कार्तिक पूर्णिमा का क्या है महत्व, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
भारत त्योहारों का देश है अगर ऐसा कहें तो गलत नहीं होगा। हिंदी पंचांग में हफ्ते के सातों दिन, महीने के 30 दिन और साल के 365 दिन कोई न कोई त्योहार जरूर पड़ते हैं। हर त्योहार का अपना महत्व भी है। लोगों के जीवन में त्योहार और तिथियां असर भी डालती हैं। अगर कार्तिक मास की बात करें तो इस दौरान काफी त्योहार मनाए जाते हैं। उन्हीं त्योहारों में से एक है कार्तिक पूर्णिमा, कार्तिक मास की पूर्णिमा को ये त्योहार मनाया जाता है। इसलिए ही इसे कार्तिक पूर्णिमा कहते हैं। शैव और वैष्णव दोनों ही समुदायों में इसका महत्व एक जैसा है। अगर पौराणिक कथाओं की माने तो इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस को खत्म किया था और तो और इसी दिन भगवान विष्णु ने मतस्य अवतार भी लिया था।
दीपदान का महत्व जानिए
असल में ये तिथि इसलिए भी खास हो जाती है क्योंकि गुरुनानक जी भी इसी दिन जन्मे थे। कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपदान करना शुभ माना गया है। आइए आपको दीपदान का महत्व बताते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन नदी में स्नान करने और दीपदान करने का विशेष महत्व है। अगर आप ग्रहों की समस्या से परेशान हैं तो आप दीपदान करके समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। आपको बता दें कि इस साल कार्तिक पूर्णिमा 12 नवंबर मंगलवार के दिन पड़ रही है। अब आपको बताते हैं कि आखिर कब स्नान और दान करें।
आप सबसे पहले सुबह सुबह उठकर नहाने से पहले संकल्प लें और फिर बिल्कुल नियमों के अनुसार स्नान करें। स्नान करने के बाद जो बात ध्यान रखनी है वो है भगवान सूर्य को जल अर्पित करना। ये काम करना बिल्कुल भी ना भूलें। स्नान के बाद आप साफ सुथरे कपड़े पहने और फिर मंत्रों का जाप करें। मंत्रों के जाप के बाद आप अपनी इक्षा के अनुसार दान कर सकते हैं। अगर आप चाहें तो इस दिन जल और फलहार करके आप उपवास भी कर सकते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
अगर कार्तिक पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त की बात की जाय तो पूर्णिमा तिथि 11 नवंबर 2019 को शाम 6 बजकर 2 मिनट से शुरू हो रही है। वहीं इसके खत्म होने का समय 12 नवंबर 2019 को शाम 7 बजकर 4 मिनट तक है। अगर आप शुभ मुहूर्त में पूजा- पाठ और दान करते हैं तो आपकी समस्या आपका पीछा छोड़ सकती हैं। 12 नवंबर के दिन आप अपना भाग्य बदल सकते हैं। बस आपको तय करना है कि आप क्या करना चाहते हैं।