Zolgensma: दुनिया की सबसे महंगी दवा, एक खुराक की कीमत हैं 18 करोड़
वैसे तो दुनिया में ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो काफी महंगी होती हैं जैसेकि आलीशान गाड़ी, बंगले, कपडे, मोबाइल इत्यादि पर क्या आपने कभी महंगी दवाई के बारें में सुना हैं जी हाँ आपने सही पढ़ा सबसे महंगी दवाई और उसकी कीमत लगभग 18 करोड़ रुपये हैं जिसका नाम है Zolgensma। आपकी जानकारी के लिए बताना चाहेंगे कि ये महँगी दवाई किसी दुर्लभ बीमारी के इलाज के लिए किया जाता हैं। आइए जानते हैं आखिर ऐसी कौन सी बीमारी हैं और ऐसी कौन सी बीमारी हैं जिसकी दवाई सबसे महंगी हैं।
Zolgensma : ब्रिटेन ने दी दवा को मंजूरी
अभी हाल में ही ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस यानी NHS ने एक ऐसी बीमारी जो काफी दुर्लभ होती हैं उसके इलाज के लिए एक ऐसी दवा को मंजूरी दी हैं जो मेडिकल जगत में सबसे महंगी दवाई के रूप में शुमार करती हैं। दरअसल इस बीमारी को ब्रिटिश हेल्थ सर्विस द्वारा एक दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी के इलाज के लिए मंजूरी दी गई हैं, इस महंगी दवाई को नोवार्टिस जीन थेरेपी के द्वारा बनाया गया हैं और इसी दवाई को ब्रिटेन नेशनल हेल्थ सर्विस ने अनुमति दी हैं।
18 करोड़ रुपये का है एक इंजेक्शन
इस दवा को मंजूरी देते समय बताया गया हैं कि इस दवा की एक खुराक की कीमत 1.79 मिलियन यूरो पौंड हैं यानी लगभग 18 करोड़ रुपये, इस दवा का इस्तेमाल जेनेटिक स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रोफी नामक बीमारी के इलाज के लिए किया जाता हैं और इस बीमारी के इलाज को अभी तक का सबसे महंगा इलाज माना जाता हैं। इस बीमारी से पीड़ित रोगी को इतना महंगा इंजेक्शन लगाया जाता हैं।
बहुत ही दुलर्भ हैं ये बीमारी
जेनेटिक स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रोफी को एक दुर्लभ बीमारी माना जाता हैं और कहा जाता हैं कि मानव शरीर में ये बीमारी एसएमएन-1 जीन की शरीर में कमी होने से होती हैं। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को सीने में मौजूद मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं और अधिकतर समय रोगी को सांस लेने में भी तकलीफ महसूस होने लगती हैं।
इंग्लैंड में है इस बीमारी के ज्यादा मामले
इस दुर्लभ बीमारी से पीड़ित रोगियों की संख्या सबसे ज्यादा ब्रिटेन में ही हैं, और इस बीमारी से पीड़ित होने वाले रोगियों में सबसे ज्यादा बच्चे हैं। कहा जाता हैं कि अगर समय पर इस दुलर्भ बीमारी का इलाज नहीं किया जाता हैं तो रोगी की मौत भी हो सकती हैं। अगर ब्रिटेन की मीडिया रिपोर्ट्स को माना जाए तो वर्तमान में इस बीमारी से पीडित सबसे ज्यादा रोगी अकेले इंग्लैंड में ही हैं। बताया जाता हैं कि ब्रिटेन में हर साल जितने बच्चे पैदा होते हैं उनमें से लगभग 60 बच्चों में ये दुर्लभ बीमारी होती हैं।