
दुनिया के सबसे अमीर मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला, मंदिर के खजाने पर किसका होगा हक
हमारें देश में ऐसे बहुत से मंदिर स्थित हैं जहां बेशुमार चढ़ावा आता हैं और उन मंदिरों के खजाने रुपये, सोना-चांदी और बेशकीमती उपहारों से भरे हुए हैं भले ही शिरडी का साईं मंदिर हो या तिरुपति बालाजी, पर क्या आप जानते हैं दुनिया का सबसे अमीर मंदिर कौन सा हैं। अगर नहीं पता तो हम आपको बताते हैं, दुनिया का सबसे ज्यादा धन-दौलत वाला मंदिर भारत के दक्षिण में स्थित हैं।
हम बात कर रहे हैं केरल राज्य के तिरुवनंतपुरम में स्थित पद्मनाभ मंदिर की, ये मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित हैं, ये मंदिर हिन्दू धर्म के प्रमुख मंदिरों में से एक हैं अभी हाल में ही इस मंदिर के स्वामित्व को लेकर विवाद छिड़ा हुआ था जिसके निपटारे के लिए स्वयं माननीय सुप्रीम कोर्ट को इसमें फैसला देना पड़ा। आज के इस लेख में हम जानेंगे कि ऐसा क्या विवाद था मंदिर को लेकर और इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया।
मंदिर के स्वामित्व को लेकर लंबे समय से चल रहा था विवाद
जानकारी के अनुसार फोर्ब्स के अनुसार इस मंदिर की कुल संपति लगभग 75 लाख करोड़ रुपये हैं जो इसे दुनिया का सबसे अमीर मंदिर बनाती हैं, 1947 तक इस मंदिर के रख-रखाव का जिम्मा त्रावणकोर के शाही खानदान के द्वारा किया जाता था लेकिन बाद में मंदिर के स्वामित्व को लेकर राज्य सरकार और शाही परिवार में विवाद छिड़ गया था। जिसके बाद मामला हाई कोर्ट में पहुंचा था, 2011 में कोर्ट ने राज्य सरकार को मंदिर का स्वामित्व सौंप दिया था जिसके बाद शाही परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी और अभी हाल में ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा ये निर्णय किया गया हैं कि मंदिर का स्वामित्व त्रावणकोर के शाही परिवार के पास ही रहेगा।
पद्मनाभ मंदिर का इतिहास हैं काफी सदियों पुराना
बताया जाता हैं कि ये मंदिर छठी सदी से हैं, 1750 में त्रावणकोर के राजा ने अपने आप को भगवान विष्णु का सेवक घोषित किया और अपनी जिंदगी और सारी संपति भगवान को अर्पण कर दी हैं, इसके बाद उन्होंने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। तब से ही मंदिर के रख-रखाव का जिम्मा राजा के शाही परिवार के पास था। 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने पद्मनाभ मंदिर में स्थित सभी तहखानों को खोलने का आदेश दिया, जब पहले 6 तहखाने खुले तो उसमें से लगभग 1 लाख करोड़ के हीरे-जवाहरात मिले, इसके अलावा सोने के हाथी, भगवान की मूर्तियां, सोने के नारियल भी मिले, जब सातवें तहखाने खोलने की बारी आई तो शाही परिवार के द्वारा बताया गया कि तहखाने को खोलने से विनाश हो सकता हैं, 1931 में एक बार कोशिश की गई थी लेकिन जब लगभग 1000 सांपो ने मंदिर को घेर लिया था।
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क्या दिया हैं सुप्रीम कोर्ट ने पद्मानभ मंदिर के विवाद का निर्णय
जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की बेंच ने मंदिर के स्वामित्व को लेकर फैसला सुनाया हैं कि इस मंदिर के रख-रखाव का काम त्रावणकोर के शाही परिवार के पास ही रहेगा, इसके अलावा मंदिर से संबंधित सभी मामलें के लिए एक समिति बनाने का भी निर्देश जारी किया हैं जिसमें तिरुवनंतपुरम के जिला जज इस समिति के अध्यक्ष रहेंगे और इसके बाकी सदस्य हिंदू ही रहेंगे।