गुमनामी के समन्दर में खो गयी ये खूबसूरत अदाकारा, कोर्ट के चक्कर लगाते हुए गिनी अपनी अंतिम साँसे
जी हां हम बात करने वाले हैं उस पुराने दौर की मशहूर व खूबसूरत अदाकारा “साधना” के बारे में जिनका जन्म 1941 में कराची, पाकिस्तान में हुआ था। साधना अपनी खूबसूरती और अदाकारी के चलते पूरी इंडस्ट्री में छाई हुई थी। इस बात का अंदाजा आप इसी से ही लगा सकते हैं कि उनकी हेयर स्टाइल महिलाओं के बीच इतनी प्रसिद्ध हो गई थी कि उनकी हेयर स्टाइल को ‘साधना कट’ के नाम से जाना जाता था। अब जब हमने कुछ पुरानी किताबों के पन्ने आपके सामने खोल ही दिए हैं तो चलिए हम इस मशहूर अदाकारा के बारे में आज कुछ चर्चा कर लेते हैं।
जिस तरह से साधना ने फिल्मी दुनिया में कदम रखा था वह एक बेहद ही बढ़िया शुरुआत रही उनके लिए और उन्हें अपनी पहली फिल्म से ही बहुत ज्यादा जाना जाने लगा था। साधना की पहली फिल्म का नाम “लव इन शिमला” था जो कि 1960 में रिलीज की गई थी। साधना की इस फिल्म को ‘आर. के. नैयर ने डायरेक्ट’ क्या था। इस फिल्म में हीरो की मुख्य भूमिका में ‘जॉय मुखर्जी’ नजर आए थे।
लाखो दिलों की धड़कन : साधना
साधना की पहली फिल्म के साथ ही उनकी अपने डायरेक्टर नैयर के साथ इतनी अच्छी बॉन्डिंग हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने अपने डायरेक्टर के साथ ही प्रेम विवाह कर लिया था। साधना की फिल्मी जगत में शुरुआत और नैयर के साथ शादी होना एक तरह से साधना के लिए बहुत ही खुशनुमा माहौल की तरह था। उनका जीवन बिल्कुल सही रास्ते पर चल रहा था और मानो एक बहुत ही अच्छी रफ्तार पकड़ रहा था। करीब 30 साल तक सब कुछ अच्छा चलने के बाद ही अचानक डायरेक्टर नय्यर की मृत्यु हो जाती है जिसके बाद साधना की जिंदगी पूरी तरह से बदल ही जाती है।
साधना अपने माता-पिता की इकलौती बेटी थी और नैयर साहब के चले जाने के बाद उनका अब इस जीवन में कोई भी नहीं था। यहां तक की साधना के कोई बच्चे भी नहीं थे अब पति के चले जाने के बाद साधना पूरी तरह से अकेली हो गई थी। ऐसा माना जा सकता है कि साधना का अंत उतना अच्छा नहीं था जितनी अच्छी उनकी शुरुआत हुई थी।
दरअसल जिस घर में साधना और अय्यर रहते थे उस घर का किसी कारण से मुकदमा चल रहा था। उस समय सबसे बुरी बात यह थी कि साधना ऐसे समय में बीमारी से गुजर रही थी और बीमार होने के बावजूद भी उन्हें अपने घर का मुकदमा लड़ने के लिए कोर्ट और कचहरी के चक्कर लगाने पड़ते थे।
कुछ समय बाद अचानक ही साधना ने जिंदगी से हार मानना ही सही समझा और दिसंबर 2015 को साधना इस दुनिया को छोड़ कर हमेशा के लिए चली गई। हैरानी की बात यह रही कि जब वह इस परेशानी के दौर से गुजर रही थी तब उन्हें इंडस्ट्री से मदद करने वाला भी कोई ना था यहां तक की उनकी मृत्यु के बाद इंडस्ट्री से उनकी परलोक यात्रा में चलने वालों का काफिला भी इतना बड़ा नहीं था, जितनी बड़ी उनकी पहचान थी।
आज भी ऐसा माना जाता है कि जो पुराने दौर की एक्ट्रेस थी उनकी खूबसूरती और अदाकारी को टक्कर देना आज के कलाकारों के बस में कहां है। इस बात को वे लोग बहुत ही अच्छे से समझ पा रहे होंगे जिनका 70 के दशक की फिल्मों से बहुत ही गहरा नाता रहा है। कहते हैं कि एक कलाकार अपनी अदाकारी से मरने के बाद भी हमारे दिलों में हमेशा जिंदा रहता है आज हम ऐसी ही एक एक्ट्रेस के बारे में बात करने वाले हैं जो 70 के दशक में हर एक भारतीय सिनेमा प्रेमी के दिलों में अपनी खूबसूरती और बेहतरीन अदाकारी की वजह से आज भी जिंदा है।