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विडियो : जब सब्जी वाली ने फर्राटेदार अंग्रेजी बोलकर निगमकर्मियों की बोलती कर दी बंद, जाने क्या है पूरा मामला

Youthtrend Viral Desk : हम लोग अक्सर सब्जी लेने जाते हैं तो जो सब्जी बेचने वाले या तो हिंदी में बात करते हैं या फिर अपनी क्षेत्रीय भाषा में बात करते हैं, पर सोचिए कि आप सब्जी खरीद रहें हो और सब्जी विक्रेता आप से फर्राटेदार अंग्रेजी में बात करने लगें तो? ठीक ऐसा ही हुआ इंदौर नगर निगम के कलेक्टर के साथ, जब नगर निगम के अधिकारी सब्जियों के ठेले हटवाने के लिए बाजार में गए तो एक सब्जी विक्रेता रईसा अंसारी ने तेज-तर्रार अंग्रेजी भाषा में कलेक्टर को अपना दुख बताया। आइए जानते हैं कि रईसा ने क्या कहा इंदौर नगर निगम के अधिकारियों और कलेक्टर साहब से।

नगर निगम के अधिकारी पहुंचे थे हटाने रेहड़ी

इंदौर के एक बाजार में लगें सब्जियों और फलों के ठेले हटवाने के लिए नगर निगम के अधिकारी इंदौर के कलेक्टर के साथ पहुंचे थे और उन्होंने जब ठेलों को हटाने के लिए कहा तो तभी एक सब्जी विक्रेता रईसा अंसारी सामने आई और सबके सामने अपना दुख अंग्रेजी में सुनाने लगी। उन्होंने कहा कि अगर वो लोग ठेले हटा लेंगे तो अपने घर-परिवार का पालन पोषण कैसे करेंगे, रईसा ने बताया कि कोरोना के चलते इस समय सबके लिए घर चलाना काफी मुश्किल हो गया हैं ऐसे में घर चलाने के लिए कुछ तो करना ही होगा।

रईसा की अंग्रेजी सुनकर कलेक्टर भी रह गए सन्न

जब रईसा अपना दुख दर्द अंग्रेजी भाषा में बता रही थी तो कलेक्टर ने भी उनके साथ इंग्लिश में बात करने लगे थे, रईसा ने कहा कि बाजार में सड़क की एक तरफ ठेले एक दिन लगते हैं और दूसरी तरफ अगले दिन इस वजह से बाजार में भीड़ भी नहीं हो रही हैं तो ठेले हटाने की कोई जरूरत नहीं हैं। जब कलेक्टर ने उनकी शिक्षा के बारें में पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्होंने मटेरियल साइंस में पीएचडी करी हुई हैं, फिर कलेक्टर ने उनसे कहा कि जब वो इतनी शिक्षित हैं तो जॉब क्यों नहीं करती हैं तब रईसा ने बताया कि कोरोना काल के चलते इस समय नौकरी मिल पाना आसान नहीं हैं।

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उनके नाम की वजह से उनकी कोई नहीं सुनता

कलेक्टर ने जब उनसे पूछा कि उन्होंने नौकरी के लिए कही संपर्क क्यों नहीं किया तो उन्होंने कहा कि उन्हें कौन नौकरी देगा, वो मुस्लिम हैं और सबका कहना हैं कि कोरोना मुसलमानों से फैला हैं इसलिए उनकी कोई नहीं सुनता भले ही कोई रिसर्च इंस्टीट्यूट हो या कोई संस्थान। उन्होंने कहा कि वो अगर ये फल और सब्जी की रेहड़ी भी हटा देंगे तो मरने के लिए कहा जाए नगर निगम के दफ्तर में या प्रधानमंत्री कार्यालय में। खैर उनकी इन बातों को सुनकर कलेक्टर भी उनका दर्द समझे लेकिन रईसा की कहानी देश के उस सिस्टम के बारें में बताती हैं जहां काबिल व्यक्ति को उसका हक नहीं मिलता।

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