
गजब: ये है दुनिया का सबसे बड़ा व अदभुत शिवलिंग, हर साल बढ़ती है लंबाई
सनातन धर्म की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिव आदि देव हैं। ।प्रत्येक जीव में, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, सूक्ष्म रूप से आदि शक्ति (ऊर्जा) का प्रतीक शिवलिंग सबमें स्थित होता है। इस कारण हिन्दू मान्यताओं में प्रत्येक व्यक्ति में ईश्वर विद्यमान होने की मान्यता है । भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं| जिसमे से इस शिवलिंग को 12 ज्योतिर्लिंगों की तरह अर्धनारीश्वर शिवलिंग की मान्यता प्राप्त है
अक्सर आपने सुना होगा की शिव महाकाल और अन्य शिवलिंगों के आकार छोटे होते जा रहे है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शिवलिंग के बारे बताएंगे जिसका आकार कभी घटता नहीं बल्कि हर साल बढ़ता जा रहा है।
ये अदभुत शिवलिंग भारत में छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित भूतेश्वरनाथ का है। प्राकृतिक रूप से निर्मित ये दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग है। इसकी ऊँचाई जमीन से लगभग 18 फीट ऊंची है और 20 फीट गोलाकार है। राजस्व विभाग द्वारा हर साल इसकी उचांई नापी जाती है,जिसके अनुसार हर साल यह 6 से 8 इंच तक इसकी ऊँचाई बढ़ी हुई मिलती है |
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इस अदभुत शिवलिंग की मान्यता है की कई साल पहले पारागांव निवासी जमींदार शोभा सिंह को एक टीले से सांड़ के हुंकारने और शेर के दहाड़ने की आवाज सुनाई पड़ती थी।शुरुआत में उन्हें लगा की ये उनका वहम है लेकिन ग्रामवासियों ने भी कई बार ये आवाजे सुनी थी लेकिन उस टीले पर कोई भी जानवर नहीं था ये आवाजे इसी टीले में से ही आती थी|
इसीलिए ग्रामवासियों ने इस टीले की पूजा पाठ करना शुरू कर दिया और इस शिवलिंग की तरह से पूजा जाने लगा आज इनके दर्शन करने और जलाभिषेक करने के लिए हर साल सैकड़ों की संख्या में कांवरिए पैदल यात्रा कर यहां पहुंचते हैं। यहां आने वाले भक्तों की संख्या में हर साल बढ़ोतरी हो रही है।
इस शिवलिंग में प्रकृति प्रदत्त जलहरी भी दिखाई देती है, जो धीरे-धीरे जमीन के ऊपर आती जा रही है।छत्तीसगढ़ी भाषा में हुंकारने की आवाज को भकुर्रा कहते हैं, इसी से भूतेश्वरनाथ को भकुर्रा महादेव भी कहते हैं।
इस शिवलिंग का पौराणिक महत्व सन 1959 में गोरखपुर से प्रकाशित धार्मिक पत्रिका में इस शिवलिंग को पूरे विश्व का एक अनोखा विशाल शिवलिंग बताया गया है।