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Chief Justice D. Y. Chandrachud, जिन्होंने बदल दिए अपने ही पिता के दो विवादित फैसले

Chief Justice D. Y. Chandrachud : जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ भारत के अगले 50वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) बनने वाले हैं। मौजूदा सीजेआई उदय उमेश ललित ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में उनके नाम की सिफारिश केंद्र सरकार को भेज दी है। इसी के साथ डीवाई चंद्रचूड़ पहले ऐसे मुख्य न्यायाधीश होंगे जिनके पिता, वाईवी चंद्रचूड़ (YV Chandrachud), भी सीजेआई रहे हैं। वह जस्टिस यूयू ललित (UU Lalit) का स्थान लेंगे, जो 8 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। भारत में ऐसा पहली बार होने जा रहा है जहां पिता और बेटा दोनों ही देश के चीफ जस्टिस बने। दिलचस्प बात है कि चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice D. Y. Chandrachud) अपने करियर के दौरान दो बार अपने पिता के महत्वपूर्ण फैसलों को पलट चुके है। आइए जानते है कि डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने पिता के किन दो फैसलों को बदला था और क्यों….

9 नवंबर को  के 50वें CJI के रूप में लेंगे शपथ D. Y. Chandrachud

बता दें कि धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (Dhananjay Yashwant Chandrachud) 9 नवंबर को चीफ जस्टिस के रुप में शपथ लेगें। उनका कार्यकाल 10 नवंबर 2024 तक होगा। इससे पहले उनके पिता वाईवी चंद्रचूड़ भी देश के 16वें चीफ जस्टिस रह चुके हैं। उनका कार्यकाल 22 फरवरी, 1978 से 11 जुलाई, 1985 तक रहा।

Chief Justice D. Y. Chandrachud

पहला फैसला

डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice D. Y. Chandrachud) 2017-18 ने अपने पिता के दो फैसलों को पलट दिया था। इसमें पहला फैसला 1976 का है जिसमें शिवकांत शुक्ला बनाम एडीएम जबलपुर मामले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने निजता को मौलिक अधिकार नहीं माना था। उस बेंच में पूर्व CJI वाईवी चंद्रचूड़ भी थे, लेकिन 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने पुष्टि करते हुए कहा था कि निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, 1975 के आपातकाल का समर्थन करने वाले एक विवादास्पद आदेश को रद्द कर दिया था। 41 साल बाद जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (D. Y. Chandrachud) ने आदेश को गंभीर रूप से गलत बताया था और जस्टिस एचआर खन्ना की प्रशंसा की थी।

दूसरा फैसला

वहीं दूसरा फैसला एडल्टरी लॉ का था। 1985 में तत्कालीन CJI वाईवी चंद्रचूड़ की बेंच ने सौमित्र विष्णु मामले में IPC की धारा 497 को बरकरार रखा था। उस वक्त बेंच ने अपने फैसले में लिखा था- ‘सामान्य तौर पर यह स्वीकार किया गया है कि संबंध बनाने के लिए फुसलाने वाला आदमी ही है न कि महिला। पिता के इसी फैसले को 2018 में पलटते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (D. Y. Chandrachud) ने कहा था कि, “अक्सर, व्यभिचार (Adultery Law) तब होता है जब शादी पहले ही टूट चुकी होती है और कपल अलग रह रहे होते हैं, यदि उनमें से कोई भी किसी अन्य व्यक्ति के साथ यौन संबंध रखता है, तो क्या उसे धारा 497 के तहत दंडित किया जाना चाहिए?

कौन हैं जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice D. Y. Chandrachud)

Chief Justice DY Chandrachud

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (D. Y. Chandrachud) का जन्‍म 11 नवंबर 1959 को हुआ और वर्तमान में वे सुप्रीम कोर्ट में जज हैं। उन्‍होंने दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से LLB करने के बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से LLM और न्‍यायिक विज्ञान में डॉक्‍टरेट (SJD) की है। उन्‍होंने भारत के कई न्‍यायालयों में बतौर वकील काम किया है। दिल्‍ली हाई कोर्ट, उत्‍तर प्रदेश, मध्‍य प्रदेश, गुजरात और पश्चिम बंगाल के हाई कोर्ट में उन्‍होंने प्रैक्टिस की है, वे 1998 में बॉम्‍बे हाईकोर्ट में सीनियर एडवोकेट के रूप में चुने गए 1998 से 2000 तक वे भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के तौर पर काम कर चुके हैं। वे बॉम्‍बे हाईकोर्ट के अलावा न्‍यायाधीश और 31 अक्‍टूबर 2013 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्‍य न्‍यायाधीश बने थे। 13 मई 2016 को Chief Justice DY Chandrachud ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जज का पदभार संभाला था।

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