएम व शिक्षा मंत्रियों से वार्ता कर समान अंक प्रणाली लागू करने की बात कही गयी|
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वर्तमान समय में अच्छे स्कूल, कॉलेज में एडमिशन के लिए होड़ सी मची है| जिसकी वजह से मेरिट लिस्ट बहुत हाई जा रही हैं| ऐसे मे बच्चो पर प्रेसर बन रहा हैं| अच्छे मार्क्स लाने की और हर कोई एक अच्छे कॉलेज में पढ़ना चाहता हैं| केंद्र सरकार की पहल पर देश के सभी बोर्ड ने तय किया है कि वह अपने-अपने बोर्ड के विद्यार्थियों पर अब नंबर नहीं लुटाएंगे। यानी इस बार पिछले वर्षों की तुलना में विद्यार्थियों के कम नंबर मिलने वाले हैं| इसका मतलब इस बार आपको नंबर आपके मेहनत का मिलने वाला हैं, ना की बिना मेहनत का फ्री मे नंबर मिलने वाला हैं| ऐसा विभिन्न बोर्ड द्वार मॉडरेशन पॉलिसी में परिवर्तन किए जाने के चलते होगा। इसकी पुष्टि पूर्वांचल पब्लिक स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष व सनबीम स्कूल समूह के चेयरमैन दीपक मधोक ने पत्रिका से की।
इस बार जो नियम तय हुआ है उसके तहत अब छात्रों को 90-95 फीसदी अंक आना मुश्किल है। दरअसल अभी तक सीबीएसई हो या आईसीएसई या यूपी बोर्ड सभी अपने विद्यार्थियों को बेहतर दिखाने की होड़ में खूब नंबर लुटाया करते थे। यह बढ़ोत्तरी आठ से 10 प्रतिशत तक हुआ करती थी। यानी जिस छात्र का 85 फीसदी नंबर आना चाहिए उसे भी 90-95 प्रतिशत तक नंबर दिया जाता था। इससे छात्रों की वास्तविक मेधा का पता नहीं चल पाता था। दूसरे उच्च शिक्षा में दाखिले के वक्त भी विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की मेरिट हाई जाती थी। ऐसा अब की बार नहीं होगा। इस पॉलिसी का फायदा उन छात्रों को मिलने वाला हैं जिन्होने बोर्ड एग्जाम के समय अच्छे से तैयारी की होगी| और जिन्होने एग्जाम अच्छे से दिया होगा|